7 अप्रैल 2023 को सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया जिसमें नागपुर के फ़ारूक नगर में एक मस्जिद के बाहर एक व्यक्ति भीड़ को संबोधित कर रहा था. मस्जिद से निकली भीड़ को संबोधित करते हुए व्यक्ति ने ‘भगवा लव ट्रैप’ के बारे में बात की. उनके दोनों तरफ बैनर लिए हुए लोग हैं जिनमें से एक पर लिखा है, “दीन पढ़ाओ, बेटी बचाओ. दीन से दूरी है इसलिए हमारी बेटियां मुर्तद हो रही हैं.”

‘भगवा लव ट्रैप’ (BLT), एक कॉन्सपिरेसी थ्योरी है जिसे कुछ मुस्लिम समूहों में लोकप्रियता मिली है. ये इस धारणा को लेकर बनी है कि हिंदू व्यक्ति मुस्लिम महिलाओं को इस्लाम से दूर कर उन्हें सनातन धर्म अपनाने के लिए प्रेरित करने के कथित मकसद से उनके साथ संबंध बनाते हैं. ये बहुचर्चित ‘लव जिहाद’ नैरेटिव की काउंटर-कॉन्सपिरेसी थ्योरी है. लव जिहाद के मुताबिक, मुस्लिम व्यक्ति हिंदू महिलाओं को इस्लाम में परिवर्तित करने के लिए उन्हें बहकाते हैं. हालांकि, केंद्र सरकार और राष्ट्रीय महिला आयोग ने कहा है कि उनके पास ‘लव जिहाद’ पर कोई डेटा मौजूद नहीं है. लेकिन कई भाजपा शासित राज्यों ने धर्मांतरण विरोधी कानून बनाकर और अन्य उपाय करके इस थ्योरी पर अपनी मुहर लगा दी है.

दूसरी ओर, भगवा लव ट्रैप थ्योरी को ऑन-ग्राउंड आउटरीच कार्यक्रम, धार्मिक नेताओं के भाषण, वीडियो के साथ सोशल मीडिया कैंपेन और प्रभावशाली लोगों द्वारा तैयार की गई न्यूज़ रिपोर्ट्स के माध्यम से लगातार समर्थन मिला है. हालांकि, इस थ्योरी पर उनकी राय के बारे में पूछे जाने पर, AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया, “मोहब्बत के मामले में किसी को तंग करने की ज़रूरत नहीं है.”

नागपुर के वीडियो में व्यक्ति जो कह रहा है, उससे हमें ये पता चला है कि BLT कॉन्सपिरेसी थ्योरी कैसे जोर पकड़ रही है. व्यक्ति कहता है:

“मैं सभी भाइयों से अपील करता हूं जो बैनर आप यहां देख रहे हैं, वो यहां सिर्फ ऐसे ही नहीं हैं, वो यहां आपको आपकी लापरवाह नींद से जगाने के लिए हैं. हम सभी जानते हैं कि हमारी बेटियां मुर्तद हो रही हैं. हमारी बेटियों की सुरक्षा करना हमारी ज़िम्मेदारी है. हमें उनकी काउंसलिंग करनी चाहिए. उनके विश्वास की रक्षा करनी चाहिए और उन्हें जागरूक करना चाहिए कि कितनी लड़कियां मुर्तद हो रही हैं. उनके ‘भगवा लव ट्रैप’ में ये रणनीतियां हैं कि कैसे हमारी बेटियों से संपर्क किया जाए, उन्हें फंसाया जाए और उन्हें हमारे धर्म से अलग कर दिया जाए. हमारी बेटियों की सुरक्षा करना आपकी, मेरी और हर किसी की ज़िम्मेदारी है और इसके लिए हमें अपनी बेवकूफ़ी से जागना होगा…”

इनाम के रूप में पेमेंट, नौकरी, संपत्ति: मौलाना सज्जाद नोमानी

सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे पॉपुलर वीडियोज़ में से एक ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यकारी समिति के सदस्य मौलाना सज्जाद नोमानी का है. 7 मिनट की इस क्लिप में मौलवी ने दावा किया कि लगभग 8 लाख मुस्लिम महिलाएं अपना धर्म छोड़ कर हिंदू व्यक्तियों के साथ भाग गई हैं. इन महिलाओं को मुर्तद (धर्मत्यागी) करार दिया गया है. उन्होंने आगे दावा किया कि RSS ने एक बड़ी टीम बनाई है जिसका मकसद हिंदू युवाओं को तीन से छह महीने के लिए ट्रेनिंग देना, उन्हें उर्दू भाषा कौशल और अन्य शिष्टाचार देना है, ताकि वो मुस्लिम महिलाओं को लुभा सकें. उनके बयान के मुताबिक, अगर कोई हिंदू व्यक्ति किसी मुस्लिम लड़की को इस्लाम छोड़ने के लिए मनाने में सफल हो जाता है तो उसे ढ़ाई लाख रुपये ईनाम के तौर पर दिए जाते हैं. इसके अलावा, उन्हें संपत्ति और रोजगार जैसे अलग-अलग फायदे भी दिए जाते हैं. मौलवी का कहना है कि अब लाखों हिंदू युवा इस अभियान में शामिल हो गए हैं. ये बयान मौलाना सज्जाद नोमानी ने 31 दिसंबर 2021 को दिया था और ये भाषण उनके यूट्यूब चैनल पर भी मौजूद है.

ऐसा लगता है कि मौलाना सज्जाद नोमानी का बयान RSS के नाम से लिखे गए एक मनगढ़ंत लेटर से प्रेरित है जो कुछ समय से शेयर किया जा रहा है. इस फर्ज़ी लेटर में मुस्लिम महिलाओं को फंसाने के लिए 12 विशिष्ट रणनीतियों की रूपरेखा बताई गई है जिसमें दावा किया गया है कि RSS इन महिलाओं का धर्म परिवर्तन करने और उन्हें “सनातन धर्म” में शामिल करने के लिए 15-दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करेगा. हाल ही में ऑल्ट न्यूज़ ने इस लेटर के बारे में जांच की थी. उस वक्त ये “#भगवालवट्रैप” या “#भगवा_लव_ट्रैप” के साथ ट्रेंड कर रहा था. इसके अलावा, ऐसा लगता है कि नए कपल को अपना नया घर बनाने में मदद के लिए ढ़ाई लाख रुपये ईनाम के तौर पर दिए जाने का आंकड़ा, 2018 में अखिल भारत हिंदू युवा मोर्चा के सदस्यों द्वारा की गई पेशकश से लिया गया है.

एक और धार्मिक नेता, मौलाना तौकीर रज़ा ने मार्च की शुरुआत में ABP गंगा के साथ एक इंटरव्यू के दौरान हिन्दुओं द्वारा मुस्लिम महिलाओं को ‘फंसाए’ जाने के बारे में इसी तरह का दावा किया था. उनके मुताबिक, बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठनों ने कथित तौर पर मुस्लिम महिलाओं को फंसाने में सफल होने वाले हिंदू व्यक्तियों को 2 लाख रुपये और कुछ अन्य फ़ायदे और ईनाम की पेशकश की है. उनका कहना है कि एक सर्वे के मुताबिक, 10 लाख मुस्लिम महिलाओं को हिंदू व्यक्तियों ने या तो बहकाया है, फंसाया है, या फिर उनका अपहरण कर लिया है. मौलाना सज्जाद नोमानी और मौलाना तौकीर रज़ा ने अपने बयानों में इन आंकड़ों का कोई सोर्स नहीं बताया. अप्रैल के अंत में मिल्लत टाइम्स के साथ एक इंटरव्यू में मौलाना सज्जाद नोमानी ने अपने पहले के बयान के बारे में सफाई दी. उन्होंने अपने पिछले बयान को वापस लेते हुए कहा कि उनके एक पहचान वाले व्यक्ति ने बताया कि उन्होंने अपने बयान में जिस आंकड़े का ज़िक्र किया था वो ग़लत था. लेकिन उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय को चिंतित होना चाहिए भले ही एक लड़की का धर्म परिवर्तन किया जा रहा हो, क्योंकि इन आरोपों को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए.

ऊपर बताए इन बयानों के अलावा, यूट्यूब पर ‘भगवा लव ट्रैप’ पर चर्चा करने वाले कई वीडियोज़ को हज़ारों व्यूज़ मिले हैं. ये वीडियो आम तौर पर लंबे मोनोलॉग को नाटकीय संगीत के साथ अलग-अलग व्यक्तियों द्वारा पेश किए जाते हैं.

सेक्युलर मिया भाई (SMB)

इस यूट्यूब चैनल के 1.5 मिलियन सब्सक्राइबर हैं और इसने ‘भगवा लव ट्रैप’ पर फ़ोकस करते हुए कई वीडियोज़ बनाए हैं. इस सब्जेक्ट पर मिले सबसे शुरुआती वीडियो में से एक सितंबर 2021 में अपलोड किया गया था. इसका टाइटल था, “मुसलमान सिक्स्थ जनरेशन की जंग हर रहे पार्ट 1 | लव ट्रैप से बचे.” इसे 2 लाख से ज़्यादा बार देखा गया है.

इस वीडियो में, क्रिएटर ने दावा किया कि मुसलमान छठी पीढ़ी की ऐसी जंग हार रहे हैं जो एक मनोवैज्ञानिक लड़ाई है, जहां लक्ष्य ज़मीन पर कब्ज़ा करना नहीं बल्कि दिमाग पर कब्ज़ा करना है. वीडियो में एक वॉइस-ओवर है जिसमें ठोस डेटा या सबूत बताए बिना, इस जंग की भ्रामक प्रकृति के बारे में बताया गया है. इसमें सोशल मीडिया द्वारा समर्थित “फर्ज़ी एम्पावरमेंट” की अवधारणा पर चर्चा की गई है. साथ ही उन उदाहरणों के बारे में भी बताया गया है जहां गैर-मुस्लिम व्यक्तियों ने इस्लाम के बारे में सीखने के बहाने मुस्लिम महिलाओं से कॉन्टेक्ट किया, ताकि धीरे-धीरे उन्हें मैनिपुलेट किया जा सके.

सितंबर 2021 में ही यूज़र ने इसी सब्जेक्ट पर दो और वीडियोज़ शेयर किए. पहले वीडियो की तरह ही, दूसरे वीडियो में पर्याप्त कंटेंट की कमी है और इसमें मुख्य रूप से मनोवैज्ञानिक जंग से संबंधित डर पैदा किया गया है. इस सीरिज के तीसरे वीडियो में समुदाय को इस ‘प्रेम जाल’ से बचाने के मकसद से एक नौ-स्टेप की योजना पेश की गई है. इस योजना में अपने संबंधित क्षेत्रों में ऐसे मामलों की निगरानी और समाधान के लिए एक सतर्क टीम बनाने जैसे सुझाव शामिल हैं. सितंबर 2021 और मई 2023 के बीच, चैनल ने इस सब्जेक्ट पर लगभग 36 वीडियोज़ बनाए जिनमें सबसे ज़्यादा मई 2023 में अपलोड किये गए हैं.

आगे शामिल चार्ट, इस सब्जेक्ट पर अपलोड किए गए वीडियोज़ का मंथली डिस्ट्रीब्यूशन दिखाता है.

हक मीडिया

3 मई, 2023 को चैनल ‘हक मीडिया’ ने एक वीडियो शेयर किया जिसका टाइटल था, “भगवा लव ट्रैप कॉन्सपिरेसी ऑर मिथ?.” वीडियो के होस्ट फ़ैज़ुल बारी ने एक ‘लंबी-चौड़ी रिसर्च’ के आधार पर दर्शकों के लिए एक प्रेजेंटेशन के रूप में कार्यक्रम पेश किया. प्रसारण के दौरान, ऐंकर ने ऐसे कई मामलों पर चर्चा की जहां मुस्लिम महिलाएं कथित तौर पर हिंदू पुरुषों के साथ भाग गईं, हिंदू धर्म अपना लिया और कुछ महीनों के बाद ही उन्हें उनके पार्टनर ने छोड़ दिया. यहां तक ​​कि उनमें से कई महिलाओं की मौत भी हो गई. ऐंकर इन घटनाओं की चिंताजनक प्रकृति पर रौशनी डालते हुए ये सवाल उठाता है कि क्या इनके पीछे कोई ठोस नैरेटिव है. इसे विस्तार से बताने के लिए ऐंकर पिछले कुछ सालों में हिंदू नेताओं के बयान पेश करता है.

इस रिपोर्ट के संदर्भ में ये स्पेशल वीडियो विशेष महत्व रखता है क्योंकि इसमें उन मामलों और भाषणों का अवलोकन किया गया है जिनका इस्तेमाल ‘भगवा लव ट्रैप’ थ्योरी को बढ़ावा देने और इन्हें साबित करने के लिए किया जा रहा है. इसमें कम से कम 19 उदाहरणों पर जोर दिया गया है जहां अंतरधार्मिक संबंधों में शामिल मुस्लिम महिलाओं को उनके पार्टनर्स ने धोखा दिया, छोड़ दिया या उनकी हत्या कर दी गई. इसके अलावा, इसमें करीब 17 ऐसी घटनाओं के बारे में बताया गया है जिसमें हिंदू नेताओं या हिंदू युवाओं ने मुस्लिम महिलाओं के बारे में अपमानजनक बातें कही हैं, और मुस्लिम महिलाओं से शादी करने वाले हिंदू युवाओं के लिए इनाम कार्यक्रमों की घोषणा की है. इसके अलावा, इसमें महत्वपूर्ण मीडिया कवरेज हासिल करने वाली ‘बुल्ली बाई’ और ‘सुल्ली डील्स’ गिटहब ऐप्प्लिकेशन जैसी उल्लेखनीय ऑनलाइन घटनाओं के बारे में भी बताया गया है. दिलचस्प बात ये है कि ऐंकर ने मौलाना सज्जाद नोमानी और मौलाना तौकीर रज़ा द्वारा बताए गए आंकड़ों का भी ज़िक्र किया. वीडियो में इन घटनाओं को चल रहे एक अभियान की शुरुआत बताया गया है जो ऐसी घटनाओं से बचाने के लिए मुस्लिम महिलाओं की एक रक्षा तंत्र की ज़रूरत पर ज़ोर डालता है.

आगे, इस वीडियो में होस्ट ने कहा कि हर क्षेत्र की मुस्लिम महिलाएं इस अभियान का शिकार बन रही हैं. इनका दावा है कि सख्त घरों की मुस्लिम महिलाओं को उन मोबाइल गेम्स के जरिए फंसाया जा रहा है जिनमें इनबिल्ट चैट फ़ीचर हैं.

‘भगवा लव ट्रैप’ के बारे में स्क्रॉल से बात करते हुए, फ़ैज़ुल बारी ने कहा कि वो लोगों को ऐसे रिश्ते के परिणामों के बारे में चेतावनी देना अपना कर्तव्य मानते हैं. “मैं इसे धार्मिक नज़रिये से देखता हूं. लोगों को पाप में शामिल होने से रोकना मेरा धार्मिक कर्तव्य है.” उन्होंने कहा, “हमें मुस्लिम व्यक्तियों और हिंदू महिलाओं के बीच अंतर-धार्मिक संबंधों के खिलाफ भी बोलना चाहिए क्योंकि इससे हिंदू समाज में चिंता की भावना पैदा होती है.”

रज़ा ग्राफी

इस चैनल ने 23 मई, 2023 को एक वीडियो अपलोड किया जिसका टाइटल था, “सरकारी भगवा लव ट्रैप, पूरी प्लानिंग और षड्यंत्र के साथ मुसलमान लड़कियों को फसाया जा रहा जाल में!”. इस वीडियो में भी बीच-बीच में ग्राफ़िक्स के साथ लंबे मोनोलॉग शामिल हैं. वीडियो के इंट्रोडक्शन वाले हिस्से में होस्ट, मुहम्मद रज़ा, ने ‘सरकारी भगवा लव ट्रैप’ टर्म के बारे में बताया.

मुहम्मद रज़ा ने बरेली की एक घटना के बारे में बताते हुए शुरुआत की जहां एक रेलवे कर्मचारी आशीष को गेस्ट हाउस में एक मुस्लिम महिला के साथ ‘पकड़ा’ गया था. उनका कहना है कि कथित तौर पर ये पाया गया कि आशीष के फ़ोन में कई महिलाओं की तस्वीरें थीं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक मुस्लिम संगठन के सदस्यों को इन दोनों के बारे में ‘टिप’ मिली थी और जांच करने पर ये जानकारी विश्वसनीय पाई गई. होस्ट ने इस उदाहरण का इस्तेमाल ये दिखाने के लिए किया कि ये साजिश के ‘सरकारी’ आयाम हैं. मुहम्मद रज़ा का कहना है कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से समर्थन पाने वाली ‘द केरला स्टोरी’ जैसी फ़िल्मों का इस्तेमाल ‘रिवर्स लव जिहाद’ की अवधारणा को प्रचारित करने के लिए किया जाता है. मुहम्मद रज़ा के स्पष्टीकरण के मुताबिक, ये उल्टा ‘लव जिहाद’ है क्योंकि पहले ‘लव जिहाद’ की कॉन्सपिरेसी थ्योरी बनाई गई और फिर हिंदू युवाओं को इसका बदला लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.

बरेली की घटना के बारे में बताते हुए, होस्ट ने ये दावा किया कि हिंदू समुदाय खुलेआम इस तरह के कामों में शामिल हैं. होस्ट इन घटनाओं के लिए मुस्लिम लड़कियों और उनके मां-बाप को ज़िम्मेदार मानते हैं. होस्ट के मुताबिक, ये लड़कियां अपने पार्टनर के धर्म से पूरी तरह वाकिफ़ हैं, फिर भी वो अपने ही समुदाय से दूरी बना लेती हैं. वो आगे इस बात पर ज़ोर देते हैं कि ग़लती इन लड़कियों के मां-बाप की भी है, उन्होंने कहा कि उन्हें आज़ादी देना स्वाभाविक रूप से ग़लत नहीं है. लेकिन कुछ लड़कियां इस आज़ादी और शिक्षा का फ़ायदा उठाती हैं. होस्ट का ये भी कहना है कि अगर इन लड़कियों को आकर्षण महसूस होता है तो उन्हें बस अपने मां-बाप से उनकी शादी करने की रिक्वेस्ट करनी चाहिए.

जो मुस्लिम लड़कियां जींस पहनती हैं, वो हिंदू लड़कों के साथ कमरे में पाई जाती हैं

होस्ट ने ये भी कहा कि इन लड़कियों के पास बहुत अच्छी अकैडमिक उपलब्धियां होती हैं जिसकी वजह से उनके मां-बाप इतने उदार हो जाते हैं कि उनके बुर्का छोड़ देने पर भी आपत्ति नहीं जताते. होस्ट का कहना है कि व्यक्तिगत रूप से अपने आस-पास ऐसे कई मामले देखे हैं जहां मां-बाप अपने बेटे के जींस पहनने को नापसंद करते थे. हालांकि, अब वही मां-बाप अपनी बेटियों को हिजाब और जींस पहनने, डांस करने और अपने परफ़ॉर्मेंस को सोशल मीडिया पर शेयर करने की अनुमति दे देते हैं. होस्ट का कहना है कि इन मां-बाप की बेटियां आख़िरकार हिंदू समुदाय के व्यक्तियों के साथ निजी कमरों (एक लोकप्रिय होटल रूम एग्रीगेटर प्लेटफ़ॉर्म का नाम देते हुए) में पाई जाती हैं.

इसके बाद होस्ट इस बात पर चर्चा करने लगता है कि किस तरह मोदी शासन के दौरान अपराधी के धर्म के आधार पर कानून प्रवर्तन अलग-अलग तरीकों से काम करता है. उनका दावा है कि अगर कोई मुस्लिम व्यक्ति किसी हिंदू महिला के साथ पकड़ा जाता है, तो उसे तुरंत भीड़ की हिंसा का शिकार होना पड़ता है, लेकिन अगर कोई मुस्लिम महिला किसी हिंदू व्यक्ति के साथ पकड़ी जाती है, तो समाज इसे मुस्लिम समुदाय द्वारा लड़की को परेशान करने के रूप में दिखाने की कोशिश करता है जिसके बाद मुस्लिम समुदाय के सदस्यों पर शिकायतें दर्ज की जाती हैं. होस्ट ने उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में हुई एक घटना के बारे में बताते हुए अपना विचार व्यक्त किया कि ये लड़कियां बेशर्म हैं. क्योंकि वो भीड़ का सामना करती हैं और उनके खिलाफ मामले दर्ज करती हैं. (हमें इस घटना के बारे में कोई न्यूज़ रिपोर्ट नहीं मिली; सिर्फ ट्विटर पर अपलोड किया गया एक अनवेरिफ़ाईड वीडियो मौजूद है.)

होस्ट ने एक और मामले के बारे में भी बात की जहां एक मुस्लिम लड़की ने अपने लिए स्टैंड लिया. और साथ ही इन लड़कियों और मुस्लिम नाम वाले अन्य प्रभावशाली लोगों पर दोष मढ़ना जारी रखा, ये सुझाव देते हुए कि ये प्रभावशाली लोग इनके लिए प्रेरणा बनने का काम करते हैं. आखिर में होस्ट ने एक दुखद घटना के बारे में बात की जहां नोएडा में अपने हिंदू साथी के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहनेवाली एक मुस्लिम लड़की की उसके पार्टनर ने ही हत्या कर दी गई थी.

मिस्टर रज़ा ने ऑल्ट न्यूज़ के साथ टेलीफ़ोन पर हुई बातचीत में ‘भगवा लव ट्रैप’ पर अपना नज़रिया संक्षिप्त में बताया. रज़ा ने कहा, “BLT एक संगठित प्रयास है क्योंकि सालों से हिंदुत्व नेताओं ने मुस्लिम महिलाओं से शादी करने पर हिंदू युवाओं के लिए सार्वजनिक रूप से इनाम और अन्य प्रोत्साहनों की घोषणा की है. हिंदू युवाओं की कई टेलीग्राम चैट वायरल हुई हैं जिनमें वो मुस्लिम महिलाओं के प्रति गंदी बयानबाज़ी करते नज़र आ रहे हैं. ये व्यवस्थित प्रचार के पीछे अधिकारियों की ये टेन्डेंसी है कि जब कोई मुस्लिम व्यक्ति किसी हिंदू महिला से शादी करता है तो वो तेजी से ‘जांच’ शुरू कर देते हैं, जबकि ऐसे इनाम कार्यक्रमों की घोषणा करनेवाले व्यक्तियों के खिलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है.”

रज़ा ने मोरल पुलिसिंग के प्रति भी अपना विरोध व्यक्त किया और कानूनी और संवैधानिक प्रक्रियाओं के पालन के महत्व पर ज़ोर दिया. उन्होंने कहा, “मैं संविधान के पक्ष में हूं और मेरा मानना ​​है कि किसी को भी परेशान नहीं किया जाना चाहिए.”

ट्विटर और इंस्टाग्राम कैंपेनर्स

ये साफ तौर पर दिखता है कि सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर ‘भगवा लव ट्रैप’ थ्योरी को बढ़ावा देने का एक उल्लेखनीय और समन्वित प्रयास किया जा रहा है. इसमें कुछ प्रमुख यूज़र्स शामिल हैं जो अंतरधार्मिक जोड़ों को भीड़ द्वारा निशाना बनाए जाने की ख़बरों को बढ़ावा देते हैं, साथ ही इन मोरल पुलिसिंग गतिविधियों पर आपत्ति उठानेवाली महिला आवाज़ों को परेशान करने का भी काम करते हैं. इसके अलावा, कुछ यूज़र्स डॉक्सिंग में शामिल हैं और लगातार होने वाले इस एम्प्लिफ़ीकेशन के माध्यम से इस धारणा को कायम रखने में मदद करते हैं. वो अंतर्धार्मिक संबंधों में मुस्लिम महिलाओं के कथित ‘भाग्य’ को दिखाने वाले ग्राफ़िक्स शेयर करते हैं या धार्मिक उपदेश बांटते हैं जिनमें मुस्लिम लड़कियों को बहकाने के लिए ज़िम्मेदार कथित ‘शक्तियों’ के बारे में समुदाय को ‘चेतावनी’ दी जाती है.

उदाहरण के लिए, 44 हज़ार फ़ॉलोवर्स वाले एक यूज़र ने ‘भगवा लव ट्रैप’ के बारे में एक ट्वीट किया जिसे करीब 1.5 लाख बार देखा गया है. ये ध्यान देने वाली बात है कि इसी यूज़र ने पहले RSS के नाम से एक मनगढ़ंत लेटर शेयर किया था जिसमें हिंदू व्यक्ति से लेकर मुस्लिम महिलाओं तक के लिए अलग-अलग रणनीतियों की रूपरेखा बताई गई थी और यहां तक ​​कि इन जोड़ों के लिए ईनाम के तौर पर पैसे देने का भी ज़िक्र किया गया था. उसी महीने, इस यूज़र ने अंतरधार्मिक संबंधों के बारे में ऐसी न्यूज़ रिपोर्ट्स ट्वीट कीं जो मुस्लिम महिलाओं को धोखा देने या उनकी हत्या करने के बारे में थीं. उन्होंने हिंदुत्व युवा नेता सुखदेव सहदेव का दो साल पुराना वीडियो भी ट्वीट किया जिसमें मुस्लिम महिलाओं को रणनीतिक तौर पर निशाना बनाने की बात कही गई थी.

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एक ऐसा अकाउंट भी है जिसके सिर्फ 70 ट्वीट होने के बावजूद 2 हज़ार से ज़्यादा फ़ॉलोवर्स हैं. इस अकाउंट से अक्सर अंतरधार्मिक जोड़ों के बारे में जानकारी शेयर की जाती है. कभी-कभी उनके सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल या घर का एड्रेस भी बताया जाता है. यहां ध्यान दें कि ये कोई अलग मामला नहीं है. क्योंकि इसी तरह की गतिविधियों में कई और एकाउंट्स भी शामिल हैं. इसके अलावा, ये एकाउंट्स उन लोगों को लगातार टारगेट और परेशान करते हैं जो इनके इस अभियान की आलोचना करते हैं. ऐसे व्यक्तियों को टारगेट करने के लिए सोशल मीडिया हैशटैग का इस्तेमाल भी किया जाता है. इन एकाउंट्स द्वारा किए गए कुछ ट्वीट्स का कोलाज नीचे दिया गया है:

इंस्टाग्राम पर’#Bhagwa_Love_Trap’, ‘#BhagwaLoveTrap’, या ‘#भगवा_लव_ट्रैप’ जैसे हैशटैग सर्च करने पर कई पोस्ट्स सामने आते हैं. इन पोस्ट्स में अलग-अलग तरह के कंटेंट शामिल हैं जिसमें अंतरधार्मिक जोड़ों की डिटेल, ‘भगवा लव ट्रैप’ से जुड़े जोखिमों को उजागर करने वाले इन्फ़ोग्राफ़िक्स और अन्य संबंधित कंटेंट शामिल हैं. गौर करें कि इनमें से कुछ पोस्ट दिसंबर 2021 के हैं जिससे प्लेटफ़ॉर्म पर इस तरह की कंटेंट की उम्र और प्रसार का पता चलता है. पिछले दिनों न्यूज़ मीटर ने ‘Jhamunda_official._’ नामक इंस्टाग्राम पेज को लेकर एक स्टोरी पब्लिश की थी. ये अकाउंट सार्वजनिक स्थानों पर अलग-अलग धर्मों के व्यक्तियों के साथ देखी जाने वाली मुस्लिम महिलाओं के बारे में जानकारी इकट्ठा करके इन डिटेल्स को ऑनलाइन शेयर करने के लिए जाना जाता था.

नीचे कुछ पोस्ट्स का कोलाज है जिन्हें इन हैशटैग के साथ इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया गया था.

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ज़मीनी स्तर पर कैंपेन्स, मोरल पुलिसिंग और गिरफ़्तारियां

7 अप्रैल और 14 अप्रैल को नागपुर में फ़िल्माए गए दो वीडियोज़ फ़ेसबुक पर पोस्ट किये गए जिसमें से एक वीडियो में मस्जिद के बाहर बैनर पकड़े हुए और भाषण देते हुए लोग दिख रहे हैं. और दूसरे वीडियो में एक शख्स बेटियों के फ़ोन को पासवर्ड से सुरक्षित रखने को लेकर चिंता जाहिर कर रहा है. उसका कहना है कि सांसारिक शिक्षा तभी दी जानी चाहिए जब किसी के बच्चे की सुरक्षा सुनिश्चित हो. वो युवाओं से इस तरह की घटना से सतर्क रहने और समुदाय से भटकी हुई लड़कियों को सलाह देने के लिए भी आग्रह करता है.

24 मई को मीडिया आउटलेट्स ने रिपोर्ट किया कि मध्य प्रदेश के इंदौर में पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153-A (धर्म के आधार पर अलग-अलग समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत 10 अनजान व्यक्तियों के खिलाफ FIR दर्ज की है. आरोप लगाया गया कि 20 मई की रात को RSS और बजरंग दल को टारगेट कर आपत्तिजनक कंटेंट वाले पर्चे बांटे गए थे. इसके बाद, 26 मई को ये रिपोर्ट किया गया कि घटना में शामिल पांच व्यक्तियों की पहचान कर उन्हें गिरफ़्तार किया गया. पुलिस के मुताबिक, इन पैम्फ़लेट्स में ये आरोप लगाया गया था कि “10 लाख मुस्लिम लड़कियों को काफ़िर (धर्म बदल कर दूसरा धर्म अपनाने वाले) बनाने की कोशिश की जा रही है.” महाराष्ट्र के अमरावती शहर में 800 मुस्लिम लड़कियों का धर्म परिवर्तन कराया गया.

5 जून तक, ऑल्ट न्यूज़ ने देश के अलग-अलग क्षेत्रों में मुस्लिम व्यक्तियों द्वारा किए गए मोरल पुलिसिंग के 31 मामलों का डॉक्यूमेंटेशन किया है. सबसे ज़्यादा घटनाएं उत्तर प्रदेश में हुईं हैं जहां ऐसे कुल 12 मामले थे. उसके बाद तेलंगाना में (4 मामले) और मध्य प्रदेश (3 मामले) आता है. चार उदाहरणों की सटीक जगह अनवेरिफ़ाईड है. ये ध्यान रखना ज़रूरी है कि ये डेटा ‘भगवा लव ट्रैप’ कॉन्सपिरेसी के प्रचार से जुड़े मॉनिटरिंग एकाउंट्स द्वारा मैन्युअल रूप से इकट्ठा किया गया है, और असली संख्या अलग भी हो सकती है.

इंदौर में की गई पांच गिरफ़्तारियों के अलावा, 27 मई को खबर आयी कि 6 लोगों को एक ऐसे व्यक्ति को परेशान करने के आरोप में पकड़ा गया था जो अपनी मुस्लिम महिला दोस्त के साथ रात के खाने के लिए बाहर गया था. इसी तरह, उसी दिन, कर्नाटक के एक भोजनालय में अपनी मुस्लिम महिला दोस्त के साथ आए एक हिंदू व्यक्ति को परेशान करने के आरोप में 20 साल की उम्र के दो मुस्लिम युवकों को गिरफ़्तार किया गया था. उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में एक मुस्लिम महिला की शिकायत के बाद एक दुकान के मालिक को गिरफ़्तार किया गया. जब महिला एक हिंदू दोस्त के साथ बाज़ार में थी, तब उसे कथित तौर पर कुछ व्यक्तियों द्वारा परेशान किया गया और धमकी दी गई थी. द क्विंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 13 मई को एक हिंदू व्यक्ति के उत्पीड़न और धमकी के आरोप में 6 लोगों को मेरठ में पकड़ा गया था. ये घटना तब हुई जब वो एक मुस्लिम महिला के साथ बाइक पर सवार था. इसी तरह, मुज़फ़्फ़रनगर में अपनी मुस्लिम महिला दोस्त के साथ आने वाले एक हिंदू व्यक्ति को परेशान करने के आरोप में चार लोगों को गिरफ़्तार किया गया.

मुस्लिम समुदाय की चिंता और मुस्लिम महिलाओं की एजेंसी

बेशक, हाल के सालों में मुस्लिम महिलाएं भाषण, वीडियो स्किट्स, इनाम कार्यक्रम, हिजाब विरोधी अभियान, सोशल मीडिया पर ‘बुल्ली बाई’ और ‘सुल्ली डील’ जैसी डिजिटल नीलामी और अनियंत्रित सेक्सुअल वॉइलेंस जैसे अलग-अलग माध्यमों से हिंदुत्व समूहों का निशाना बनी हैं. इन्हीं घटनाओं का इस्तेमाल ‘भगवा लव ट्रैप’ साजिश को सही ठहराने के लिए किया जाता है.

उदाहरण के लिए, जैसा कि आर्टिकल की शुरुआत में भी बताया गया है, ‘भगवा लव ट्रैप’ के एक वीडियो में 17 उदाहरण के बारे में बताया गया है. ऐसे उदहारण जहां हिंदू नेताओं या युवाओं ने मुस्लिम महिलाओं के बारे में अपमानजनक बातें की हैं या मुस्लिम महिलाओं से शादी करने वाले हिंदू युवाओं के लिए खुले तौर पर इनाम कार्यक्रम की घोषणा की है. इस तरह के बयान और घोषणाएं सार्वजनिक जगहों पर की गई हैं और ये बड़े पैमाने पर समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय हैं. इन घटनाओं ने मुस्लिम समुदाय के भीतर दहशत की भावना पैदा कर दी है और इन घटनाओं पर होने वाली प्रतिक्रिया सभी के सामने स्पष्ट हैं. दरअसल, ज़मीनी स्तर के काम में व्यापक अनुभव वाली एक प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता खालिदा परवीन ने हाल ही में ट्विटर पर ‘भगवा लव ट्रैप’ कॉन्सपिरेसी के अस्तित्व को वैलिड बताया, जबकि इसके समकक्ष ‘लव जिहाद’ को महज एक प्रोपगेंडा करार दिया.

खालिदा परवीन के ट्वीट के बारे में उनके विचार समझने के लिए हमने उनसे संपर्क किया. उनके मुताबिक, ‘भगवा लव ट्रैप’ नैरेटिव की वैधता ‘प्रभावशाली हिंदुत्व हस्तियों द्वारा मुस्लिम लड़कियों को फंसाने के लिए हिंदू युवाओं के लगातार आग्रह’ से उपजी है. ये प्रभावशाली लोग खुले तौर पर इनाम कार्यक्रम की घोषणा करते हैं और अपने संदेश को आगे बढ़ाने के लिए अलग-अलग रणनीतियों का इस्तेमाल करते हैं.

ख़ालिदा ने कहा, “देखिए, अंतरधार्मिक रिश्ते सदियों से होते आ रहे हैं, मुझे इसकी जरा भी परवाह नहीं है. मेरी चिंता किशोर लड़कियों के फंसाने को लेकर है. हाल ही में अपनी पेशेवर क्षमता से मैं उन किशोर मुस्लिम लड़कियों की काउंसलिंग में सक्रिय रूप से शामिल रही हूं जो खुद को हिंदू लड़कों के साथ रिश्तों में उलझा लेती हैं, लेकिन बाद में उन्हें सिर्फ ‘टाइम पास’ का बहाना देकर छोड़ दिया जाता है.” उन्होंने आगे कहा, “इन घरों में अक्सर अपनी आंतरिक चुनौतियां होती हैं, जो इन लड़कियों को वैकल्पिक रास्ते तलाशने के लिए प्रेरित करती हैं जिससे वो ऐसी परिस्थितियों में पहुंच जाती हैं. कुछ मामलों में इन लड़कियों को मादक पदार्थों के सेवन के लिए भी मजबूर किया जाता है.”

ये स्पष्ट नहीं है कि ये टीनएज रिलेशनशिप ‘भगवा लव ट्रैप’ के अस्तित्व को कैसे साबित करते हैं, क्योंकि किशोरों के लिए अपने मां-बाप की इच्छा के विरुद्ध रिश्ते में आना, फिर टूट जाना या गंभीर मामलों में, अलग-अलग तरीकों से मादक पदार्थों के सेवन में शामिल होना कोई नई बात नहीं है.

जब हमने देश भर में होने वाले मोरल पुलिसिंग के मामलों के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा कि कंसल्टिंग एडल्ट्स को उत्पीड़न का शिकार नहीं माना जाना चाहिए. उन्होंने कहा, “सबसे अच्छा, इन व्यक्तियों को ऐसी एडल्ट महिलाओं को काउंसलिंग देना चाहिए और इनके परिवारों को इनकी बेटी के बारे में बताना चाहिए. मेरा मानना ​​है कि परिवारों को भी अपने दरवाजे खुले रखने चाहिए और इन महिलाओं को तब नहीं छोड़ना चाहिए जब तक कि उन्हें एहसास न हो कि उनका जीवन दयनीय होने वाला है. इस तरह, उनके पास अपने रिश्ते में होने वाली किसी भी प्रतिकूल स्थिति के लिए मदद की एक विश्वसनीय सहायता प्रणाली होगी.”

इसके अलावा, उन्होंने सुझाव दिया कि जो व्यक्ति ऐसी स्थितियों का सामना करते हैं, उन्हें वीडियो रिकॉर्ड करने और सोशल मीडिया पर इसे शेयर करने से बचना चाहिए, इसके बजाय, उन्हें शारीरिक उत्पीड़न और धमकी का सहारा लिए बिना परिवारों के साथ सीधे बातचीत में शामिल होना चाहिए. शारीरिक उत्पीड़न और धमकी का कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिलता. सबसे बढ़कर, उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि एडल्ट महिलाओं की पसंद में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और उन्हें स्वतंत्र छोड़ देना चाहिए. उन्होंने कहा, “आखिरकार ये उनका जीवन है और वो अल्लाह के सामने अपने कर्मों के लिए जवाबदेह हैं.”

हमने मौलाना सज्जाद नोमानी से संपर्क करने की कोशिश की. लेकिन उनके बेटे ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया कि मौलाना से बातचीत संभव नहीं है.

ऐसा नहीं है कि BLT मुद्दे पर सभी मौलवी की एक ही राय है. द हिंदू के साथ एक इंटरव्यू में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफ़ुल्लाह रहमानी ने कहा, “संघ परिवार द्वारा इस तरह का प्रचार किया जा रहा है. हमारे कुछ भावुक वक्ता ने अपने भाषणों में इसे मसालेदार बनाने का काम किया है जो मुसलमानों के लिए हानिकारक है. अगर ऐसा कुछ होता है, तो ये को-एजुकेशन और वर्कप्लेस की वजह से होता है जहां पुरुष और महिलाएं दोनों एक साथ काम करते हैं, और ऐसा पहले भी हुआ है.

‘मोरल पुलिसिंग की स्पष्ट रूप से निंदा की जानी चाहिए’

ऑल्ट न्यूज़ के साथ टेलीफ़ोन पर हुई बातचीत में FORCE मैगज़ीन की संपादक और ‘बॉर्न ए मुस्लिम: सम ट्रुथ्स अबाउट इस्लाम इन इंडिया’ किताब की लेखिका ग़ज़ाला वहाब ने कहा कि मोरल पुलिसिंग का कोई औचित्य नहीं है.

उन्होंने कहा, “मुझे मोरल पुलिसिंग शब्द पर आपत्ति है क्योंकि ये आपराधिक गतिविधि को नैतिकता का आवरण देने का काम करता है. सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के लिए जागरूकता के नाम पर इन सभी कृत्यों को यौन उत्पीड़न या छेड़छाड़ के रूप में माना जाना चाहिए. किसी भी महिला के साथ धक्का-मुक्की और बिना इजाज़त फ़ोटो खींचने का अधिकार किसी को नहीं है. मोरल पुलिसिंग के नाम पर इस उत्पीड़न की स्पष्ट रूप से निंदा की जानी चाहिए. ध्यान देने वाली बात ये है कि ये मामला सिर्फ मुस्लिम महिलाओं तक ही सीमित नहीं है. पिछले 15-20 सालों में हिंदू निगरानी समूह वेलेंटाइन डे पर युवाओं को परेशान करते रहे हैं. ये व्यवहार इसलिए जारी है क्योंकि लॉ एनफ़ोर्समेंट एजेंसियां ​​इन अपराधियों के खिलाफ कोई गंभीर कार्रवाई नहीं करती हैं. उन पर यौन उत्पीड़न कानूनों के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए और उदाहरण बनाया जाना चाहिए ताकि किसी को भी महिला की नैतिकता का संरक्षक बनने का साहस न हो.”

“जब एक महिला, अपनी धार्मिक बैकग्राउंड की परवाह किए बिना, किसी पुरुष के साथ बाहर जाती है, तो वो अपने मां-बाप, पड़ोसियों और विस्तृत परिवार के बदले के डर से पहले से ही कमजोर स्थिति में होती है. ये भेद्यता हमारे समाज की रूढ़िवादी प्रकृति से उत्पन्न होती है जो पहला अवसर पाते ही एक महिला के चरित्र को माइक्रोस्कोप के नीचे रख देती है. युवा व्यक्तियों के मेलजोल के लिए एक समावेशी और सुरक्षित वातावरण को बढ़ावा देने के बजाय, हम ऐसी सतर्कता का समर्थन करके अनजाने में उनके जीवन को खतरे में डाल रहे हैं. ये समझना ज़रूरी है कि इस तरह का सार्वजनिक नामकरण और शर्मिंदगी व्यक्तियों को आत्म-नुकसान की हद तक परेशान कर सकती है या उन्हें अपने मां-बाप या विस्तृत परिवार द्वारा पैदा किए गए डर के कारण घर से भागने के लिए मजबूर कर सकती है.”

“मां-बाप की भी भूमिका होती है. उन्हें इन घटनाओं को अपने बच्चों पर सीधे हमले के तरह नहीं समझना चाहिए और परिवार को शर्मसार करने के लिए अपने बच्चों को दोषी ठहराने के बजाय उनके लिए स्टैंड लेना चाहिए.”

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