खुद को ‘नमो ब्रिगेड’ का फ़ाउंडर बताने वाले और RSS से जुड़े नरेश शेनॉय ने 30 नवम्बर, 2020 को एक वीडियो शेयर किया. उन्होंने दावा किया कि हरियाणा में चल रहे किसान प्रदर्शन में आज सुबह SDPI वर्कर नज़ीर मोहम्मद को सरदार के भेष में देखा गया और गिरफ़्तार कर लिया गया. वीडियो में दिख रहा है कि एक सिख व्यक्ति के सिर से पुलिस पगड़ी हटाते हुए उसे पकड़ कर ले जाती है.
Nazir Mohammed an SDPI worker, dressed as a Sardarji in farmers strike in Hariyaana is arrested this morning.
Posted by Naresh Shenoy on Monday, 30 November 2020
कन्नड़ समाचार चैनल विश्ववाणी न्यूज़ के एडिटर इन चीफ़ विश्वेश्वर भट्ट ने भी ये वीडियो ट्वीट किया लेकिन बाद में इसे डिलीट कर लिया गया. (आर्काइव लिंक) इसके अलावा BJP की नेशनल सोशल मीडिया इंचार्ज प्रीति गांधी ने भी ये वीडियो ट्वीट किया था. उनका भी ट्वीट अब डिलीट कर दिया गया है.
फ़ेसबुक पर हिन्दू अमित राजपूत, टी राधेश राय के आलावा कई लोगों ने ये वीडियो शेयर करते हुए यही दावा किया है.
ट्विटर पर भी ये वीडियो इसी दावे के साथ शेयर हो रहा है.
Nazir Mohammed a Popular Front extremist was caught by police as he was participating in Farmers agitation in disguised as a sikh pic.twitter.com/0Q54fiT3m7
— Sandeep pandey (@butterf23893966) November 30, 2020
फ़ैक्ट-चेक
ऑल्ट न्यूज़ इस वीडियो की पड़ताल दिसम्बर 2019 में कर चुका है. उस समय इसे शेयर करने वाले ग़लत दावा कर रहे थे कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध प्रदर्शन के दौरान सिख के भेष में मुस्लिम व्यक्ति को पकड़ा गया.
‘police removes Sikh turban’ की-वर्ड्स से गूगल सर्च करने पर 2011 में प्रकाशित एक घटना की रिपोर्ट मिली. वेबसाइट ‘सिख नेट’ की रिपोर्ट के अनुसार, “रूरल वेटेरिनरी फ़ार्मासिस्टों और कर्मचारियों के शांतिपूर्ण धरने में शामिल एक सिख युवक को पुलिस खींच कर ले गयी और बिना कारण उनकी पगड़ी जबरन हटा दी.” ये घटना पीसीए स्टेडियम, मोहाली, पंजाब के पास 28 मार्च 2011 को हुई थी.
गैर-लाभकारी संगठन यूनाइटेड सिख्स ने एक सिख युवक की पगड़ी हटाने के लिए पंजाब पुलिस के खिलाफ मोहाली न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष एक आपराधिक शिकायत दर्ज की थी. उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री, CJI, NHRC, सहित कई अन्य को भी पत्र लिखे थे.
मार्च 2011 के अंतिम सप्ताह में मोहाली में रूरल वेटेरिनरी फ़ार्मासिस्टों ने अपनी नौकरी नियमित करने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था. 28 मार्च को ये आंदोलन हिंसक हो गया था जब प्रदर्शनकारियों ने प्रोहिबिटरी आदेशों का उल्लंघन किया और पीसीए स्टेडियम के पास इकठ्ठा हुए. द इंडियन एक्सप्रेस ने बताया कि कई वाहनों में तोड़-फोड़ की गई थी. पथराव कर रही भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसूगैस के गोले दागे.
सिख युवक को गिरफ्तार करने और उसकी पगड़ी उतारने का ये वीडियो 29 मार्च, 2011 को यूट्यूब पर अपलोड किया गया था.
यानी, 10 साल पुराना एक वीडियो, जो पहले भी ग़लत दावे के साथ वायरल हो चुका है, फिर से किसान प्रदर्शन से जोड़कर शेयर किया जा रहा है. मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे प्रदर्शन को लेकर कई ग़लत जानकारियां फ़ैल रही हैं. हाल ही में ‘शाहीन बाग की दादी’ की तस्वीर एक अन्य बुज़ुर्ग महिला के साथ शेयर करते हुए ग़लत दावा किया जा रहा था कि वो किसान प्रदर्शन में पैसे लेकर शामिल हुई हैं.
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