सोशल मीडिया पर फिलहाल कुछ ऐसे पोस्ट शेयर किये जा रहे हैं जिनमें दावा किया जा रहा है कि टाटा ग्रुप ने सिर्फ 17 महीनों में नया संसद भवन बनाया है और भारतीय बहुराष्ट्रीय टाटा ग्रुप ने इसके लिए सरकार से सिर्फ 1 रुपये का शुल्क लिया है. सोशल मीडिया यूज़र्स ने 28 मार्च को नये संसद भवन में पीएम नरेंद्र मोदी की यात्रा की तस्वीरों के साथ ये दावा शेयर किया.

ट्विटर यूज़र ‘@anandathirtharb’ ने एक पोस्ट में दावा किया, “नया संसद भवन. दो नए रिकॉर्ड. इसे महज 17 महीनों में बनाया गया था. टाटा ने इसे बनाया और सरकार को इसके लागत के रूप में सिर्फ 1 रुपये लगे. ये राष्ट्र को टाटा का उपहार है.” (आर्काइव)

एक और ट्विटर यूज़र @SHIVRAMVAIDYA ने भी यही दावा किया और कहा कि राष्ट्र को संसद भवन टाटा का उपहार है. (आर्काइव)

ये पोस्ट फ़ेसबुक पर भी शेयर किया गया है. फ़ेसबुक यूज़र्स विवेक जोशी ने दावा किया कि इसे 17 महीनों में बनाया गया था. हालांकि उन्होंने कहा कि “टाटा ने इसे 862 करोड़ रुपये में बनाया है. (आर्काइव)

New Parliament House
Two new records
It was built in merely 17 months
TATA bulit it for Rs. 862 Cr.

Posted by Vivek Joshi on Monday, 3 April 2023

फ़ैक्ट-चेक

गूगल पर की-वर्ड सर्च करने पर ऑल्ट न्यूज़ को नए संसद भवन की निर्माण लागत के बारे में कई रिपोर्ट्स मिलीं. द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, TATA प्रोजेक्ट्स ने 2020 में L&T को पछाड़कर नये संसद के निर्माण का ठेका हासिल किया था. TATA ग्रुप की कंपनी ने शुरू में 861.9 करोड़ रुपये में परियोजना को निष्पादित करने की पेशकश की थी जो L&T (865 करोड़) की तुलना में सिर्फ 3.1 करोड़ रुपये कम थी. यानी, ये दावा झूठा है कि नए संसद भवन के निर्माण के लिए टाटा ने सरकार से सिर्फ 1 रुपये चार्ज किया है.

हालांकि, NDTV की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नए संसद भवन की कुल लागत 2022 में 29% बढ़कर ₹1250 करोड़ हो गई थी. नया संसद भवन जो सरकार की प्रमुख सेंट्रल विस्टा परियोजना का मुख्य आकर्षण है, शुरू में ये अनुमान था कि 2022 में देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस से पहले ये बन जाएगा.

और मीडिया आउटलेट्स ने भी इस मुद्दे पर रिपोर्ट पब्लिश की है. न्यूज़ रिपोर्ट्स का एक स्क्रीनशॉट नीचे अटैच किया गया है.

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर सरकारी वेबसाइट के मुताबिक, विकास और पुनर्विकास कार्यों के लिए कुल 20,000 करोड़ की राशि का अनुमान लगाया गया है जिसमें नया संसद भवन और अन्य ब्लॉक भी शामिल हैं.

हालांकि, वेबसाइट में ये ज़िक्र किया गया है कि “अभी तक, 862 करोड़ की निविदा लागत वाली नई संसद भवन की सिर्फ 2 परियोजनाओं और 477 करोड़ की निविदा लागत वाले सेंट्रल विस्टा एवेन्यू के पुनर्विकास को सम्मानित किया गया है. साथ ही इसका काम चल रहा है.” सरकार ने अभी तक वेबसाइट को इमारत की निर्माण लागत में हुई बढ़ोतरी के संशोधित वर्ज़न के साथ अपडेट नहीं किया है.

प्रेस इनफ़ॉर्मेशन ब्यूरो की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिसंबर 2020 में परियोजना की आधारशिला रखी थी और इसका निर्माण जनवरी 2021 में शुरू हुआ था. जनवरी 2023 में, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने राष्ट्रपति को जानकारी दी कि नया संसद भवन बन ही रहा है. इससे ये साबित होता है कि निर्माण कार्य वायरल दावे में बताए गए “17-महीने” के अवधि से आगे बढ़ गया है.

सेंट्रल विस्टा वेबसाइट से पता चलता है कि निर्माण अभी भी चल रहा है. नए संसद भवन की परियोजना को एक “सक्रिय परियोजना” के रूप में सूचीबद्ध किया गया है जिसका मतलब है कि निर्माण अभी भी चल रहा है.

दावे के संबंध में ऑल्ट न्यूज़ ने टाटा प्रोजेक्ट्स से जुड़े अधिकारियों से संपर्क किया. ईमेल के ज़रिए हमारे सवाल का जवाब देते हुए टाटा प्रोजेक्ट्स के अधिकारियों ने बताया कि वायरल दावा महज एक अफ़वाह है.

कुल मिलाकर, सोशल मीडिया पर कई वायरल पोस्ट्स के ज़रिए ये ग़लत दावा किया गया कि टाटा ग्रुप ने 17 महीने के भीतर नया संसद भवन बनाया था और MNC ने निर्माण लागत के रूप में सरकार से सिर्फ 1 रुपये लिए थे. हालांकि, फ़ैक्ट-चेक करने पर, ये पता चला कि टाटा प्रोजेक्ट्स ने अब तक नयी बिल्डिंग के निर्माण के लिए 1250 करोड़ से ज़्यादा शुल्क लिया है. इसके अलावा, जनवरी 2021 में शुरू हुआ निर्माण अभी भी चल रहा है और ये वायरल दावों में बताए गए “17 महीने” की अवधि को पार कर चुका है.

अबिरा दास ऑल्ट न्यूज़ में इंटर्न हैं.

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