सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफ़ी शेयर किया जा रहा है जिसमें एक बुजुर्ग आदमी सड़क पर बैठा है और उसके गले में एक व्यक्ति की तस्वीर लटकी है. क्लिप में सैन्य वर्दी में लोगों से घिरे बुजुर्ग व्यक्ति को बंगाली में ये कहते हुए सुना जा सकता है: “मैं मर जाऊंगा, लेकिन मुझे न्याय चाहिए. मैं अपने बच्चे के लिए न्याय चाहता हूं. मेरा बच्चा कहां है? मुझे इंसाफ चाहिए. मैं घर-घर, दफ्तर-दर-दफ्तर घूम चुका हूं. किसी ने नहीं सुनी. आज मैं सुबह से यहां आया हूं…” ये क्लिप सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि वीडियो में दिख रहा शख्स बांग्लादेशी हिंदू है जिसका बेटा लापता है.
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद पूरे बांग्लादेश से अल्पसंख्यकों पर हमले की कई घटनाएं सामने आई हैं. नई अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने कहा है कि इस तरह के अत्याचारों को रोकना प्राथमिकता है.
वीडियो उसी संदर्भ में शेयर किया जा रहा है.
न्यूज़ एजेंसी ANI ने पहले संबंधित वीडियो पोस्ट किया और बाद में अपना ट्वीट हटा दिया. कैप्शन में लिखा था: “बांग्लादेश: अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के एक सदस्य ने अपने लापता बेटे के पोस्टर के साथ विरोध करते हुए कहा, “मैं अपनी जान दे दूंगा लेकिन मुझे अपने बच्चे के लिए न्याय चाहिए.” मेरा बच्चा कहां है? मैं अपने बच्चे के बारे में पूछने के लिए घर-घर जा रहा हूं लेकिन कोई मेरी बात नहीं सुन रहा है.” इस ट्वीट और इसमें मौजूद जानकारी को कई न्यूज़ आउटलेट्स और सोशल मीडिया यूज़र्स ने शेयर किया. (आर्काइव)
जागरण, हिंदुस्तान, NDTV इंडिया, मिरर नाउ जैसे न्यूज़ आउटलेट्स ने भी इस मामले पर रिपोर्ट पब्लिश की और बताया कि एक हिन्दू व्यक्ति अपने बेटे के पोस्टर के साथ प्रदर्शन कर रहा है. ज़्यादातर रिपोर्ट्स में ANI का ट्वीट शामिल किया गया है जिसमें वीडियो दिखाया गया है.
BALA (@erbmjh) उन यूज़र्स में से एक था जिसने इस दावे को आगे बढ़ाया. उसने 13 अगस्त को इस क्लिप को एक कैप्शन के साथ ट्वीट किया जिसका हिंदी अनुवाद है: “मैं अपनी जान दे दूंगा लेकिन मैं अपने बच्चे के लिए न्याय चाहता हूं. मेरा बच्चा कहां है? मैं अपने बच्चे के बारे में पूछने के लिए घर-घर जा रहा हूं लेकिन कोई मेरी बात नहीं सुन रहा है.‘ एक असहाय हिंदू पिता के पास बांग्लादेश में अपने लापता बेटे के लिए न्याय की गुहार लगाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था.” ट्वीट को 6.34 लाख से ज़्यादा बार देखा गया साथ ही 5,100 से ज़्यादा बार रिट्वीट किया गया है. (आर्काइव)
इस यूज़र (@erbmjh) को पहले भी कई बार ग़लत सूचनाएं पोस्ट करते हुए पाया गया है.
“I will give my life but I want justice for my child. Where is my child? I have been going from door to door to inquire about my child but no one is listening to me”
A helpless Hindu father had no choice left but to plead on road for justice for his missing son in Bangladesh💔 pic.twitter.com/N6kCzMLYXG
— BALA (@erbmjha) August 13, 2024
@MrSinha_, @VIKRAMPRATAPSIN, @RealBababanaras जैसे कई अन्य यूज़र्स ने वायरल वीडियो को ऐसे ही दावे के साथ शेयर किया. बाद में ट्वीट्स हटा दिए गए.
फ़ैक्ट-चेक
हमने देखा कि ANI ने अपने पहले के ट्वीट को हटाने के बाद उस ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए स्पष्टीकरण जारी किया: “सुधार: नीचे दिया गया ट्वीट हटा दिया गया है क्योंकि ये व्यक्ति अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय से नहीं है. ग़लती के लिए खेद है.”
Correction: The below tweet has been deleted since this person is not from the minority Hindu community. Error regretted. pic.twitter.com/EY8FBnJc1g
— ANI (@ANI) August 13, 2024
ज़्यादा जानकारी के लिए हमने वीडियो से कई की-फ्रेम्स लिया और उनमें से कुछ पर रिवर्स इमेज सर्च किया. इससे हमें एक फ़ेसबुक लाइव मिला जिसे बांग्लादेशी न्यूज़ आउटलेट Barta24 के पेज से पोस्ट किया गया था. वीडियो को बंगाली टेक्स्ट के साथ पोस्ट किया गया था जिसका हिंदी अनुवाद है: “हमारे प्रियजनों को लौटाओ, सीक्रेट हिरासत सेंटर्स को तोड़ो’ – गायब हुए लोगों के परिवार के सदस्यों ने मानव श्रृंखला विरोध के दौरान सड़क जाम किया गया.” वायरल वीडियो में दिख रहे बुजुर्ग व्यक्ति को इस फ़ेसबुक लाइव में सड़क पर बैठकर दूसरों के साथ ‘हमारे प्रियजनों को वापस लाओ’ और ‘उन्हें मुक्त करो’ के नारे लगाते हुए देखा जा सकता है. उन्हें टोपी पहने भी देखा जा सकता है.
वीडियो में 1 मिनट 45 सेकेंड पर रिपोर्टर बुजुर्ग व्यक्ति से पूछता है कि उसके पास किसकी तस्वीर है और वो व्यक्ति कैसे लापता हो गया. उन्होंने जवाब दिया, “ये मेरा बड़ा बेटा मोहम्मद सनी हवलदार है और मैं बाबुल हवलदार हूं.” वो आगे कहता है कि उसका बड़ा बेटा, सनी पेशे से एक दिहाड़ी मजदूर था और BNP (बांग्लादेश में तत्कालीन विपक्षी पार्टी जब शेख हसीना की अवामी लीग सत्ता में थी) का समर्थक था, सनी को 10 जनवरी, 2013 को ले जाया गया था और वो तब से ही लापता है. उस व्यक्ति का ये भी कहना है कि ये मामला दर्ज करने के लिए वो सालों से दर-दर भटक रहा है. हालांकि, उसे सिर्फ अस्वीकृति और इन धमकियों का सामना करना पड़ा कि अगर वो अड़े रहे, तो उन्हें और उनके छोटे बेटे दोनों को इसी तरह से छीन लिया जाएगा.
वीडियो में रिपोर्टर को धरने पर बैठे अन्य लोगों से बात करते हुए देखा जा सकता है जो लापता परिवार के सदस्यों की ऐसी ही कहानियां शेयर करते हैं.
यानी, ये साफ है कि इस विरोध का देश के अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय के विरोध से कोई संबंध नहीं है.
🔴Live! ‘স্বজনদের ফিরিয়ে দাও, আয়নাঘর ভেঙে দাও’- সড়ক অবরুদ্ধ করে গুম হওয়া স্বজনদের পেতে মানববন্ধন। সরাসরি….
Posted by Barta24 on Tuesday 13 August 2024
हमें 14 अगस्त की प्रोथोम एलो की एक न्यूज़ रिपोर्ट भी मिली जिसका टाइटल था: “मुख्य सलाहकार से गायब होने वाले लोगों के लिए न्याय की मांग.” रिपोर्ट में प्रदर्शनकारियों की एक तस्वीर है जिसमें वायरल वीडियो में दिख रहे बुजुर्ग व्यक्ति को भी देखा जा सकता है.
इस रिपोर्ट में ज़िक्र किया गया है कि 13 अगस्त को दोपहर 3 बजे के आसपास कई लापता व्यक्तियों के परिवार के सदस्य अपने लापता रिश्तेदारों की तस्वीरों और बैनरों के साथ हेयर रोड पर राज्य अतिथि गृह जमुना के सामने जमा हुए. उन्होंने अपने रिश्तेदारों की वापसी की मांग की जो अवामी लीग पार्टी के सत्ता में रहने के दौरान लापता हो गए थे. उन्होंने ‘आइनाघर’ (गुप्त हिरासत केंद्र) में अभी भी हिरासत में लिए गए लोगों की तत्काल रिहाई का भी आह्वान किया.
कुल मिलाकर, ये साफ है कि वायरल वीडियो में दिख रहा बुजुर्ग व्यक्ति बांग्लादेशी हिंदू नहीं है. वीडियो में दिख रहा व्यक्ति मुस्लिम समुदाय से है और एक दशक पहले अपने बेटे के लापता होने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहा था. पूरे मामले का मौजूदा संकट और अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों से कोई संबंध नहीं है. न्यूज़ एजेंसी ANI का झूठे दावे के साथ एक ट्वीट कई अन्य मीडिया आउटलेट्स और सोशल मीडिया यूज़र्स द्वारा ग़लत रिपोर्ट शेयर करने की वजह बन गई. जब तक ANI ने ट्वीट डिलीट किया और भूल सुधार पब्लिश किया, तब तक ये झूठा दावा वायरल हो गया था.
संयोगवश, 13 अगस्त को बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों द्वारा आठ सूत्रीय मांगों के चार्टर के साथ उसी जगह पर एक रैली आयोजित की गई थी. मोहम्मद यूनुस ने उसी दिन राज्य अतिथि गृह, जमुना में विरोध रैली के मुख्य संयोजक प्रसेनजीत कुमार हलदर से मुलाकात की. इसके बाद निर्णय लिया गया कि विरोध प्रदर्शन तीन दिनों के लिए निलंबित रहेगा.
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