सोशल मीडिया यूज़र्स एक सुपरमार्केट की कुछ तस्वीरें शेयर कर रहे हैं जिसमें सब्ज़ी और फल दिख रहे हैं. लोगों ने दावा किया कि इस मार्केट की शुरुआत बैंगलोर में किसानों ने खुद की है. साथ ही लोगों ने इसे किसान आंदोलनों से भी जोड़ा. एक ट्विटर यूज़र ‘सोनू पंडत’ ने इसे शेयर करते हुए लिखा, “बेंगलुरु के किसानों ने अपना खुद का सुपर मार्केट तैयार कर लिया है इन किसानों से हमें भी कुछ सीखना होगा#12_दिसंबर_को_टोल_प्लाजा_बंद #isupportfarmersprotest #FarmerProtests #Delhi #kisanektazindabad.” (आर्काइव लिंक)
बेंगलुरु के किसानों ने अपना खुद का सुपर मार्केट तैयार कर लिया है इन किसानों से हमें भी कुछ सीखना होगा#12_दिसंबर_को_टोल_प्लाजा_बंद #isupportfarmersprotest #FarmerProtests #Delhi #kisanektazindabad pic.twitter.com/RPHWxaWfKE
— Journalist Sonu Pandat 💙 (@100nujournalist) December 12, 2020
कुछ फे़सबुक यूज़र्स ने भी यही दावा किया. (पहला पोस्ट, दूसरा पोस्ट, तीसरा पोस्ट)
फै़क्ट-चेक
जब हमने शेयर की जा रही चारों तस्वीरों को देखा तो एक तस्वीर में बोर्ड पर अंग्रेज़ी में लिखे एक शब्द पर नज़र पड़ी – ‘HUMUS.’
हमने जब इसे गूगल किया तो पता चला कि ह्यूमस बैंगलोर की सुपरमार्केट कंपनी है. इसकी वेबसाइट पर इसके बारे में जानकारी लिखी हुई है.
वेबसाइट से मिले नंबर पर जब हमने संपर्क किया. हमारी बात इस कंपनी के फ़ाउंडर मंजुनाथ से हुई. हमने उनसे इस वायरल दावे के बारे में पूछा तो उन्होंने हमें बताया, “ये वेंचर हमने 2018 में शुरू किया था. हमारा मकसद था किसानों को अपनी फ़सल का सही दाम मिल जाये और बिचौलिए हटाये जायें ताकि लोगों तक भी ये बाज़ार से कम भाव में पहुंचे. इसके लिए हमने उत्पादन, खरीद, बिक्री और मार्केटिंग को जोड़ने का प्रयास किया. किसान अपनी फ़सल को सीधे हमारे कलेक्शन सेंटर पर बेच सकते हैं जहां उन्हें सही दाम मिलते हैं और हम कोई कमीशन नहीं लेते हैं… आगे हमारा प्लान है कि हम खेती में भी उनकी मदद करें. तकनीक से लेकर पोषक तत्व के बारे में उन्हें जानकारी दी जाएगी.”
उन्होंने आगे कहा, “जो तस्वीरें वायरल हैं वो हमारा ऑर्गेनाइज़्ड मार्केट है जहां ग्राहक सामान खरीद सकते हैं. जो दावा किया जा रहा है वो सच नहीं है. सच्चाई ये है कि हम ग्राहकों और उत्पादकों के बीच सीधा संपर्क बना रहे हैं. किसानों के लिए ये स्टार्टअप मुश्किल है क्यूंकि उनके पास पैसे और अन्य स्रोतों की कमी है. इसलिए हमने ये सेट-अप उनकी बिक्री को आसान बनाने के लिए किया है.”
ह्यूमस की वेबसाइट पर फ़ेसबुक लिंक शेयर किया गया है. कंपनी के फे़सबुक पेज पर वायरल हो रही तस्वीरों जैसी ही अन्य तस्वीरें दिखती है. वायरल तस्वीर में से एक तस्वीर इस पेज का फे़सबुक कवर है और वेबसाइट पर भी मौजूद है.
इस फ़ेसबुक पेज पर हमने अन्य तस्वीरें भी देखीं जिन्हें हाल ही में शेयर किया गया है. लोगों को मास्क पहने हुए देखा जा सकता है. लेकिन इनका न ही किसान आन्दोलन से कोई लेना-देना है और न ही ये किसानों की पहल है.
इस स्टार्टअप के बारे में न्यूज़ रिपोर्ट्स भी मिलतीं हैं जहां बताया गया है इसे मंजुनाथ टीएन और उनकी पत्नी शिल्पा गोपलिया ने शुरू किया था.
कुल मिलाकर, सोशल मीडिया यूज़र्स बैंगलोर के 2018 में शुरू हुए एक स्टार्ट-अप की तस्वीरें शेयर करते हुए ग़लत दावा कर रहे हैं कि बैंगलोर के किसानों ने इसे हाल ही में शुरू किया है.
नरेंद्र मोदी और जशोदाबेन की नहीं बल्कि पूर्व मंत्री की बेटी की शादी के मौके की है ये तस्वीर
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