एक वीडियो सोशल मीडिया में प्रसारित किया जा रहा है, जिसमें एक महिला दावा करती है कि अंगों के व्यापार के लिए बच्चों को अगवा कर उन्हें बेचा जा रहा है। जब वह यह दावा करती हैं, तब पृष्ठभूमि में ज़मीन पर सीधे लिटाए बच्चों की तस्वीर फ्लैश होती है। वीडियो में, महिला दावा करती है कि इन बच्चों का अपहरण कर लिया गया था और आंख और कान समेत उनके अंगों को अलग कर दिया गया था। हालांकि, महिला ने यह उल्लेख नहीं किया है कि वह कथित घटना कब और कहां हुई।
इस वीडियो की सच्चाई जानने के लिए ऑल्ट न्यूज़ के आधिकारिक ऐप पर भेजा गया है, जिससे पता चलता है कि वीडियो व्हाट्सएप पर प्रसारित हो सकता है। महिला तमिल में बोल रही है।
तथ्य-जांच
पृष्ठभूमि में फ्लैश होती तस्वीर की गूगल रिवर्स इमेज सर्च की मदद से ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि जिस आधार पर महिला बच्चों के शरीर से अंगों को बाहर निकालने वाले गिरोह के बारे में दावा कर रही हैं, वह तस्वीर भारत की नहीं है। इस तस्वीर को AFP द्वारा पहले खारिज़ किया गया था जब इसे गलत तरीके से अलग-अलग दावों का उपयोग करते हुए साझा किया गया था कि यह तस्वीर कांगो, कैमरून और नाइजीरिया जैसे अफ्रीकी देशों में हुए नरसंहार के परिणाम को दर्शाती है। हालाँकि, यह तस्वीर घाना की है।
यह मार्च 2017 की तस्वीर है जो घाना में आए तूफान में मारे गए छात्रों के शवों को दिखलाती है। “किंटम्पो फॉल्स आपदा” कैप्शन के साथ मार्च 2017 में तस्वीर अपलोड की गई थी।
Kintampo waterfalls disaster.
Change AS come
Posted by Samuel Gyabaah on Sunday, 19 March 2017
इस तस्वीर में धारीदार लाल शर्ट पहने हुए आदमी से पुष्टि होती है कि वायरल तस्वीर, घाना वाली तस्वीर के समान ही है।
मध्य घाना में स्थित एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल किंटम्पो फॉल्स में एक विशाल पेड़ के पानी में गिर जाने से बीस छात्रों की मौत हो गई थी। AFP ने उस समय इस घटना की खबर दी थी।
अंत में, बच्चों के शरीर से अंगों को बाहर निकालने वाले गैंंग के बारे में एक महिला द्वारा किया गया गलत दावा, दो वर्ष पुरानी घाना की एक तस्वीर के आधार पर था, जिसका मानव तस्करी या अंग व्यापार से कोई लेना-देना नहीं था। इस तस्वीर में वास्तव में उन बच्चों के शवों को दिखलाया गया है जो एक प्राकृतिक आपदा में मारे गए थे।
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