“पाक से अपनी ज़मीन को आज़ाद कराने के लिए सैकड़ों कश्मीरियों ने कल पाक अधिकृत कश्मीर में सड़क पर प्रदर्शन किया। एक कश्मीरी ने इस वीडियो को पूरी दुनिया में फैलाने का अनुरोध किया है क्योंकि भारतीय मीडिया में इतनी बड़ी रैली को कवर नहीं किया है”-(अनुवाद)।
उपरोक्त संदेश को एक वीडियो के साथ सोशल मीडिया प्लेटफार्म में साझा किया गया है, जिसमें कुछ मुस्लिम समुदाय के लोगों को इकठ्ठा हुए देखा जा सकता है। यह वीडियो 1:25 मिनट का है। वीडियो में, एक व्यक्ति हरे रंग का झंडा जलाकर हिंदुस्तान ज़िंदाबाद और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगा रहा है। कथन के मुताबिक, यह वीडियो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) का है, जिसमें कश्मीरी लोग भारत सरकार के अनुच्छेद 370 पर लिए गए फैसले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ खड़े हुए है।
Fwd as received
Hundreds of thousands Kashmiris took street yesterday in Pak occupied Kashmir to liberate their land from Pak.. One of Kashmiris requested to spread this video all over the world as Indian media did not cover such a huge rally…. pic.twitter.com/r53Mp2SDs9
— Uma garghi⤴️🇮🇳 (@umagarghi) August 12, 2019
ट्विटर के अलावा, इस वीडियो को समान दावे के साथ फेसबुक पर भी व्यापक रूप से साझा किया जा रहा है।
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि यह वीडियो तमिल संदेश के साथ भी प्रसारित है, जिसमें समान दावा किया गया है।
तथ्य जांच
इस दावे की पड़ताल करने के लिए, ऑल्ट न्यूज़ ने गूगल पर ‘Indian muslims burn Pakistani’ कीवर्ड्स से सर्च किया और हमें यूट्यूब पर 2017 में अपलोड किया गया समान वीडियो मिला। आगे सर्च करने पर हमें यही वीडियो सितम्बर 2016 में अपलोड किया हुआ मिला।
ऑल्ट न्यूज़ को इस वीडियो के साथ किये गए दावे के बारे में कुछ जानकारी नहीं मिली है, सिवाय इसके कि यह वीडियो 30 सितंबर 2016 में अपलोड किया गया था। यहां ध्यान दिया जा सकता है कि सितंबर 2016 में 17 भारतीय सेना के जवान कश्मीर के उरी में एक आत्मघाती आतंकी हमले में मारे गए थे।
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि 2016 में, इसी वीडियो के साथ दावा किया गया था कि ये लोग इस्लामिक धर्मशास्त्र केंद्र दारुल उलूम देवबंद के सदस्य हैं। हालांकि, इस दावे को दारुल उलूम देवबंद ने खारिज कर दिया था। उन्होंने इस संबंध में एक बयान जारी कर इस बात से इनकार किया गया था कि इस संस्था का पाकिस्तानी झंडे को जलाने की घटना से कोई लेना-देना नहीं है।
निष्कर्ष के तौर पर, साझा किया गया वीडियो हाल में सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को अप्रभावी कर अनुच्छेद 370 पर लिए गए फैसले से से सम्बंधित नहीं है। यह वीडियो सितंबर 2016 से इंटरनेट पर मौजूद है।
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