देश की राजधानी दिल्ली सांप्रदायिक हिंसा से जूझ रही है. 40 के क़रीब लोगों की मौत हो चुकी है. सैकड़ों लोग घायल हुए हैं. क़रीब 600 से ज़्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है. हिंसा के इर्द-गिर्द राजनीति भी चरम पर है. हर ख़ेमे के लोग अपने-अपने एजेंडा को आगे बढ़ाने की फ़िराक़ में हैं. इस चक्कर में कितने ही लोगों ने ग़लत ख़बरें, भ्रामक जानकारियां फैलाईं. कितने ही मेसेज, तस्वीरें, वीडियो वगैरह सोशल मीडिया पर फैल रहे हैं. ऑल्ट न्यूज़ लगातार इन मेसेजेज़, तस्वीरों, वीडियोज़ की पड़ताल कर रहा है और इनकी सच्चाई आप तक ला रहा है.
इसी क्रम में हमें दिखाई दिया एक ट्वीट जो कि किया गया था सुदर्शन टीवी के एडिटर सुरेश चव्हाणके द्वारा. सुरेश ने असल में एक ट्वीट को रीट्वीट किया था. ओरिजिनल ट्वीट था ट्विटर हैंडल @Satynistha से.
सुरेश चव्हाणके तंज़ कसते हुए कहते हैं कि अब कोई ये न कहने लगे कि कपिल मिश्रा ने फ्रांस में भाषण दिया इसलिए वहां भी दंगा भड़क गया. अगले वाक्य में वो बिना किसी एक सम्त का नाम लिए हुए कहते हैं कि आर्थिक बहिष्कार एकमात्र उपाय है. ये संकेत समझ में आ जाता हैजब आप @Satynistha हैंडल से किये गए ट्वीट को देखते हैं. उसमें एक हैशटैग का इस्तेमाल किया गया है जो कि इस्लामिक जिहाद की ओर इशारा करता है. चव्हाणके द्वारा इस्तेमाल किया गया फ़्रेज़ ‘आर्थिक बहिष्कार’ एक अरसे से कट्टर हिंदूवादी रवैया अपनाने वाले ख़ेमे का बहुत बड़ा कीवर्ड रहा है. ये लोग इस बात में घोर विश्वास रखते हैं कि मुस्लिम धर्म से ताल्लुक रखने वाले लोगों का आर्थिक बहिष्कार करते हुए उन्हें समाज से काटने की कोशिश की जानी चाहिए. (सुरेश का आर्काइव किया हुआ ट्वीट)
अब बोलो @KapilMishra_IND ने फ़्रांस में भी भाषण दिया था इस लिए वहाँ दंगा भड़का! एक ही उपाय #आर्थिक_बहिष्कार https://t.co/pl0qD7WPjl
— Suresh Chavhanke “Sudarshan News” (@SureshChavhanke) February 29, 2020
ऑल्ट न्यूज़ ने सुरेश चव्हाणके का ट्रैक रिकॉर्ड ध्यान में रखते हुए इस वीडियो की असलियत पता लगाने की शुरुआत की.
फ़ैक्ट चेक
सबसे पहले, चूंकि ट्वीट में लिखा हुआ था, हमने गूगल पर ढूंढा – Fire in france. यहीं पर हमें सफ़लता मिल गई. यूके स्थित डेली एक्सप्रेस की वेबसाइट का एक लिंक हमें मिला. मालूम पड़ा कि ये पेरिस के एक ट्रेन स्टेशन के पास 28 फ़रवरी, 2020 की घटना है. ट्रेन स्टेशन का नाम है ‘गेह दि ल्यों’ (Gare de Lyon).
इसके बाद इस घटना की पूरी जानकारी और इसकी वजह हमें बीबीसी के एक आर्टिकल से मिली. इसमें बताया गया है कि जिस जगह की ये घटना है, वहां पास ही में कॉन्गो के एक आर्टिस्ट फ़ैली इपुपा का कॉन्सर्ट चल रहा था. कॉन्सर्ट के बाहर कुछ प्रदर्शनकारी मौजूद थे जो कि इस कॉन्सर्ट के ख़िलाफ़ थे क्यूंकि माना जाता है कि फ़ैली की कॉन्गो की सरकार से काफ़ी नज़दीकियां हैं. प्रदर्शनकारी कॉन्गो की सरकार के भी ख़िलाफ़ थे और लगातार हर उस म्यूज़िशियन की मुख़ालफ़त करते रहे हैं जो यूरोप में आकर परफ़ॉर्म करने की कोशिश करता आया है. 2011 में भी फ़ैली इपुपा का एक कॉन्सर्ट इन्हीं वजहों से कैंसिल हुआ था. 28 फ़रवरी का ये कॉन्सर्ट कॉन्गो के म्यूज़िशियन्स के लिहाज़ से बेहद ज़रूरी था क्यूंकि इसके सफ़ल होने से ही बाकी म्यूज़िशियन्स के भी यूरोप में परफॉर्म करने के रास्ते खुल सकते थे. इस पूरे राजनीतिक समीकरण के लिहाज़ से पुलिस भी चाक-चौबस्त थी और प्रदर्शनकारियों को पहले ही माहौल गरम न करने की चेतावनी दे चुकी थी. इसी दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़प शुरू हुई और इतने में ही किसी एक प्रदर्शनकारी ने स्टेशन के पास खड़े एक स्कूटर में आग लगा दी. ये आग फैली और एक कार भी इसकी चपेट में आ गई. इसके बाद आग ने विकराल रूप धारण कर लिया और आनन-फ़ानन में पुलिस को स्टेशन खाली करवाना पड़ा.
यूट्यूब पर भी जब हमने फ़ैली इपुपा की कॉन्सर्ट के बारे में सर्च किया तो हमें एक वीडियो मिला जो कि इस घटना के वायरल हो रहे वीडियो के साथ और भी एंगलों से लिए गए अलग-अलग वीडियो दिखाता है.
ये सारा प्रकरण दुनिया भर की न्यूज़ एजेंसीज़ ने कवर किया है. लेकिन शायद सुरेश चव्हाणके तक ये ख़बर नहीं पहुंची और उन्होंने फ्रांस की इस कॉन्गो की सरकार के विरोध में हुई घटना का वीडियो मुस्लिम विरोधी एंगल से ट्वीट किया और एक पूरी कौम के आर्थिक बहिष्कार का उद्घोष भी कर डाला. सुरेश चव्हाणके को उनके कथित राष्ट्रभक्तपने के लिए जाना जाता है और हर ख़ेमे में वो अपनी अद्वितीय स्क्रीन प्रेज़ेंस के लिए जाने जाते हैं. इस मामले में भी उनका ये ट्वीट, इसका संदर्भ और इससे जुड़ी उनकी हर एक बात ग़लत पायी गई है.
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