17 दिसंबर को, ओप इंडिया (OpIndia) ने “राजस्थान पुलिस ने असली घटना को ट्विटर पर ‘नकली खबर’ घोषित किया” शीर्षक से एक लेख प्रकाशित किया।

ओप इंडिया, ट्विटर यूजर @Ashok6510 को राजस्थान पुलिस के एक जवाब का जिक्र कर रहा था। इस यूजर ने एक विवाद का वीडियो इस कैप्शन के साथ ट्वीट किया था- “उटांबर में राजपूतों के घरों में घुस कर के मुस्लिम कार्यकर्ताओं ने बहन बेटियों पर हाथ डाला और घरों पर हमला किया 5 घंटो में ऐसी हालत तो 5 साल में कितना होगा अत्याचार।” अंतिम कुछ शब्दों में, उन्होंने हाल के राजस्थान चुनावों में कांग्रेस की जीत की ओर इशारा किया था।

राजस्थान पुलिस ने ट्वीट किया कि उस ट्वीट में पोस्ट किया गया वीडियो रांची, झारखंड का था। उन्होंने @Ashok6510 को चेतावनी देते हुए उनसे ट्वीट हटाने के लिए कहा। उन्होंने ट्वीट को हटा लिया, मगर उसका स्क्रीनशॉट नीचे देखा जा सकता है और आर्काइव लिंक तक यहां पहुंचा जा सकता है।

वह वीडियो अन्य सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा भी शेयर किया गया है।

झारखंड के रांची में जून 2018 में हुई घटना का वीडियो

@अशोक6510 द्वारा ट्वीट किया गया वीडियो वास्तव में जून 2018 की एक अलग ही घटना से संबंधित था जो झारखंड के रांची में हुई थी।

उस घटना की कई मीडिया संगठनों द्वारा खबर की गई थी। फर्स्टपोस्ट (Firstpost) की रिपोर्ट के मुताबिक “…10 जून को हिंदपीरी की जाम पड़ी मुख्य सड़क ईद बाज़ार में सांप्रदायिक संघर्ष हो गया, जब मोदी सरकार के चार साल का जश्न मनाने के लिए बाइक रैली निकाल रहे लोगों के एक समूह के साथ भीड़ की लड़ाई हो गई। किसी बाइक सवार ने कथित तौर पर एक महिला को टक्कर मारी, जिससे इस क्षेत्र में संघर्ष हुआ।” (अनुवाद)

इस रिपोर्ट में आगे कहा गया, “बाद में उसी शाम, राजधानी के बाहरी इलाके, नगरी में, मदरसा से लौट रहे दो मौलवियों पर हमला किया गया और कथित रूप से एक खास ‘भगवान’ के नाम का जाप करने के लिए मजबूर किया गया, जिससे साम्प्रदायिक जुनून की आग और भड़क गई।” (अनुवादित)

एक मंदिर में प्रतिबंधित मांस पाए जाने की अफवाह ने तनाव को और बढ़ाया, जिससे दो समुदायों के लोगों के बीच पत्थरबाजी हो गई।

झारखंड के उपरोक्त संघर्षों का वीडियो @Ashok6510 द्वारा राजस्थान में सांप्रदायिक हिंसा बताकर ट्वीट किया गया था। राज्य पुलिस ने इसका संज्ञान लिया और इसे नकली खबर कहा। @Ashok6510 ने बाद में राजस्थान पुलिस को जवाब दिया कि उन्होंने अपना ट्वीट हटा दिया है।

फिर भी, अपना ट्वीट हटाने के बावजूद, @Ashok6510 ने, राजस्थान पुलिस के बयान को अस्वीकार करने वाले ओप इंडिया के लेख को रीट्वीट किया। राजस्थान पुलिस को निशाना बना रहे अन्य ट्वीट्स भी उन्होंने रीट्वीट किए हैं।

ओप इंडिया ने दिसंबर की ऐसी ही घटना की दैनिक भास्कर की दो ख़बरों —1 और 2— का हवाला दिया। इसे अन्य सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा भी उठाया गया था। हालांकि इस मीडिया संगठन ने बाद में @Ashok6510 के ट्वीट को याद किया जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने अपना मूल ट्वीट हटा दिया था। एक ट्विटर यूजर ने @Ashok6510 के ट्वीट का एक स्क्रीनकास्ट भी पोस्ट किया।

बाद में ओप इंडिया ने अपनी कहानी में ‘अपडेट’ जोड़ा, जिसमें कहा गया कि @Ashok6510 द्वारा शेयर किया गया वीडियो “गलत” था, मगर संदेश सही था। ओप इंडिया ने @Ashok6510 के पूरे ट्वीट को संलग्न नहीं करने के लिए राजस्थान पुलिस को दोषी ठहराया- “जिसकी अनुपस्थिति में एक असली घटना नकली खबर के रूप में टैग की जा रही थी”।

यह अपडेट ओप इंडिया की रिपोर्ट को साबित करने के लिए अपर्याप्त है क्योंकि मीडिया संगठन ने ट्वीट से जुड़े केवल संदेश की ‘तथ्य-जांच’ की है, वीडियो की नहीं।

हालिया विधानसभा चुनावों के नतीजों ने उन राज्यों में, जहां कांग्रेस विजयी हुई है, हिंसा का दावा करने वाली गलत सूचनाओं को जन्म दिया है। हाल ही, राजस्थान में इस पार्टी के जीतने के बाद गुजरात के एक वीडियो को, राजस्थान में दंगा की घटना के रूप में शेयर किया गया था। ऐसे कई झूठे दावों (1, 2) में सुझाया गया कि कांग्रेस रैलियों में पाकिस्तानी झंडे लहराए व पाकिस्तान समर्थक नारे लगाए गए थे। जबकि राजस्थान पुलिस गलत सूचनाओं के प्रसार को रोकने की कोशिश कर रही है, वहीं ओप इंडिया, फर्जी न्यूज फैलाने वाले हैंडल के समर्थन में आगे आया। जब मीडिया संगठन खुद ही सत्य छुपाने का प्रयास करते हैं तो विघटनकारी सूचनाओं का चक्र तो चलता ही रहता है।

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About the Author

Pooja Chaudhuri is a researcher and trainer at Bellingcat with a focus on human rights and conflict. She has a Master's in Data Journalism from Columbia University and previously worked at Alt News.