यूक्रेन के बॉर्डर पर दो महीने से चल रहे विवाद के बाद, रूस ने 24 फ़रवरी को एक विशेष सैन्य हमले की घोषणा की. हमले की वज़ह से हुई मौत और स्थानांतरण के बीच, कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही हैं. इन तस्वीरों में लंगर की व्यवस्था दिख रही है.

कुछ यूज़र्स ये तस्वीरें शेयर करते हुए दावा कर रहे हैं कि इस्कॉन मंदिर ने मुसीबत में फंसे लोगों के लिए अपने दरवाज़े खोल दिए हैं. दावे के साथ पोस्ट की गई तस्वीर में लोगों को खाना खिलाया जा रहा है.

ये तस्वीर फ़ेसबुक पर भी वायरल है.

फ़ैक्ट-चेक

ऑल्ट न्यूज़ ने देखा कि दोनों तस्वीरें पुरानी हैं और इनका यूक्रेन-रूस विवाद से कोई सबंध नहीं हैं. आर्टिकल में हम एक-एक करके इन तस्वीरों की असलियत आपको बतायेंगे.

पहली तस्वीर

लंगर की पहली तस्वीर में फ़ूड ट्रक पर ‘गुरु नानक का लंगर’ लिखा है. इस आधार पर हमने ट्विटर पर सर्च किया और हमें 2016 के एक ट्वीट में ये तस्वीर मिली.

हमें 2016 का एक और ट्वीट भी मिला जिसमें बताया गया था कि तस्वीर कनाडा की हो सकती है.

ऊपर दी गई तस्वीर में ‘सेवा सोसाइटी’ के फ़ेसबुक पेज के लिंक के साथ लंगर सेवा का एक पोस्टर है. हमने फ़ेसबुक पर सिख सेवा सोसाइटी सर्च किया और देखा कि उन्होंने एक बयान जारी कर ये स्पष्ट किया था कि ये तस्वीर 2016 की है और वे फ़िलहाल कनाडा के बाहर कोई सेवा नहीं प्रदान करते हैं.

It has recently been brought to the boards attention that a picture of Sikh Sewa Society’s mobile kitchen has been…

Posted by Sewa Meals for Humanity – Sikh Sewa Society on Sunday, 27 February 2022

हालांकि, ये तस्वीर पुरानी है लेकिन सिख समुदाय ने यूक्रेन से पोलिश बॉर्डर जाने वाले छात्रों के लिए कथित तौर पर “ट्रेन में लंगर” का आयोजन किया है.

दूसरी तस्वीर

जहां तक ​​इस्कॉन भक्तों की तस्वीर का सवाल है, हमने ये तस्वीर गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च की. और हमें 2019 के एक ब्लॉग पोस्ट में ये तस्वीर मिली. तस्वीर को एक नए टैब में खोलने पर हमने URL में देखा कि तस्वीर असल में साल 2015 में पोस्ट की गई थी.

फिर हमने तस्वीर के EXIF ​​डेटा की जांच की और EXIF ​​​​डेटा के मुताबिक, इसे 29 मार्च 2015 को जीवन विल्होइट ने क्लिक किया था.

इस्कॉन के उपाध्यक्ष और प्रवक्ता राधारमण दास का एक ट्वीटर थ्रेड भी मिला जिसमें उन्होंने बताया कि यूक्रेन में इस्कॉन मंदिरों के दरवाज़े मुसीबत में फंसे लोगों के लिए खुले हैं. इस थ्रेड में खाना परोसने वाले इस्कॉन वालंटियर की एक वायरल तस्वीर भी शामिल है.

राधारमण दास ने एक और ट्वीट करते हुए कहा कि इस्कॉन के वालंटियर ने चेचन्या युद्ध के दौरान भी ज़रूरतमंद लोगों को भोजन परोसा था.

उनके ट्वीट की दूसरी तस्वीर इस्कॉन की वेबसाइट पर मौजूद है और इसे 2015 में अपलोड किया गया था.

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संभव है कि राधारमण दास ने यूक्रेन में इस्कॉन मंदिर मुसीबत में फंसे लोगों के लिए खुले होने की घोषणा के दौरान जिस तस्वीर का इस्तेमाल किया, इसे ग़लत समझा गया और तस्वीर को हाल ही का माना गया.

लेकिन सिख समुदाय और इस्कॉन दोनों ने कथित तौर पर यूक्रेन में लोगों की सेवा के लिए कदम बढ़ाया है.

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Kalim is a journalist with a keen interest in tech, misinformation, culture, etc