न्यूज़ 24 की एक क्लिप शेयर करते हुए लोग दावा कर रहे हैं कि भोपाल में एक ‘मुस्लिम नौकरानी’ खाने में अपना थूक और पेशाब मिलाती थी. दावे में घर के मालिक का नाम महेश सूरी बताया गया है. अनुराग ताम्रकार नाम के ट्विटर यूज़र ने ये वीडियो 25 फ़रवरी को इसी दावे के साथ ट्वीट किया है जिसे 23 हज़ार से ज़्यादा बार देखा गया.
सत्य घटना ।
भोपाल में मुकेश सूरी जी ने ‘हसीना’ नामक मुस्लिम नौकरानी को काम पर रखा और नौकरानी ने अपने इस्लामी मज़हब के अनुसार आचरण करना शुरू कर दिया!! अपने थूक और पेशाब से बना कर खिलाती थी खाना! pic.twitter.com/QGx0A8Y2xj— अनुराग ताम्रकार (@anuragtamrakar6) February 25, 2021
कई मौकों पर ग़लत जानकारी शेयर करने वाले आकाश RSS ने भी ये वीडियो शेयर करते हुए यही दावा किया है. ‘कट्टर शेर हिन्दू’ नाम के एक फ़ेसबुक पेज ने भी ये वीडियो शेयर किया है.
#शेयर
*मूत जिहाद*
*लव,जमीन,थूक जैसे कई जिहादो की श्रेणी में अब नया नाम**भोपाल में मुकेश सूरी जी ने ‘हसीना’ नामक मुस्लिम नौकरानी को काम पर रखा और नौकरानी ने अपने इस्लामी मज़हब के अनुसार आचरण करना शुरू कर दिया!! अपने थूक और पेशाब से बना कर खिलाती थी खाना!*
Posted by कट्टर हिन्दू शेर , Kattar Hindu sher on Thursday, 25 February 2021
हमने देखा कि फ़ेसबुक पर कई लोगों ने ये वीडियो शेयर करते हुए यही दावा किया है कि एक हिन्दू घर में मुस्लिम नौकरानी को खाना बनाते वक़्त पेशाब और थूक मिलाते हुए पकड़ा गया.
फ़ैक्ट-चेक
इस वायरल वीडियो में कहीं भी नौकरानी के नाम या धर्म की बात नहीं की गयी है. लेकिन इसे भोपाल की घटना और इसमें शिकायतकर्ता मुकेश सूरी का बयान भी है. हमने देखा कि CCTV फ़ुटेज पर तारीख 17/10/2011 लिखा हुआ दिख रहा है.
इस आधार पर की-वर्ड्स सर्च करने से हमें कुछ न्यूज़ रिपोर्ट्स मिलीं. टाइम्स ऑफ़ इंडिया में 18 अक्टूबर, 2011 में पब्लिश हुई रिपोर्ट में घर में काम करने वाली इस महिला का नाम आशा कौशल बताया गया है. दैनिक जागरण की 2011 की एक रिपोर्ट में भी महिला का नाम आशा कौशल बताया गया है.
जनादेश न्यूज़ नाम के एक स्थानीय समाचार चैनल ने भी इस मामले को उस समय कवर किया था. अक्टूबर 2011 की इस वीडियो रिपोर्ट में महिला का नाम आशा बताया गया है. इस रिपोर्ट में बताया गया है, “घरवालों को आशा पर इससे पहले चोरी का शक हुआ था और उन्होंने इसे और इसकी नातिन को काम से हटा दिया था. लेकिन बाद में माफ़ी तलाफी करके आशा काम पर फिर से वापस लौट आई. शायद उसी दिन उसने बदला लेने का मन बना लिया. और उन्हें सबक सिखाने के लिए उसने इस घिनौनी हरकत को अंज़ाम दिया.”
यानी घर में काम करने वाली महिला का नाम हसीना नहीं बल्कि आशा था और ये 2011 की घटना है. कम से कम 10 साल पुरानी घटना का वीडियो शेयर करते हुए ये झूठा दावा किया गया कि घर के काम करने वाली मुस्लिम महिला ने खाने में पेशाब और थूक मिलाया.
पतंजलि की कोरोनिल को WHO की न कोई मंज़ूरी मिली और न ही कोई सर्टिफ़िकेट मिला है, देखिये ये वीडियो रिपोर्ट.
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.