“4 नवंबर 2018 से भारत ईरान से कच्चे तेल के बदले चावल निर्यात करेगा। पुराने बार्टर सिस्टम को एक आधुनिक रूप के साथ, अमेरिकी डॉलर पर हमारी निर्भरता कम होगी और हमारे भारतीय रुपये को एक नया जीवन मिलेगा। मोदी का जादू भारत को बदल रहा है!”(अनुवाद) ऐसा संदेश प्रीति गांधी ने पोस्ट किया है, जो खुद को ट्विटर पर ‘बीजेपी महिला मोर्चा की सोशल मीडिया राष्ट्रीय प्रभारी’ बताती हैं। प्रीति गांधी को ट्विटर पर 3,21,000 से अधिक लोग फॉलो करते है और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उन्हें फॉलो करते है।
Starting 4th November 2018, India will send rice to Iran in the exchange of crude oil. With this modern form of the old fashioned barter system, our dependence on the American dollar will be less and our Indian rupee will get a new life. Modi magic transforming India!
— Priti Gandhi (@MrsGandhi) October 15, 2018
झूठी समाचार वेबसाइट पोस्टकार्ड न्यूज ने इसे पीएम मोदी का ‘मास्टरस्ट्रोक’ बताते हुए एक लेख प्रकाशित किया, जिसे वेबसाइट के संस्थापक महेश विक्रम हेगड़े ने भी ट्वीट किया था।
दावा किया गया कि मोदी सरकार द्वारा व्यापार पर मुद्रा से जुड़े प्रतिबंधों को रोकने के लिए यह एक अनूठी पहल है जिसे फेसबुक पर कई अलग-अलग लोगो ने भी साझा किया है।
4 नवंबर से, ईरानी तेल क्षेत्र पर यू.एस. प्रतिबंध लागू हो जाएंगे, जिससे तेल समृद्ध राष्ट्र ईरान पर तेल के व्यापार में भुगतान सम्बन्धी मुश्किलें खड़ी होंगी। अमेरिका और ईरान के बीच संबंधों में गिरावट आई है क्योंकि यू.एस. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2015 में परमाणु समझौते से अमेरिका का नाम वापस ले लिया था, और तभी से उन्होंने ईरान पर आर्थिक प्रतिबंधों को दोबारा लागू कर दिया था। ख़बरों के अनुसार भारत सरकार ईरान के साथ रुपया आधारित तेल व्यापार पर विचार कर रही है और सत्तारूढ़ दल के समर्थक इस कदम को ‘Modi magic’ (मोदी का जादू) के रूप में पेश कर रहे है।
रुपया आधारित व्यापार प्रणाली कैसे काम करती है
ईरान पर पिछली प्रतिबंधों के चलते ईरान और भारत द्वारा वैकल्पिक भुगतान प्रणाली तैयार की गई थी। सरल कामकाज के लिए, ईरान रुपये में तेल निर्यात के लिए भुगतान स्वीकार करने पर सहमत हो गया था। भारतीय मुद्रा को चावल, कपड़ा, चाय, कॉफी और फार्मास्युटिकल उत्पादों को आयात करने के एवज़ में बदला सकता है। यह ध्यान देने योग्य बात है कि दोनों देशों के बीच चावल के एवज़ में तेल व्यापार के शाब्दिक अर्थ में अदल-बदल का व्यापार नहीं है।
2012 से रुपया आधारित प्रणाली
ईरान के साथ वाणिज्यिक विनिमय के लिए रुपया आधारित व्यापार प्रणाली मोदी सरकार की पहल नहीं है। वास्तव में, इसे पहली बार 2012 में पेश किया गया था जब ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों का उल्लंघन किया था।
टाइम्स ऑफ इंडिया, द हिंदू और लाइव मिंट ने दोनों देशों द्वारा रुपया आधारित भुगतान विनिमय का खबर रिपोर्ट किया था। फरवरी 2012 की एक रिपोर्ट में, लाइव मिंट ने भारत के तत्कालीन ईरानी राजदूत ने बताया था कि 45 प्रतिशत भुगतान भारतीय मुद्रा में होगा, जिसका उपयोग ईरान द्वारा भारत से आयात के लिए किया जाएगा।
मार्च 2013 में, रॉयटर्स की एक रिपोर्ट ने इस बात पर प्रकाश डाला था कि कैसे ईरान का तेल राजस्व भारतीय चावल निर्यातकों को अपने व्यापार को वापस बढ़ाने में मदद कर रहा था, जो प्रतिबंधों को लागू होने के कारण कम हो गया था।
यह विनिमय तंत्र 2015 तक लागू था। 2015 तक ईरानी तेल के लिए भुगतान रुपये में की जाती थी। 2015 में प्रतिबंधों के हटने के साथ, दोनों राष्ट्र विनिमय के पारंपरिक तरीके पर वापस आ गए थे।
ईरानी परमाणु उलझन और आर्थिक प्रतिबंध
ईरान इक्कीसवीं सदी के पहले दशक में अपने परमाणु सम्बन्धी कार्यक्रम को जोर-शोर से विकसित कर रहा था, इसके चलते यू.एस. और यूरोपीय संघ ने ईरान को आर्थिक मुश्किलों में डालने के इरादे से आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे।
ईरान पर सैन्य उपयोग के लिए गुप्त रूप से यूरेनियम को समृद्ध करने का आरोप था लेकिन ईरान ने बताते हुए कि यह कार्यक्रम पूरी तरह से नागरिक उद्देश्यों के लिए है, इस आरोप का पूरी तरह से इनकार किया है। देश के बैंकिंग क्षेत्र को 2012 में निशाना बनाया गया था- ईरान को स्विफ्ट से बाहर कर दिया गया था, स्विफ्ट वैश्विक लेनदेन नेटवर्क है जो विदेशी बैंकों के साथ सीमा पार लेनदेन की अनुमति देता है ।
संयुक्त अभियान की व्यापक योजना के तहत जिस गतिरोध को समाप्त कर दिया गया, एक ढांचेगत परमाणु समझौते के तहत ईरान और UNSC के पांच स्थायी सदस्यों, जर्मनी और यूरोपीय संघ (EU) ने विदेशों में जमे ईरानी पैसे व ईरानी तेल के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया था।
इस साल, (US) यू.एस. पुराने परमाणु समझौते से मुकर गया और प्रतिबंधों को दोबारा लागू कर दिया। इससे एक बार फिर भारत और ईरान के बीच एक व्यवस्था हुई है जो भारतीय मुद्रा के बदले ईरानी तेल के व्यापार की गारंटी देगा। ख़बरों के मुताबिक, भारत सरकार रूस और वेनेजुएला के साथ इसी तरह की व्यवस्था पर विचार कर रही है। प्रीती गांधी, पोस्टकार्ड न्यूज़ और कई सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं का यह दावा सच नहीं है, क्योंकि भारत ने 2012 से 2015 तक इस व्यापारिक तंत्र को अपनाया हुआ था जिससे पता चलता है की ईरान के साथ वाणिज्यिक विनिमय के लिए रुपया आधारित व्यापार प्रणाली मोदी सरकार की पहल नहीं है।
अनुवाद: चन्द्र भूषण झा के सौजन्य से
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