दिल्ली में CAA के ख़िलाफ़ चल रहे प्रदर्शनों के विरोध में शुरू हुए एक और प्रदर्शन ने धीरे-धीरे हिंसक रूप ले लिया. 24 फ़रवरी को दोनों खेमों के बीच शुरू हुई पत्थरबाज़ी ने दिन ढलते ढलते गोलियां चलती देखीं और घरों, दुकानों को आग के हवाले किया गया. 4 दिन बीत जाने पर भी हालात सामान्य नहीं हुए हैं. 40 के आस-पास लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं. इस सब के बीच सोशल मीडिया का बाज़ार बेहद गर्म है. तमाम एजेंडे पुश किये जा रहे हैं. इसी दौरान एक तस्वीर सोशल मीडिया में वायरल हुई है. इसमें एक पुलिसकर्मी को पत्थर फेंकते हुए देखा जा सकता है. बता दिया जाए कि हिंसा के दौरान पुलिस के रोल पर भी कई सवाल उठे हैं. 26 फ़रवरी को फ़ेसबुक पेज ‘रवीश कुमार Ndtv’ ने तस्वीर शेयर करते हुए दावा किया कि दिल्ली पुलिस दंगों के दौरान दंगाईयों का काम रही है.

सोशल मीडिया में इस तस्वीर को उस वक़्त शेयर किया जा रहा है जब कुछ वीडियोज़ और रिपोर्ट्स में दंगों के दौरान पुलिस की सक्रिय भूमिका की बात की जा रही है. ऑल्ट न्यूज़ ने एक वीडियो की पुष्टि कर ये साबित किया कि पुलिस द्वारा कुछ लोगों की पिटाई कर उन लोगों को राष्ट्रगान गाने के लिए मजबूर करने का वीडियो असली है. इस वीडियो को जाफ़राबाद में हुई हिंसा के दौरान रिकॉर्ड किया गया था.

ये तस्वीर उसी दावे के साथ एक और फ़ेसबुक पेज ने पोस्ट की है.

फ़ैक्ट चेक

गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने से मालूम हुआ कि ये तस्वीर उत्तर प्रदेश के लखनऊ की है. ये तस्वीर 19 दिसंबर, 2019 को खींची गयी थी. वेबसाइट ‘स्क्रॉल’ की एक रिपोर्ट में ये तस्वीर प्रकाशित की गई थी. रिपोर्ट में तस्वीर के साथ दिए गए कैप्शन में बताया गया है कि 19 दिसंबर को लखनऊ में पुलिस ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पत्थरबाज़ी की थी. रिपोर्ट में तस्वीर का क्रेडिट अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी ‘AFP’ को दिया गया है.

इस तस्वीर को ब्रिटिश मीडिया संगठन ‘स्काई न्यूज़’ ने भी अपनी 19 दिसंबर, 2019 की रिपोर्ट में प्रकाशित किया था. रिपोर्ट में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ़ देश भर में चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बारे में बताया गया था.

इस प्रकार हमें ये मालूम पड़ता है कि दिल्ली में पुलिसवालों के पत्थर फ़ेंकने के नाम पर जो तस्वीर वायरल हो रही है, वो असल में लखनऊ में चले CAA प्रदर्शन के दौरान की तस्वीर है. सोशल मीडिया पर चल रहे ऐसे सभी दावे झूठे हैं.

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About the Author

Jignesh is a writer and researcher at Alt News. He has a knack for visual investigation with a major interest in fact-checking videos and images. He has completed his Masters in Journalism from Gujarat University.