[चेतावनी: वीडियो और तस्वीर में काफी हिंसा है जो देखने वालों के लिए तकलीफदेह हो सकती है. पाठक अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए इन्हें देखें.]
रेलवे के दो चरणों में परीक्षा आयोजित करने के फैसले के विरोध में RRB-NTPC के आवेदक 25 जनवरी को यूपी के प्रयागराज में बड़ी संख्या में रेलवे की पटरियों पर इकठ्ठा हुए थे. इस विरोध के दौरान, पुलिस ने उन्हें खदेड़ दिया. और इसके बाद कुछ छात्रों ने कथित तौर पर पथराव किया. इसके जवाब में पुलिस ने ज़बरदस्ती पास के एक हॉस्टल में घुस कर छात्रों पर लाठीचार्ज कर दिया था. इस दौरान, पुलिस की ज़्यादती का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है. इस वीडियो के सामने आने के बाद 6 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया.
In UP’s Prayagraj, local police making forced entry inside hostel room of students preparing for competitive exams. The police action was in the aftermath of protest by applicants of RRB-NTPC who allegedly tried stopping train as a part of their agitation. pic.twitter.com/mgUeaG7Tkf
— Piyush Rai (@Benarasiyaa) January 25, 2022
28 जनवरी को धटना के बारे में रिपोर्ट करते हुए दैनिक जागरण ने एक आर्टिकल पब्लिश किया जिसमें पुलिस हिंसा में घायल एक छात्र की कथित तस्वीर छपी थी.
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के आधार पर पत्रकार अनूप पांडे ने ये तस्वीर ट्विटर पर शेयर की.
ये तस्वीर फ़ेसबुक पर भी हाल के विरोध में एक घायल छात्र की बताकर वायरल है.
फ़ैक्ट-चेक
तस्वीर का गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने से ऑल्ट न्यूज़ को पता चला कि ये करीब दो साल पुरानी है. ये अलग-अलग भाषाओं में ये शेयर की गई थी. पहली बार ये तस्वीर फ़ेसबुक पर बांग्लादेश की बताकर इस दावे के साथ शेयर की गई थी कि ये व्यक्ति COVID लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन किया जिसकी वज़ह से पुलिस ने इसे पीटा था. इसे कुछ और तस्वीरों के साथ शेयर करते हुए बताया गया था कि ये घटना कैसे हुई थी.
हालांकि, तीन तस्वीरों में से एक तस्वीर (जिसमें सड़क पर सब्जियां बिखरी हैं) पश्चिम बंगाल की है. वहीं दूसरी तस्वीर जिसमें पुलिस एक व्यक्ति की पिटाई कर रही है, एडिटेड है. असली तस्वीर में पुलिसकर्मी ने मास्क नहीं पहना है. पिछले साल जब ये तस्वीरें वायरल थीं, तब बांग्लादेश की जनता ने भारी नाराज़गी जताई थी. और उसके बाद बांग्लादेशी पुलिस ने इस दावे को खारिज़ करते हुए एक बयान जारी किया था.
2020 में घायल युवक की यही तस्वीर मलेशिया में इस दावे के साथ शेयर की गई थी कि मलेशियाई सशस्त्र बलों के सैनिकों ने मूवमेंट कंट्रोल ऑर्डर (MCO) लागू करते हुए एक लड़के को पीटा था. सशस्त्र बलों ने इसे ये कहते हुए खारिज़ कर दिया कि ये तस्वीर असल में बांग्लादेश की है और 2019 में अपलोड की गई थी.
सशस्त्र बलों ने बांग्लादेश की असली तस्वीरों के लिए कोई लिंक नहीं दिया. लेकिन उनकी बात को ध्यान में रखते हुए हमने आगे तस्वीरों की जांच जारी रखी. हमें जुलाई 2019 में अपलोड किए गए एक बांग्लादेशी फ़ेसबुक पेज पर ये तस्वीरें मिली. ऑल्ट न्यूज़ को इन तस्वीरों का असली संदर्भ नहीं मिला. लेकिन इसे इंटरनेट पर शेयर करने का सबसे पुराना उदाहरण यही है.
इस तरह, उत्तर प्रदेश में विरोध कर रहे छात्रों पर पुलिस की बर्बरता दिखाने के लिए दैनिक जागरण ने एक पुरानी और असंबंधित तस्वीर पब्लिश की. ये तस्वीर तकरीबन 3 साल पुरानी है.
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