23 फ़रवरी को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के समर्थन में भाजपा कार्यकर्ता कपिल मिश्रा सड़क पर उतरे थे. उन्होंने सड़क जाम करने वाले एंटी-सीएए प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए दिल्ली पुलिस को तीन दिन का अल्टीमेटम दिया था. कपिल मिश्रा के भड़काऊ बयान के अगले ही दिन दिल्ली में हिंसा भड़की. इसमें मरने वालों की संख्या 10 तक जा पहुंची है और 150 के करीब लोग घायल हैं. इन सब के बीच एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें टोपी पहने लोग एक बस ड्राइवर को पीट रहे हैं. इसे शेयर करने वाले लोग वीडियो में दिख रही घटना के बारे में ज़्यादा कुछ नहीं बता रहे हैं. इससे सोशल मीडिया यूज़र्स इसे हाल में हुई दिल्ली की हिंसा से जोड़कर देख रहे हैं. अविरल शर्मा नाम के यूज़र ने इसे कोट ट्वीट करते हुए लिखा है, “दिल्ली की सड़कों पे ये भयानक नज़ारा दिख रहा है अभी. क्या आपको इसमें स्कल कैप (इस्लाम धर्म से जुड़ी हुई टोपी) दिखी? इन लोगों ने इस देश को सीरिया बना दिया है, जहां हिन्दू बुरी तरह डरे हुए हैं. मेरे रिश्तेदार जो मौजपुर में रहते हैं, पिछले तीन दिन से घर से बाहर नहीं निकले हैं.”

अविरल शर्मा को पीएम मोदी ट्विट्टर पर फॉलो करते हैं.

इस वीडियो को शेयर करने वालों में केरल से भाजपा कार्यकर्ता शिल्पा नायर, फ़ैक्ट हंट के फाउंडर शशांक सिंह शामिल हैं.

औरंगाबाद, महाराष्ट्र का वीडियो

ऑल्ट न्यूज़ ने यूट्यूब सर्च किया तो हमें ‘ABP माँझा‘ और ‘Zee 24 taas‘ की वीडियो रिपोर्ट्स मिली. ये रिपोर्ट्स 18 फ़रवरी की हैं. जिसमें बताया गया है कि कन्नड, औरंगाबाद में बस ड्राइवर को गाड़ी आगे न बढ़ाने की वजह से कुछ लोगों ने पीटा.

हमें 21 फ़रवरी की टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट भी मिली. रिपोर्ट के मुताबिक, “बस ड्राइवर सुधाकर शामराव शिरसाठ ने इस घटना की शिकायत दर्ज़ की है. ड्राइवर ने बताया कि औरंगाबाद-नासिक रोड पे आम्रपाली होटल के पास बस ने एक कार को ओवरटेक किया था. इस दौरान कार में स्क्रैच पड़ गए थे. कुछ देर बाद संदिग्ध लोगों ने बस को सामने से रोक दिया. दो लोग कार से निकले और बस ड्राइवर को पीटने लगे. कुछ स्थानीय लोगों ने भी पीटने वालों का साथ दिया.”

हमने कन्नड पुलिस स्टेशन से संपर्क किया. हमारी बात वहां के PSI बीपी राउत से हुई. उन्होंने कहा कि आरोपियों ने बस ड्राइवर को इसीलिए पीटा क्योंकि उसकी बस कार से जा टकराई थी. पूछे जाने पर कि क्या इस घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल है, उन्होंने बताया कि ऐसा कुछ नहीं था और ये आपसी टकराव का मामला था. हमने ये भी पूछा कि रिपोर्ट के मुताबिक 18 लोगों को हिरासत में लिया गया है. उन्होंने बीच में ही रोकते हुए कहा – ‘नहीं नहीं, कुछ स्थानीय लोगों से पूछताछ की गयी थी, बस. हिरासत में नहीं लिया गया था.’

ऑल्ट न्यूज़ को महाराष्ट्र सरकार के वेबसाइट पर FIR की कॉपी मिली. ड्राइवर के बयान में ही कहीं इस बात का ज़िक्र नहीं है कि इस घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल था. शिकायत के अनुसार हमलावरों ने उनका फ़ोन छीन लिया था और कंडक्टर से लगभग 6 हजार रुपये भी ले लिए थे.

इस तरह औरंगाबाद का ये वीडियो झूठे दावे से शेयर किया जा रहा है. इसका दिल्ली में हुई हाल की हिंसा से कोई लेना-देना नहीं है.

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