एक प्राचीन मूर्ति की तस्वीर इस दावे के साथ वायरल है कि इसे भारत में 1,400 साल पहले एक पल्लव राजा के समय में बनाया गया था. ये मूर्ति बिजली के तार से जुड़े कंप्यूटर के सामने बैठे व्यक्ति की है. यूज़र्स इसे शेयर करते हुए उस वक्त प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की प्रगति पर आश्चर्य जाहिर किया है. जब आधुनिक बिजली का आविष्कार भी नहीं हुआ था. (आर्काइव)

ये दावा अगस्त 2022 से किया जा रहा है. (आर्काइव)

ये तस्वीर फ़ेसबुक पर भी वायरल है.

ऑल्ट न्यूज़ के व्हाट्सऐप हेल्पलाइन नंबर (76000 11160) और हमारे ऐप पर दावे की सच्चाई जानने के लिए कई रिक्वेस्ट मिली हैं.

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फ़ैक्ट-चेक

इस तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें मैक्सिकन आर्टिस्ट राउल क्रूज़ की आर्टस्टेशन प्रोफ़ाइल मिली जिसमें इस तस्वीर को उनके ऑरिजिनल आर्टवर्क्स में से एक की लिस्ट में रखा गया है. मेमोरी ऑफ़ द फ्यूचर नामक इस कलाकृति को चार साल पहले पोस्ट किया गया था.

कलाकार राउल क्रूज़ को आर्टस्टेशन पर उनके अबाउट पेज पर एक स्वतंत्र चित्रकार/अच्छे कलाकार के रूप में बताया गया है. पेज के मुताबिक, राउल क्रूज़ का काम फैंटास्टिक आर्ट की शैली के अंतर्गत आता है. मेसोअमेरिकन कला के साथ संयुक्त भविष्यवादी सौंदर्यशास्त्र और विज्ञान कथाओं ने पास्ट और प्रेजेंट को आने वाले फ्यूचर के साथ मिलाकर सीधे उनके काम को प्रभावित किया. वायरल हो रही कलाकृति में ये विशेषता साफ है.

हमें ये कलाकृति उनके इंस्टाग्राम पेज पर भी मिली जिसे सितंबर 2018 में पोस्ट किया गया था. तस्वीर का कैप्शन है, “मेमोरिया डेल फ्यूचरो, ऐक्रेलिक ऑन फाइबरग्लास, 2015.″

इसके अलावा, हमने पाया कि इस कलाकृति का इस्तेमाल ‘कॉसमॉस लैटिनोस: एन एंथोलॉजी ऑफ़ साइंस फ़िक्शन फ्रॉम लैटिन अमेरिका एंड स्पेन’ नामक किताब में कवर आर्ट के रूप में किया गया था. इंटरनेट स्पेकुलेटिव फ़िक्शन डेटाबेस के मुताबिक, कवर डिज़ाइन के लिए राउल क्रूज़ को क्रेडिट दिया गया है.

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कुल मिलाकर, कंप्यूटर के सामने बैठे एक व्यक्ति की प्राचीन नक्काशी की तस्वीर इस झूठे दावे के साथ वायरल है कि ये मूर्ति 1400 साल पहले भारत में एक पल्लव राजा के समय में बनाई गई थी. दरअसल, ये कलाकृति कलाकार राउल क्रूज़ द्वारा बनाई गई थी. उन्होंने 2018 में इंस्टाग्राम पर ये तस्वीर अपलोड की थी.

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About the Author

Student of Economics at Presidency University. Interested in misinformation.