“डरावनी खबर – हिन्दुओ का क़त्ल कर उनका मांस खा रहे रोहिंग्या, मेवात का मामला, खबर विचलित कर सकती है” यह शीर्षक फर्जी समाचार वेबसाइट दैनिक भारत द्वारा 18 दिसंबर, 2018 को प्रकाशित एक लेख का है। इस लेख के साथ मृत शरीरों के अंग अलग करते लोगों को दिखलाने वाली तस्वीरें थीं।
यह रिपोर्ट इस दावे के साथ पेश की गई है कि मुख्यधारा के मीडिया इस समाचार को दबा रहे हैं, लेकिन हरियाणा के एक स्थानीय समाचार पत्र ने इस बारे में खबर छापी है।
दैनिक भारत के लेख में एक सोशल मीडिया यूजर का फेसबुक पोस्ट भी दिया गया है, जिसमें ‘आज तक गुड़गांव’ अख़बार की क्लिप शेयर की गई है। इस क्लिप के अनुसार, हरियाणा के मुस्लिम बहुल क्षेत्र मेवात में रोहिंग्या शरणार्थी ‘हिंदुओं का मांस खा रहे’ हैं।
ऑल्ट न्यूज़ को इस रिपोर्ट का ऑनलाइन संस्करण मिला, जिसमें कहा गया है, “हिंदुओं का मांस खाने वालों को मिली मेवात में पनाह”। ध्यान रहे कि ‘आज तक गुड़गांव’, ‘इंडिया टुडे’ ग्रुप के ‘आज तक’ का हिस्सा नहीं है।
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दिल्ली उच्च न्यायालय के वकील प्रशांत पटेल उमराव ने भी ऐसा ही एक दावा ट्वीट किया, जिसमें मेवात को ‘हरियाणा का मिनी पाकिस्तान’ कहा गया है। उमराव को गलत सूचनाएं फैलाते हुए कई बार पकड़ा गया है। ऐसे उदाहरणों का एक संकलन यहां पढ़ा जा सकता है।
Rohinyas who are given shelter by peaceful in Mewat (Mini Pakistan of Haryana) are eating flesh of Hindus & doing all crimes.
40K Rohingyas in Bharat, have become big threat to internal security, still no action till date.
— प्रशान्त पटेल उमराव (@ippatel) December 17, 2018
यह तस्वीर ‘हिंदुओं का मांस खा रहे रोहिंग्या’ की नहीं है
गूगल के रिवर्स इमेज सर्च का उपयोग करते हुए, इंटरनेट पर इस तस्वीर की खोज की गई तो सर्च रिजल्ट में सबसे शुरुआती उदाहरणों में से एक, अक्टूबर 2009 में लिखे गए एक ब्लॉग पोस्ट मिला। इस ब्लॉग के मुताबिक, यह तिब्बती लोगों के अंतिम संस्कार को दिखलाती तस्वीर है जो अपने मृत शरीर को जंगली पक्षियों को खिलाने में विश्वास करते हैं।
इसके अलावा, हमें यह तस्वीर, इसी संदेश के साथ एक फेसबुक पेज พระ มหา ไพร วัลย์ วร ว ณฺ โณ (Phramaha Paiwan/ फ्रामहा पैवान) द्वारा भी 14 अगस्त, 2014 को पोस्ट की गई मिली। एक और हैंडल @damnitbennnnnn_ ने भी इस तस्वीर को इस संदेश के साथ ट्वीट किया था- ‘this is tibetan people’s ‘sky burial’ – ‘यह तिब्बती लोगों का ‘आकाश दफन’ है।’ (अनुवाद)
तिब्बती लोगों के अंतिम संस्कार के कई यूट्यूब वीडियो दिखलाते हैं कि मृत शरीरों को टुकड़ों में काटा और मुर्दाखोर पक्षियों को खिलाया जाता है।
इस वीडियो में, 1:16वें मिनट में, शवों को विघटित करते गिद्धों को देखा जा सकता है। नीचे कोलाज में, बाईं ओर की दो तस्वीरें, वायरल तस्वीरों में से ली गई हैं, जबकि दाईं ओर वाली एक तस्वीर, वीडियो की है। अंतिम संस्कार अनुष्ठान में गिद्धों की उपस्थिति को दिखलाने के लिए इन्हें एक साथ जोड़ा गया है। यह पुष्टि करता है कि वायरल तस्वीरें तिब्बती अंतिम संस्कार अनुष्ठान की हैं, ‘हिंदुओं का मांस खा रहे रोहिंग्या’ की नहीं हैं।
(Tibetan Sky Burial) तिब्बती आकाश दफन, मृतकों की विदाई का पारंपरिक अंतिम संस्कार रिवाज है। यह तिब्बती बौद्ध धर्म में मांस और अंगों को हड्डियों से अलग करने के अभ्यास का एक प्रकार है। इस प्रथा के अनुसार, एक मृत मानव शरीर को मुर्दाखोर पक्षियों के लिए पहाड़ पर रखा जाता है। ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन द्वारा प्रकाशित एक लेख में कहा गया है, “तिब्बती इसे ब्रह्मांड के लिए आखिरी उपहार के रूप में देखते हैं — पृथ्वी पर हमारे जीवन के निरर्थकता और नश्वरता को दिखलाने का एक तरीका।” (अनुवाद)
‘आज तक गुड़गांव’ ने तिब्बती अंतिम संस्कार अनुष्ठान की एक असंबद्ध तस्वीर, ‘हिंदुओं का मांस खा रहे रोहिंग्या’ बतलाने के लिए प्रकाशित की है। पहले भी, रोहिंग्या मुस्लिमों द्वारा हिंदुओं को काटने और खाने के रूप में एक खून से सने वीडियो को शेयर किया गया था।
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