10 अगस्त को, BBCन्यूज़ ने रिपोर्ट किया कि हज़ारों लोग श्रीनगर के सौरा में विरोध प्रदर्शन के लिए सड़कों पर जमा हुए हैं, जो सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर राज्य के विशिष्ट दर्जे को कुछ हद तक अप्रभावी करने के निर्णय के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। मीडिया संगठन ने दावा किया कि, “पुलिस को प्रदर्शनकारियों की भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पैलेट गन का इस्तेमाल करते और आंसू गैस के गोले दागते हुए देखा गया। फिर भी भारत सरकार कह रही है कि विरोध प्रदर्शन नहीं हुआ है।” BBCपंजाबी के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों पर गोलियां भी चलायी गई।
अल जज़ीरा ने भी श्रीनगर में हुए इस विरोध प्रदर्शन के बारे में रिपोर्ट किया था, जिसमें लोगों ने सरकार द्वारा लगाए गए कर्फ्यू के बाद विरोध प्रदर्शन किया था। संगठन ने बताया कि लोगों पर गोलियां चलायी गई, आंसू गैस के गोले दागे गए और रबर से लिपटी हुई स्टील की गोलियां भी चलाई गई।
रॉयटर्स के मुताबिक, अनुच्छेद 370 को कुछ हद तक निष्क्रिय करने के विरोध में 9 अगस्त को कम से कम 10,000 लोगों ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया था। लेख में आगे लिखा है कि उन्होंने चश्मदीद लोगों, पुलिस और अधिकृत स्त्रोत से भी इसके बारे में बात की थी।
इन ख़बरों के तुंरत बाद, गृह मंत्रालय ने एक बयान जारी करते हुए बताया कि विरोध प्रदर्शन में 10,000 लोगों के शामिल होने के समाचार संगठन द्वारा किया गया दावा “मनगढंत और गलत” है और केवल “कुछ विरोधी” लोगों ने इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया था, जिसमें “20 से अधिक लोग” शामिल नहीं हुए थे।
A news report originally published in Reuters and appeared in Dawn claims there was a protest involving 10000 people in Srinagar.
This is completely fabricated & incorrect. There have been a few stray protests in Srinagar/Baramulla and none involved a crowd of more than 20 ppl.
— Spokesperson, Ministry of Home Affairs (@PIBHomeAffairs) August 10, 2019
हालांकि, अब गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि वास्तव में श्रीनगर के सौरा में व्यापक रूप से विरोध प्रदर्शन हुआ था।
Stories in media on a said incident in Soura region of #Srinagar.
On 09/08, miscreants mingled with people returning home after prayers at a local mosque. They resorted to unprovoked stone pelting against law enforcement forces to cause widespread unrest.@diprjk @JmuKmrPolice— Spokesperson, Ministry of Home Affairs (@PIBHomeAffairs) August 13, 2019
गृह मंत्रालय द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण उनके पहले बयान के तीन दिन बाद आया है। उस वक़्त, यह दावा कि प्रदर्शन की समाचार रिपोर्ट “मनगढंत” है, कई मीडिया संगठन और लोगों के लिए खबर बन गया जैसे कि – रिपब्लिक टीवी, ओपइंडिया , रिटायर्ड मेजर गौरव आर्या, मोहनदास पाई, और अभिजीत अय्यर मित्रा।
BBC ने ट्वीट कर बताया था कि वो अपनी रिपोर्टिंग पर कायम है, लेकिन कोई भी, विशेषकर पत्रकार, जिन्होंने इस प्रसारण को झूठा बताया था, उन्होंने ना ही अपने आरोपों को या सरकार के दावों को साबित करने के लिए कोई सबूत दिए।
BBC statement on #Kashmir coverage pic.twitter.com/XJfLOrh9nQ
— BBC News Press Team (@BBCNewsPR) August 11, 2019
सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने यह भी कहा कि यह वीडियो भारत में नहीं लिया गया था।
This video is not of India. This is of Pakistan. Some in BBC can never reconcile that India is a growing power which British once ruled https://t.co/OXVcpjyr1Q
— Aviator Anil Chopra (@Chopsyturvey) August 10, 2019
BBC की रिपोर्टिंग के खिलाफ सरकार और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं द्वारा उठाए गए कुछ सवाल नीचे दिए गए हैं :
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- श्रीनगर में कोई व्यापक विरोध प्रदर्शन नहीं हुआ था।
- जो विरोध प्रदर्शन हुए उसमें 20 से ज़्यादा लोग शामिल नहीं हुए थे।
- समाचार रिपोर्ट मनगढंत है।
- यह कश्मीर का फुटेज नहीं है।
- प्रदर्शनकारियों पर गोलियां नहीं चलाई गई थी।
तथ्य जांच
समय की जांच
वीडियो में कई जगह पर, प्रदर्शनकारियों को पोस्टर पकड़े हुए देखा जा सकता है, जिसमें लिखा है, “अनुच्छेद 370 का खात्मा जम्मू कश्मीर के लिए स्वीकार्य नहीं है”– अनुवादित।
हाल ही में भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को कुछ हद तक अप्रभावी कर दिया है। वीडियो में इस बोर्ड से पता चलता है कि यह वीडियो पुराना नहीं है। इसके अलावा, गृह मंत्रालय ने भी इस बात कि पुष्टि की है कि विरोध प्रदर्शन हुआ था।
स्थान की पड़ताल
सोशल मीडिया में कई लोगों ने ऐसा दावा किया है कि कश्मीर में कोई भी विरोध प्रदर्शन नहीं हुआ था। लोगों ने दावा किया कि भारत में ऐसा कुछ नहीं हुआ था। हालांकि, वीडियो में कई संकेत हैं. जिससे चलता है कि ये वीडियो श्रीनगर में लिए गए थे।
1. जैनब सेब मस्जिद
BBC फुटेज में 1:31 से 1:57 मिनट पर एक मस्जिद देखा जा सकता है। वही मस्जिद – जिस पर सफ़ेद और हरे रंग के पट्टों वाला गोलाकार वृत और किनारे में बड़ा सा समान रंगों वाला स्तंभअल जज़ीरा के वीडियो में 0:27 से लेकर 0:36 तक दिखाई देता है।
ऑल्ट न्यूज़ ने सौरा में स्थित मस्जिदों की तलाश की और हमने वीडियो में दिख रही समान मस्जिद को सौरा के अंचार में मौजूद जैनब मस्जिद ढूंढ पाए।
यह मस्जिद ज़्यादा स्पष्ट रूप से अल जज़ीरा के एक अन्य वीडियो में दिखता है, जो इसी विरोध प्रदर्शन की रिपोर्ट है।
2. रमजान मेमोरियल एजुकेशनल ट्रस्ट
BBC के फुटेज में, 0:57 पर एक बोर्ड दिखाई दे रहा है जिसमें,”रमजान मेमोरियल एजुकेशनल ट्रस्ट” लिखा हुआ है। यह श्रीनगर के सौरा में स्थित एक शैक्षणिक संस्थान है।
3. नाइस बेकरी
BBC की फुटेज में 00:59 से 1:08 पर एक बोर्ड दिख रहा है जिसमें नाइस बेकरी लिखा हुआ है। यह शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SKIMS) या अस्पताल के पास सौरा में स्थित है।
4. ये सभी स्थान 2.5 किमी के दायरे में ही मौजूद हैं
गूगल मैप के मुताबिक, ये तीनों स्थान – जैनब सेब मस्जिद, रमजान मेमोरियल एजुकेशनल ट्रस्ट और नाइस बेकरी – एक दूसरे से पैदल दूरी पर ही स्थित है।
5. शार्प साइट आई हॉस्पिटल
BBC फुटेज के शुरूआती कुछ सेकंड में, जिसमें लोगो को इधर-उधर दौड़ते हुए और पृष्भूमि में गोलियों की आवाज़ को भी सुना जा सकता है। हमने एक बिजली के खंबे पर लगे बोर्ड (संभवतः एक विज्ञापन का) देखा। हालांकि, वीडियो की गुणवत्ता ख़राब होने के कारण हम बोर्ड पर लिखा हुआ स्पष्ट रूप से पढ़ नहीं पा रहे है। ऑल्ट न्यूज़ ने BBC न्यूज़ से संपर्क किया और उन्हें रॉ फुटेज में से बोर्ड की तस्वीरें भेजने के लिए अनुरोध किया, जिसमें बोर्ड पर लिखा हुआ स्पष्ट रूप से पढ़ा जा सके। नीचे दिए गए तस्वीरों के कॉलाज से, हमें पता चला कि बोर्ड पर ‘शार्प साइट’ लिखा हुआ है – जो श्रीनगर के चैनपुरा में मौजूद आंखों का अस्पताल है।
हमें अपनी पड़ताल से पता चला कि BBC और अल जज़ीरा द्वारा प्रकाशित किए गए वीडियो श्रीनगर के सौरा में हुए विरोध प्रदर्शन के ही हैं। प्रदर्शन में मौजूद “अनुच्छेद 370 के निष्क्रिय करने” के पोस्टर से यह पता चलता है कि सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर के विशिष्ट राज्य के दर्जे को अप्रभावी करने के फैसले के बाद श्रीनगर में हुए विरोध का था और गृह मंत्रालय द्वारा किया गया दावा कि प्रदर्शन में 20 से ज्यादा लोग इक्क्ठा नहीं हुए थे, गलत है। हालांकि, BBC रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए गोलियां चलाई गई थी और मीडिया संगठन ने यह भी दोहराया कि वे अपनी रिपोर्ट के साथ खड़े है, इन दोनों दावों की सत्यता को ऑल्ट न्यूज़ स्थापित नहीं कर पाया है। हालांकि, लगातार भारत सरकार गोलियां चलाने की बात से इनकार कर रही है।
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