“1212 खंभे एक स्थान पर मिलते हैं। रामेश्वरम मंदिर में 1740 साल पहले पौराणिक भारतीय अभियंताओं द्वारा निर्मित।”-अनुवाद। यह संदेश एक तस्वीर के साथ सोशल मीडिया में व्यापक रूप से साझा किया गया है। इस तस्वीर में प्राचीन भारत के शानदार वास्तुशिल्प का दावा करते हुए खंभों के साथ एक सभागृह को दिखाया गया है।

उपरोक्त ट्वीट, ऑनलाइन प्रसारित इस जानकारी का हालिया उदाहरण है। ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि पिछले कुछ सालों से इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर साझा किया गया है। जनवरी 2018 में फेसबुक पर की गई पोस्ट (नीचे) 2600 से अधिक बार साझा की गई है। ऑल्ट न्यूज़ को इसी तरह के समान पोस्ट 2016 से प्रसारित मिले है।

Extremely Precise Indian Engineering.

It is such engineering marvels our Govts should showcase to the world, as the…

Posted by Guru Prasad on Saturday, 13 January 2018

RBI के अंशकालिक निदेशक एस. गुरुमूर्ति ने जनवरी 2018 में यही पोस्ट साझा किया था।

तथ्य-जांच

ऑल्ट न्यूज़ ने इस इन्फोग्राफ़िक में उपलब्ध जानकारी को गूगल पर सर्च किया। ‘1212 खंभों रामेश्वरम मंदिर’ कीवर्ड्स का उपयोग करते हुए, हमने पाया कि ठीक 1212 खंभों से युक्त वास्तुकला तमिलनाडु के रामेश्वरम में रामनाथस्वामी मंदिर से संबंधित है। मंदिर के बाहरी गलियारे में 1212 खंभे हैं, और इसे दुनिया का सबसे लंबा मंदिर का गर्भगृह माना जाता है। यह जानकारी रामनाथस्वामी मंदिर की वेबसाइट पर उपलब्ध है।

यह दावा कि रामेश्वरम मंदिर में 1212 खंभों वाला एक हॉल है, सही है, लेकिन दिलचस्प बात है कि बाहरी गलियारा (या तीसरा गलियारा), जिसमें 1212 खंभे हैं, वह सोशल मीडिया में प्रसारित तस्वीर जैसा बिलकुल नहीं है। रामनाथस्वामी मंदिर के गलियारे की एक तस्वीर नीचे पोस्ट की गई है।

कहाँ की है वायरल तस्वार?

चूंकि दावे के साथ साझा की गई वह तस्वीर रामेश्वरम के मंदिर का प्रतिनिधित्व नहीं करती है, इसलिए ऑल्ट न्यूज़ ने इसकी उत्पत्ति स्थापित करने के लिए रिवर्स-इमेज सर्च टूल का इस्तेमाल किया। सर्च करने पर परिणाम में हमें खंभे के साथ वैसे ही एक गर्भगृह की तस्वीरें मिलीं, जो तस्वीर स्टॉक वेबसाइट, गेट्टी इमेज़ेज पर अपलोड की गई थीं।

गेट्टी इमेज़ेज के अनुसार, यह तस्वीर मध्य प्रदेश के मांडू स्थित होशंग शाह के मकबरे की है।

उपरोक्त तस्वीर, वायरल तस्वीर से बहुत मेल खाती है। एक फ़ेसबुक उपयोगकर्ता द्वारा ऐसी ही एक तस्वीर इस वर्ष अगस्त में अपलोड की गई थी, जिसमें कहा गया था कि इसे होशंग शाह के मकबरे पर लिया गया था।

यह ध्यान देने योग्य है कि ये खंभे “एक सीध स्थान पर नहीं मिलते हैं” जैसा कि वायरल फोटो में दिखता है। इससे पता चलता है कि सोशल मीडिया में व्यापक रूप से साझा की गई तस्वीर फोटोशॉप की हुई है। ऑल्ट न्यूज़ को किसी भी विश्वसनीय स्रोत से कोई सटीक तस्वीर प्राप्त नहीं हुई है। इसके अलावा, वायरल तस्वीर को करीब से देखने पर पता चलता है कि बाईं तरफ के खंभों को फोटोशॉप किया गया है, क्योंकि शुरू के खंभे पर दिखाई देने वाली त्रुटि अन्य खंभों में दिखाई देती है।

वास्तुकला शैली

रामेश्वरम का रामनाथस्वामी मंदिर, पांड्या वंश द्वारा 12वीं शताब्दी में बनवाया गया था, जिसकी तमिलनाडु के मदुरै में राजधानी थी। यह मंदिर, द्रविड़ वास्तुकला के बेहतरीन नमूनों में से है, जिनमें छत को सहारा देने वाले खंभों की शृंखला एक प्रमुख विशेषता है।

दूसरी ओर, 15वीं शताब्दी में तत्कालीन मालवा साम्राज्य के दौरान बनाया गया होशंग शाह का मकबरा, इस्लामिक और साथ ही हिंदू कला से प्रभावित और प्रेरित इंडो-इस्लामिक वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह ध्यान रखने योग्य है कि विस्तृत द्रविड़ वास्तुकला के प्राचीनतम रूप 7वीं शताब्दी के हैं। इसके विपरीत, घूरिद वंश द्वारा दिल्ली पर कब्जा करने के बाद, 12वीं शताब्दी के अंत से, इंडो-इस्लामिक वास्तुकला विकसित हुई थी।

मांडू, मध्यप्रदेश के होशंग शाह मकबरे पर ली गई एक तस्वीर को फोटोशॉप किया गया और इस झूठे दावे के साथ सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा कर दिया गया कि यह प्राचीन भारत के वास्तुशिल्प चमत्कार को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, यह दावा कि रामेश्वरम का मंदिर 1740 साल पहले बनाया गया था, झूठा है। मंदिर 12वीं शताब्दी की है, जबकि मांडू की वास्तुकला 15वीं शताब्दी की है। इसकी पड़ताल SMHoaxSlayer और Factly द्वारा भी की गई है।

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About the Author

Arjun Sidharth is a writer with Alt News. He has previously worked in the television news industry, where he managed news bulletins and breaking news scenarios, apart from scripting numerous prime time television stories. He has also been actively involved with various freelance projects. Sidharth has studied economics, political science, international relations and journalism. He has a keen interest in books, movies, music, sports, politics, foreign policy, history and economics. His hobbies include reading, watching movies and indoor gaming.