मार्च की शुरुआत में कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने एक मेसेज शेयर किया जिसमें कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने सैनिकों के लिए इज़राइल से जूते खरीदे जिनकी कीमत 25 हज़ार रुपये प्रति जोड़ी थी. इस दावे के मुताबिक, ये जूते इज़राइल को जयपुर की एक कंपनी निर्यात करती थी और इसकी शुरुआती कीमत 2200 रुपये पड़ती थी. लेकिन सरकार इसे सीधे भारतीय कंपनी से खरीदने के बजाय इज़राइल से आयात करती थी. इस दावे में आगे कहा गया है कि अक्टूबर 2014 से मार्च 2017 तक रक्षा मंत्री पद पर रहे दिवंगत नेता मनोहर पर्रिकर ने इस खरीद में हो रही गड़बड़ी को नोटिस किया.
ट्विटर हैंडल @JatinMakol और @MJ_007Club ने ये पूरा मेसेज एक ट्वीट थ्रेड में लिखा और दोनों ट्वीट को मिलाकर 10,000 से ज़्यादा बार रीट्वीट किया गया.
A shoe manufacturing company based in Jaipur makes shoes for Indian Army. But instead of selling it directly it used to export it to Israel. From where Indian Army purchase at about 10 times higher cost….. This practice was going on for decades. (1/5) pic.twitter.com/Szqtl9ho3g
— Jatin Makol (@JatinMakol) March 5, 2021
कई फ़ेसबुक और ट्विटर यूज़र्स ने यही दावा किया.
फ़ैक्ट-चेक
ये दावा नया नहीं है बल्कि साल 2016 से ही किया जाता रहा है. ABP न्यूज़ ने 2017 में इसे ग़लत बताते हुए सच्चाई बताई थी.
ABP न्यूज़ रिपोर्टर नीरज राजपूत बेंगलुरु के इंजीनियरिंग रेजिमेंट गए थे और पता चला था कि भारतीय सेना में 6 तरह के जूते पहने जाते हैं. इनमें से केवल ऐंटी-माइन शूज़ और सियाचिन बूट्स ही बाहर से आयात किये जाते हैं.
1. सबसे ज़्यादा उपयोग में लाया जाने वाला जूता है हाई एंकल डीएमएस. ये जूता सैनिक और ऑफ़िसर्स, दोनों पहनते हैं. भारतीय सेना सैनिकों को ये जूते मुहैया कराती है जबकि ऑफ़िसर्स को खुद लेना पड़ता है. ये जूते 1000 रुपये की कीमत पर भारत में ही बनाये जाते हैं.
2. कैनवस या पीटी शूज़ दो तरह के होते हैं. सफ़ेद रंग वाले जूते JCO और ऑफ़िसर्स पहनते हैं और भूरे जूते सैनिक पहनते हैं. ये जूते भी भारत में ही बनाये जाते हैं.
3. स्नो बूट्स बर्फ़ीले क्षेत्रों में पहने जाते हैं. ये जूते रबर से बने होते हैं और भारत में ही बनते हैं.
4. जंगल बूट्स सैनिक और ऑफ़िसर्स, दोनों पहनते हैं. इन्हें रक्षा मंत्रालय के रक्षा निर्माण विभाग के तहत कार्यरत एजेंसी ऑर्डिनेन्स फ़ैक्ट्री बोर्ड ये जूते उपलब्ध करवाती है.
5. ऐंटी माइनिंग बूट्स बाकी जूतों से अलग होता है. इसे रेतीली माइन्स (बारूदी सुरंग) वाले इलाके में पहना जाता है. इसकी कीमत करीब 1 लाख होती है. ABP के मुताबिक, इनका कॉन्ट्रैक्ट 2008 में रद्द कर दिया गया था और 2013 में दोबारा बातचीत शुरू की गयी. द इंडियन एक्सप्रेस की 2015 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ज़ेक रिपब्लिक का ज़ेमान टेक्नोग्रुप SRO भारत के लिए ये जूते बनाता था.
6. सियाचिन बूट्स ऊंचे और बर्फ़ीले क्षेत्रों में पहने जाते हैं. उन्हें इटली से मंगवाया जाता है जिनकी कीमत 11,000 रुपये होती है. इटली से पहले इन्हें स्वीडन से मंगवाया जाता था.
2017 में रक्षा मंत्रालय और सरकार के स्रोतों ने ABP को बताया कि वायरल दावे में लिखी बातें निराधार हैं.
ऑर्डिनेन्स फ़ैक्ट्री बोर्ड, कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन के डिप्टी महानिदेशक गगन चतुर्वेदी ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया कि भारतीय सेना में 7 तरह के गैर-विशिष्ट जूते पहने जाते हैं:
1. बूट हाई एंकल DVS
2. बूट हाई एंकल DMS
3. बूट हाई एंकल डूअल डेंसिटी
4. पीटी शू
5. बूट मल्टी पर्पस (SCME आइटम)
6. बूट स्नो (ECC आइटम )
7. जंगल बूट
उन्होंने आगे बताया, “OFB फ़िलहाल भारतीय सेना के लिए बूट हाई एंकल DVS का निर्माण करती है (OFB की सूची देखें).” OFB पहले और जूते भी बनाती थी. वायरल तस्वीर में जो बूट्स दिख रहे हैं वो OFB द्वारा नहीं बनाये गए हैं.”
वायरल इमेज में जो बूट्स हैं, उनपर लिखा है, “Para Commando by Weather Proof Dehradun.” हमने OFB कैटेलॉग पर मिले जूते की तस्वीर की तुलना इस वायरल इमेज से की और पाया कि दोनों ही हाई एंकल बूट्स हैं और एक जैसे दिखते हैं. कर्नल राजेंद्र भादुड़ी (रिटायर्ड) ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया, “सभी हाई एंकल बूट्स एक जैसे होते हैं. बस उनके शू लेस का फ़र्क होता है. एक दशक से भी ज़्यादा समय से भारतीय कंपनियां ही सैन्य सामग्री जैसे जूते और बेल्ट का निर्माण करने लगी हैं. इसी के कारण इन जूतों में थोड़े-बहुत अंतर देखे जा सकते हैं जिनमें बाज़ार में उपलब्ध हाई एंकल बूट्स भी शामिल हैं.”
द टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने 2016 में रिपोर्ट किया था कि इज़राइल की कंपनी नोगा ईनैट ने मिलिट्री बूट्स बनाने के लिए कानपुर के रहमान इंडस्ट्रीज़ से पार्टनरशिप की थी. नोगा ईनैट की वेबसाइट के मुताबिक ये कंपनी 7 दशकों से भी ज़्यादा समय से इन उत्पादों का निर्माण कर रही है और इज़राइल डिफ़ेंस फ़ोर्सेज़ में बड़े स्तर पर जूते सप्लाई करती है. वेबसाइट पर आगे लिखा है, “कंपनी भारत के अच्छे निर्माताओं के साथ पार्टनरशिप में है.” पाठक ध्यान दें कि ये कंपनी भारत में जूते निर्यात नहीं करती.
कुल मिलाकर, करीब 5 सालों से एक ग़लत दावा चलता आ रहा है कि कांग्रेस-UPA सरकार भारतीय सेना के जूते आयात करने में घोटाला करती थी. इस दावे की सच्चाई ABP न्यूज़ ने 2017 में बताई थी, इसके बावजूद लोग इसे दोबारा शेयर कर रहे हैं. ऑल्ट न्यूज़ ने भी स्वतंत्र तौर पर अपने फ़ैक्ट-चेक में इस दावे को ग़लत पाया. दिसम्बर 2020 में भी ऑल्ट न्यूज़ ने ऐसे ही एक अन्य दावे का फ़ैक्ट-चेक किया था जब कहा गया था कि भारत पहले चीन से सेना की वर्दी आयात करता था.
वायरल मेसेज का पूरा टेक्स्ट कुछ यूं है:
“जयपुर की एक जूता बनाने वाली कंपनी भारतीय सेना के लिए जूते बनाती है. लेकिन इसे यहां बचने के बजाय इज़राइल निर्यात कर दिया जाता था. उसके बाद भारतीय सेना इन्हें करीब 10 गुना ज़्यादा दाम पर खरीदती थी… ऐसा दशकों से चलता आ रहा था. जब तत्कालीन रक्षामंत्री मनोहर पर्रीकर को ये बात पता चली तो उन्होंने फ़ौरन कंपनी के सीईओ को कॉल किया. उसने बताया कि पहले जूते सीधे भारतीय सेना को बेचे जाते थे लेकिन इस दौरान भारी-भरकम पैसे टेंडर में, सैंपल पास करने, ऑर्डर देने, गुणवत्ता जांचने, रकम अदायगी और इसके प्रक्रम जैसे कामों में ‘काट’ लिए जाते थे…जिसमें कई महीने लगते थे और भ्रष्टाचार होता था. इसलिए कंपनी ने जूते इज़राइल की कंपनी को निर्यात करना शुरू कर दिया. मनोहर पर्रिकर ने सीईओ से जूते दोबारा भारतीय आर्मी को सप्लाई करने कहा और साथ ही कहा कि अगर एक दिन भी देरी होती है या किसी प्रोसेस में कोई पैसे काटता है तो उन्हें कॉल करे. इसी के बाद अब हमें वही जूते 2200 रुपये के मिल रहे हैं जिन्हें UPA सरकार 25000 रुपये प्रति जोड़ी कीमत पर खरीदती थी. कोई अचरज नहीं है कि कांग्रेस चौकीदार चोर है बोलती है… मुझपर विश्वास नहीं है तो RTI डालो और सच पता करो. देश आपको याद करता है आदरणीय @manoharparrikar ji.”
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