उत्तर प्रदेश के हाथरस के कथित रेप केस मामले की पीड़िता ने 29 सितम्बर को दिल्ली के सफ़दरगंज अस्पताल में दम तोड़ दिया. इसके बाद सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर की जाने लगी. दावा किया गया कि ये कथित हाथरस गैंगरेप मामले की पीड़िता है. 2 अक्टूबर को पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने मृतका को श्रद्धांजलि देते हुए 2 तस्वीरें ट्वीट की.
1 अक्टूबर को कांग्रेस के कई नेताओं ने इस घटना के विरोध में प्रदर्शन किया. तमिलनाडु कांग्रेस के ट्विटर हैंडल ने इस प्रदर्शन की कई तस्वीरों के साथ ये तस्वीर भी ट्वीट की.
ये तस्वीर 29 सितम्बर, जिस दिन लड़की की मौत हुई, उसी दिन से सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही है. मेजर सुरेन्द्र पूनिया ने भी ये तस्वीर ट्वीट करते हुए हाथरस घटना का ज़िक्र किया.
फ़ेसबुक, ट्विटर, हर जगह ये तस्वीर शेयर करते हुए लड़की के लिए इंसाफ़ की मांग की गयी.
फ़ैक्ट-चेक
ये तस्वीर हाथरस मामले में मृतका की नहीं है.
ये बात तस्वीर में दिख रही लड़की के भाई ने फ़ेसबुक पर स्पष्ट की है. ये फ़ोटो चंडीगढ़ में एक डॉक्टर की लापरवाही से हुई एक मौत से जुड़ी है. घटना 2018 की है. अजय जीतू यादव ने 29 सितम्बर को एक फ़ेसबुक पोस्ट में लिखा कि ये उनकी बहन की फ़ोटो है. उसकी बहन की मौत 2018 में हो गयी थी. भाई ने गुज़ारिश की है कि इस तस्वीर को हाथरस केस से जोड़कर न शेयर करें. उसने लिखा है कि डॉक्टर की लापरवाही से चंडीगढ़ की पुलिस FIR नही लिख रही थी. तब उसने ये फ़ोटो डालकर कैंपेन चलाने की कोशिश की.
ऑल्ट न्यूज़ ने देखा कि अजय जीतू यादव ने जुलाई, 2018 में फ़ेसबुक न्याय की गुहार लगाते हुए ये तस्वीर शेयर की थी.
हमने जुलाई, 2018 की कुछ रिपोर्ट्स भी देख. पंजाब केसरी में 25 जुलाई, 2018 को छपी रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गयी है. इसके अलावा दैनिक भास्कर ने भी इस मामले पर विस्तृत रिपोर्ट छापी थी. इस रिपोर्ट में बताया गया है, “उसने 16 जुलाई 2018 को लैंडमार्क हॉस्पिटल में चेक-अप करवाया. वहां मनीषा को एडमिट कर लिया गया. इसके बाद मनीषा के पिता को 2 लाख रुपए अरेंज करने के लिए कहा गया. 18 जुलाई 2018 को मनीषा को सर्जरी के लिए ऑपरेशन थिएटर ले जाया गया. पिता ने आरोप लगाया कि उन्हें डॉक्टरों ने बताया ही नहीं कि सर्जरी की ज़रूरत क्यों है जबकि मनीषा तो नॉर्मल थी.
सर्जरी के बाद मनीषा को ICU में भर्ती कर लिया गया. परिवार के किसी सदस्य को उससे मिलने नहीं दिया गया. उन्हें मनीषा की हालत के बारे में पता नहीं था. 22 जुलाई को उन्हें बताया गया कि मनीषा की हालत गंभीर है और उसे फ़ोर्टिस रिफ़र करना पड़ेगा. लैंडमार्क हॉस्पिटल की एंबुलेंस से मनीषा को फ़ोर्टिस भेजा गया. लेकिन वहां पहुंचने के कुछ देर बाद ही लैंडमार्क हॉस्पिटल का स्टाफ़ वहां से चला गया. फ़ोर्टिस हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने जांच के बाद बताया कि मनीषा की तो मौत हो चुकी है. ये खबर सुनते ही उसका परिवार एकदम सदमे में चला गया. उन्हें पता ही नहीं था कि मनीषा के साथ डॉक्टरों ने ऐसा क्या किया की उसकी जान चली गई. मनीषा के परिवार ने लैंडमार्क के बाहर प्रोटेस्ट किया और पुलिस बुलाई. लेकिन पुलिस ने भी डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की.” जुलाई 2019 के जागरण के एक रिपोर्ट में बताया गया है कि सर्जरी के बाद बेटी की मौत होने पर परिवार ने 65 लाख मुआवजा की मांग की.
कुल मिलाकर, चंडीगढ़ की मनीषा यादव, जिसकी 2018 में डॉक्टर की लापरवाही से मौत हो गयी थी, की तस्वीर हाथरस मामले में मृतका की बताकर सोशल मीडिया पर शेयर की गयी.
[अपडेट: 3 अक्टूबर को इस आर्टिकल में वी नारायणसामी का ट्वीट शामिल किया गया.]सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
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