व्हॉट्सऐप जैसी मेसेजिंग ऐप्स पर 6:24 मिनट की एक ऑडियो क्लिप सर्क्युलेट हो रही है. इस ऑडियो क्लिप में एक व्यक्ति खुद को गुजरात के सूरत के सिटी लाइट इलाक़े का रहनेवाला बताता है. वो लोगों को इलाक़े में मुस्लिम फेरी-वालों की बढ़ती संख्या के संबंध में चेतावनी देता है. वो दावा करता है कि मॉर्निंग वॉक के दौरान उसने फल और सब्जियां बेचते हुए 15-16 टेम्पो में मुस्लिम लड़कों को देखा. जैसे, वो कहता है कि उसने एक व्यक्ति को मार्केट रेट से कम दाम पर प्याज़ बेचते हुए देखा तो उसने बेचनेवाले से इसकी वजह पूछी. तब उसने फल-विक्रेता के एक वीडियो का ज़िक्र किया जो ऊंगली चाटने के बाद फलों को छू रहा था. ऑल्ट न्यूज़ ने इस वीडियो का फ़ैक्ट-चेक करते हुए पाया था कि इस वीडियो का कोरोना वायरस फैलाने से कोई संबंध नहीं था. ऑडियो क्लिप में वो बार-बार दोहराता है कि उसे अपने ‘हिंदू भाइयों’ की चिंता है और वो एक हिंदू होने का कर्तव्य निभा रहा है, ‘कहीं-न-कहीं शक़ तो पैदा हो रहा है.’ “अगर हम हिंदू एकजुट न हों तो आगे बड़ी समस्या हो सकती है. ये संभव है कि वे (मुसलमान) इस तरीक़े से जिहाद कर रहे हों,” ये कहकर वो अपना मैसेज खत्म करता है कि हिंदू कम-से-कम एक महीने तक मुस्लिम दुकानदारों से खाने का कोई भी सामान न खरीदें. ये व्यक्ति लोगों से इस ऑडियो को वायरल करने के लिए कहता है ताकि ये क्लिप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और अन्य सरकारी अधिकारियों तक पहुंच जाए.

हिंदी अंश: “आज मैंने अनोखी घटना देखी और क्यूंकि कोरोना वायरस की बीमारी बहुत ज़्यादा फैल रही है, इसलिए आपसे प्रार्थना करता हूं कि इसको पूरा सुनें और सुनने के बाद आपको जो निर्णय सही लगे आप वो करें. मैं आज सुबह मॉर्निंग वॉक पर निकला. मैं जब मॉर्निंग वॉक पर निकलता हूं तो मैं दूध और सब्ज़ी भी ले आता हूं. पर आज मुझे मेरे एरिया में सात-आठ साल हो गए यहां रहते-रहते, आज पहली बार मैंने एक अनोखी बात देखी, सुबह वॉक करते-करते. कि हर चार-रस्ते पे, गली के नुक्कड़ पे, करीब पांच किलोमीटर मेरी मॉर्निंग वॉक में करीब 15-16 जितने मैंने थ्री-व्हीलर टेम्पो देखे, जिसमें मुस्लिम लड़के सब्ज़ी और फ़्रूट्स बेच रहे थे. इसलिए मुझे शंका पैदा होती है कि पांच-सात साल से मैं यहां रहता हूं, मैंने आज दिन तक इन लोगों को नहीं देखा. ये पहली बार मुस्लिम लड़कों को थ्री-व्हीलर टेम्पो में सब्ज़ी और फ़्रूट्स बेचते देखा. अब क्यूंकि कोरोना वायरस चल रहा है, फैल रहा है. और तीन-चार दिन से मैं भी न्यूज़ देख रहा हूं कि तबलीग़ी जमात, तबलीग़ी समाज के मुस्लिम को कोरोना पॉज़िटिव होने के बावज़ूद क्वारंटाइन में नहीं रहना चाहते है और भागना चाहते हैं वहाँ से. तो एक शंका पैदा होती है कि क्या वो भाग करके हिन्दू एरिया में जा करके कोरोना को हिन्दू लोगों में फैलाना चाहते हैं? महामारी पैदा करना चाहते हैं? अब मैंने आज जो घटना देखी, मैंने आठ साल में नहीं देखी कभी.”

फ़ैक्ट-चेक

चार अप्रैल को, सूरत सिटी के क्राइम ब्रांच ने एक अज्ञात व्यक्ति के ख़िलाफ़, भारतीय दंड संहिता की धारा 153A (दो संप्रदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), धारा 269 (संक्रामक बीमारी फैलाने की लापरवाह हरक़त) और धारा 188 (सरकारी कर्मचारी द्वारा लागू आदेश का अनादर करने के लिए दंड) और आपदा प्रबंधन कानून की धारा 54 के तहत शिकायत दर्ज की.

6 अप्रैल, 2020 को, सूरत सिटी डीसीबी ने 49 साल के मुकेश ओसवाल को गिरफ़्तार किया. 49 साल का ये शख्स सिटी लाइट रोड के सूर्या कॉम्पलेक्स का निवासी है. ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ की रिपोर्ट के अनुसार, ओसवाल मूल रूप से राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के भिनटागाम का रहनेवाला है. क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने ऑल्ट न्यूज़ को बतााया कि ओसवाल को ज़मानत पर छोड़ दिया गया. क्राइम ब्रांच के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि ऑडियो क्लिप में कही गई बातें झूठी पाई गईं.

ऑल्ट न्यूज़ ने, सूरत के पत्रकार फ़ैसल बकीली से, दो संप्रदायों के बीच नफ़रत फैलाने वाले इस व्हॉट्सऐप ऑडियो के बारे में बात की. उन्होंने कहा, “ये व्हॉट्सऐप ऑडियो, गुजराती में फैल रहे एक नोट का विस्तार मात्र है. ये अफ़वाह पूरे गुजरात में फैली हुई है. इसी तरह का एक ऑडियो मैसेज गुजराती में वलसाड की तरफ़ भी फैल रहा था. ये व्हॉट्सऐप मैसेज पूरे देश में इसलिए फैल गया क्योंकि ये हिंदी में था, जबकि वलसाड वाला ऑडियो गुजराती में था.”

बकीली एक गुजराती मैसेज का ज़िक्र कर रहे हैं, जिसमें हिंदुओं को, मुस्लिमों द्वारा जान-बूझकर कोरोना वायरस फैलाने के प्रयासों के बारे में, आगाह किया गया था. इस मैसेज में कहा गया कि एक बड़ी धार्मिक सभा का आयोजन करने की वजह से निज़ामुद्दीन कोरोना वायरस का हॉटस्पॉट बन गया, इसलिए हिंदुओं को फल और सब्जी बेचने वाले मुसलमानों का बॉयकॉट करना चाहिए. इसमें दावा किया गया, “वो हिंदू इलाक़े में आते हैं और इन इलाक़ों में थूककर जिहाद करते हैं.” रिपोर्ट के अनुसार, अहमदाबाद के पुलिस कमिश्नर ने इन मैसेजों को ग़लत बताया और सिटी पुलिस और क्राइम ब्रांच को इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए पूरा बंदोबस्त करने के लिए भी निर्देश दिए. चार अप्रैल को, ‘दी इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट में ये बताया गया कि अल्पसंख्यक समुदाय का सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार के लिए उकसाने वाले मैसेज शेयर करने के आरोप में गुजरात के अलग-अलग हिस्सों से सात लोगों को गिरफ़्तार किया गया था.

आखिर में, सूरत के व्यक्ति द्वारा ऑडियो क्लिप में किया गया ये दावा कि इलाक़े में फल और सब्जियां बेचने वाले मुस्लिमों की संख्या अचानक से बढ़ गई है, ग़लत निकला. पुलिस ने इन दावों का खंडन किया और किसी भी मीडिया रिपोर्ट से क्लिप में कही गई बातों की पुष्टि नहीं हुई है.

नोट : भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 5,800 के पार जा पहुंची है. इसकी वजह से सरकार ने बुनियादी ज़रुरतों से जुड़ी चीज़ों को छोड़कर बाकी सभी चीज़ों पर पाबंदी लगा दी है. दुनिया भर में 15 लाख से ज़्यादा कन्फ़र्म केस सामने आये हैं और 89 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. लोगों में डर का माहौल बना हुआ है और इसी वजह से वो बिना जांच-पड़ताल किये किसी भी ख़बर पर विश्वास कर रहे हैं. लोग ग़लत जानकारियों का शिकार बन रहे हैं जो कि उनके लिए घातक भी साबित हो सकता है. ऐसे कई वीडियो या तस्वीरें वायरल हो रही हैं जो कि घरेलू नुस्खों और बेबुनियाद जानकारियों को बढ़ावा दे रही हैं. आपके इरादे ठीक हो सकते हैं लेकिन ऐसी भयावह स्थिति में यूं ग़लत जानकारियां जानलेवा हो सकती हैं. हम पाठकों से ये अपील करते हैं कि वो बिना जांचे-परखे और वेरीफ़ाई किये किसी भी मेसेज पर विश्वास न करें और उन्हें किसी भी जगह फ़ॉरवर्ड भी न करें.

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About the Author

Jignesh is a writer and researcher at Alt News. He has a knack for visual investigation with a major interest in fact-checking videos and images. He has completed his Masters in Journalism from Gujarat University.