कोरोना वायरस का संक्रमण जैसे-जैसे दुनिया में फैल रहा है वैसे-वैसे सोशल मीडिया में उससे जुड़ी हुई ग़लत जानकारियां भी फैल रही हैं. हम लगातार सोशल मीडिया में शेयर हो रहे ऐसे दावों की सच्चाई आपके सामने रख रहे हैं. इसी दौरान एक घायल महिला की तस्वीर सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रही है. जैसा कि तस्वीर में देखा जा सकता है महिला के सिर पर काफ़ी गंभीर चोट दिख रही है. मेसेज में बताया गया है कि ये महिला मध्य-प्रदेश की डॉक्टर वंदना तिवारी है. दावा है कि वो उत्तर-प्रदेश में कोरोना के मरीज़ों का इलाज करने के लिए गई थी जहां कथित इस्लामिक जिहादियों ने उनपर हमला किया. गंभीर चोट के कारण अब उनकी मौत हो गई है.

ट्विटर पर अर्नब गोस्वामी के एक पैरोडी अकाउंट ने ये तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा, “आज डां वंदना तिवारी कि मृत्यु हो गई वह पिछले हफ्ते ही UP में कोरोना टेस्ट के लिए गई थी पर इस्लामिक जिहादीयों ने उन पर हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया था आज उनकी मौत हो गई।” इस ट्वीट को डिलीट किये जाने से पहले तक 1,100 बार लाइक किया गया था. (ट्वीट का आर्काइव लिंक)

ये तस्वीर इसी मेसेज के साथ ट्विटर और फ़ेसबुक पर खूब वायरल है. ये तस्वीर हैशटैग ‘#आक_थू_जिहादी’ के साथ शेयर की जा रही है.

ऑल्ट न्यूज़ के ऑफ़िशियल मोबाईल ऐप पर भी इस दावे की हकीकत जानने के लिए कुछ रीक्वेस्ट मिली हैं.

फ़ैक्ट-चेक

तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च करने से हमें 7 अप्रैल 2020 की ‘भोपाल समाचार’ की रिपोर्ट मिली. रिपोर्ट में बताया गया है कि शिवपुरी मेडिकल कॉलेज की फ़ार्मासिस्ट वंदना तिवारी कोरोना संक्रमण के खिलाफ काम करने वाली टीम में थी. 31 मार्च को अचानक से ऑन ड्यूटी उनकी तबीयत खराब हो गई और उन्हें ज़िला अस्पताल में भर्ती करवाया गया. बाद में तबीयत ज़्यादा बिगड़ने पर उन्हें 1 अप्रैल को बिरला अस्पताल में लाया गया था. डॉक्टर ने बताया कि तिवारी को ब्रेन हैमरेज हुआ है. उनका ऑपरेशन भी किया गया लेकिन वो कोमा में चली गईं. इसके बाद 7 अप्रैल को उनकी मौत हो गई.

ट्विटर पर एक यूज़र द्वारा शेयर किये गए इस वीडियो पर रिप्लाई करते हुए 9 अप्रैल 2020 को यूपी पुलिस ने इस दावे को खारिज किया. ट्वीट करते हुए उन्होंने ये बात साफ़ कर दी कि वंदना तिवारी की मौत की घटना का उत्तर प्रदेश की नहीं बल्कि मध्य प्रदेश में हुई थी. उन्होंने अपनी ट्वीट में ‘भोपाल समाचार’ की रिपोर्ट का हवाला दिया है.

आगे ट्विटर पर की-वर्ड्स सर्च करने से सत्यभान सिंह नाम के एक यूज़र द्वारा शेयर किया गया एक ट्वीट मिला. ट्वीट में उन्होंने तिवारी का वीडियो को शेयर करते हुए सरकार की ओर से सहायता मांगी थी. ट्वीट में उन्होंने खुद को वंदना तिवारी के परिवार का सदस्य बताया है. इसी के चलते हमने उनसे संपर्क किया. उन्होंने बताया, “मैं उनका फ़ैमिली फ़्रेंड हूँ. वंदना जी शिवपुरी मेडिकल कॉलेज में काम करती थी. उनकी मौत ब्रेन हैमरेज की वजह से हुई थी. उनपर किसी भी मुस्लिम व्यक्ति ने हमला नहीं किया था.”

इस तरह मध्य प्रदेश में ब्रेन हेमरेज की वजह से एक हेल्थ वर्कर की मौत की घटना को सोशल मीडिया में मुस्लिम समुदाय पर निशाना साधते हुए शेयर किया गया. वंदना तिवारी की तस्वीर शेयर कर ये झूठा दावा किया गया कि वो उत्तर प्रदेश में कोरोना के मरीज़ों का इलाज करने गई थीं लेकिन ‘जिहादियों’ ने उन पर हमला कर दिया और इस वजह से उनकी मौत हो गई. कई लोग मुस्लिम समुदाय पर कोरोना वायरस फैलाने का आरोप लगाते हुए पुराने और असंबंधित वीडियो, तस्वीरें शेयर कर रहे हैं. तबलीग़ी जमात मरकज़ ने दिल्ली के निज़ामुद्दीन में एक कार्यक्रम आयोजित किया था. इस कार्यक्रम से जुड़े हुए कई लोगों के कोरोना टेस्ट पॉज़िटिव आए थे और इस जगह को महामारी का हॉटस्पॉट बताया गया. पहले भी एक व्यक्ति द्वारा थूक से कस्टमर के चेहरे पर मालिश करने के 4 साल का वीडियो मुस्लिम समुदाय पर निशाना साधते हुए शेयर किया गया. पाकिस्तान का एक पुराना वीडियो आयसोलेशन वार्ड में तब्लीग़ी जमात मेंबर के नंगा घूमने के दावे से वायरल हुआ था.

नोट : भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 5,800 के पार जा पहुंची है. इसकी वजह से सरकार ने बुनियादी ज़रुरतों से जुड़ी चीज़ों को छोड़कर बाकी सभी चीज़ों पर पाबंदी लगा दी है. दुनिया भर में 15 लाख से ज़्यादा कन्फ़र्म केस सामने आये हैं और 89 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. लोगों में डर का माहौल बना हुआ है और इसी वजह से वो बिना जांच-पड़ताल किये किसी भी ख़बर पर विश्वास कर रहे हैं. लोग ग़लत जानकारियों का शिकार बन रहे हैं जो कि उनके लिए घातक भी साबित हो सकता है. ऐसे कई वीडियो या तस्वीरें वायरल हो रही हैं जो कि घरेलू नुस्खों और बेबुनियाद जानकारियों को बढ़ावा दे रही हैं. आपके इरादे ठीक हो सकते हैं लेकिन ऐसी भयावह स्थिति में यूं ग़लत जानकारियां जानलेवा हो सकती हैं. हम पाठकों से ये अपील करते हैं कि वो बिना जांचे-परखे और वेरीफ़ाई किये किसी भी मेसेज पर विश्वास न करें और उन्हें किसी भी जगह फ़ॉरवर्ड भी न करें.

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About the Author

Kinjal Parmar holds a Bachelor of Science in Microbiology. However, her keen interest in journalism, drove her to pursue journalism from the Indian Institute of Mass Communication. At Alt News since 2019, she focuses on authentication of information which includes visual verification, media misreports, examining mis/disinformation across social media. She is the lead video producer at Alt News and manages social media accounts for the organization.