नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद से भारत में हिंदुत्ववादी ताकतों में उछाल देखा गया है. ये विचारधारा भारत को एक हिंदू राष्ट्र के रूप में देखने को बढ़ावा देती है. इसको लेकर हाल के दिनों में अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के खिलाफ हेट क्राइम्स में काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है. अक्सर हिंदू संगठनों द्वारा मुसलमानों को परेशान करने और उनका आर्थिक बहिष्कार करने के मामले सामने आते रहते हैं. सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पर ऐसे माहौल को बढ़ावा देने का आरोप लगता है जिसमें मुस्लिम विरोधी भावनाएं पनप सकती हैं.

इन दिनों दिल्ली के विनोद नगर से भाजपा के निगम पार्षद रविंदर सिंह नेगी के कई वीडियोज़ सोशल मीडिया पर आलोचना के केंद्र बने हुए हैं. इन वीडियोज़ में वो मुस्लिम दुकानदारों को परेशान करते और उन्हें धमका रहे हैं. एक तरफ मुस्लिम दुकानदारों को उनकी दुकानों पर नाम प्रदर्शित करने का दबाव बनाया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ हिन्दू दुकानदारों को उनकी दुकान पर पहचान के तौर पर धार्मिक झण्डा लगाने को कहा जा रहा है ताकि खरीदार उनकी धार्मिक पहचान जान सकें. कुछ वीडियोज़ में रविंदर सिंह ये कहते हुए भी नज़र आ रहे हैं कि लोग खाने-पीने की चीजों में थूक देते हैं. यहां वो ‘थूक जिहाद’ जैसी कॉन्सपिरेसी थ्योरी को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं. खाने में थूकने जैसे सामान्यीकरण, समुदायों के बीच संदेह और विभाजन का माहौल भी बनाती है. इन वीडियोज़ में अप्रत्यक्ष रूप से अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय का आर्थिक बहिष्कार, सोशल पुलिसिंग, इत्यादि जैसे विभाजनकारी प्रवृति को बढ़ावा दिया जा रहा है. इससे अप्रत्यक्ष रूप से ग्राहकों को मुस्लिम दुकानदारों से खरीदारी न करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. साथ ही, ये गलत धारणा फैलाने की कोशिश की जाती है कि मुस्लिम दुकानदार खाने, पीने की चीजों में थूकते हैं.

केस – 1

इस वीडियो में रविंदर सिंह नेगी ने एक रेहड़ी वाले से उसका नाम पूछा, रेहड़ी वाले ने अपना नाम गुड्डू बताया जो हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों में एक आम नाम है. इसके बाद उन्होंने रेहड़ी वाले से उसका पूरा नाम और धर्म पूछा जिस पर उसने जवाब दिया कि वो एक मुस्लिम है और उसके आधार कार्ड पर भी उसका नाम गुड्डू ही है. उन्होंने उसे धमकाया कि वो ठेले के सामने उसके नाम का बोर्ड लगा दे वरना ये ठेला ज़ब्त कर लिया जाएगा. इस वीडियो में रविंदर सिंह ये कहते हैं कि दूसरे समुदाय के लोग पनीर, दूध आदि में थूकते हैं और चीज़ों को नाली के पानी से धोते हैं. रविंदर सिंह ने आसपास मौजूद कई दुकानदारों से भी कहा कि वो अपनी दुकानों पर भगवा झंडा लगा दें ताकि लोग पहचान सकें कि ये दुकानें हिंदुओं की हैं.

ऐसे कई मामले सामने आये हैं जहां हिंदूवादी संगठन और भाजपा से जुड़े लोग मुस्लिम दुकानदारों और विक्रेताओं पर अपनी दुकानों के बाहर अपना नाम लिखने के लिए दबाव डाला है और कई मामलों में तो उन्हें धमकाया भी है. हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा दुकानदारों, स्ट्रीट वेंडरों, आदि को अपनी दुकानों पर नाम प्लेट लगाने के लिए दबाव डालने के पीछे गहरे निहितार्थ हैं, ये सामाजिक विभाजन के लिए एक उपकरण के रूप में कार्य करती है. किसी दुकानदार के नाम के माध्यम से उसके धर्म की पहचान करने की क्षमता धार्मिक संबद्धता के आधार पर आर्थिक बहिष्कार का कारण बन सकती है. इसके प्रभाव इतने खतरनाक हो सकते हैं कि भारत के कई हिस्सों में नामों में अक्सर जातिगत उपनाम जुड़े होते हैं, नाम प्रदर्शित करने की नीति जाति-आधारित भेदभाव और छुआछूत जैसी कुरीति को भी बढ़ावा देने में सक्षम है जिससे ग्राहक दुकानदार की जाति के आधार पर खरीदारी का निर्णय ले सकते हैं जो भारतीय संविधान के मूल्यों के विपरीत है.

केस – 2

दिल्ली के चंदर विहार में रविंदर सिंह नेगी एक ‘तोमर डेरी’ नाम के दुकान वालों से उसका नाम और धर्म पूछा. दुकानदार ने अपना नाम आल्तमस तोमर बताया और कहा कि वो मुस्लिम है. रविंदर नेगी ने दुकानदार से पूछा कि उसने तोमर क्यों लिखा हुआ है. इसके बाद दुकान के बोर्ड पर मुस्लिम नाम लिखाने का दबाव बनाया गया, और धमकी दी गई कि ऐसा नहीं करने पर दुकान का शटर गिराकर दुकान सील कर दी जाएगी.

केस – 3

ऐसे ही एक और केस में दिल्ली के पटपरगंज में रविंदर नेगी ने एक ‘रावल पनीर भंडार’ के दुकानदार से उसका नाम पूछा जिसके जवाब में दुकानदार ने कहा कि उसका नाम मोहम्मद आयान है. इसके बाद उन्होंने दुकानदार से उसका बैनर उतरवाया और दुकान से हिन्दू नाम हटाकर मुस्लिम नाम रखवाने का दबाव बनाया.

ऐसे कई वीडियोज़ मौजूद हैं जिसमें रविंदर नेगी द्वारा मुस्लिम दुकानदारों को उनके दुकानों के बाहर नाम लिखने का दबाव बनाया जा रहा है और हिन्दू दुकानदारों को उनकी दुकानों पर धार्मिक झंडा लगाने के लिए कहा जा रहा है ताकि लोग पहचान कर सकें कि ये हिन्दू के दुकान हैं और ज़्यादा लोग उस दुकान पर जा सकें.

केस – 4

रविंदर सिंह नेगी सब्जी विक्रेताओं से उसका नाम और धर्म पूछकर हिन्दू विक्रेताओं को उनके ठेले पर हिन्दू धर्म का झंडा लगाने को कहते हैं ताकि लोग दुकानों की पहचान जान कर आ सकें.आगे, दिए गए वीडियो में भी इस कॉन्सपिरेसी को दोहराया गया कि कुछ लोग पनीर और दूध में थूक देते हैं, उनकी पहचान पता नहीं होती.

केस – 5

रविंदर नेगी ने जूस की दुकान चलाने वाले का पेटीएम पर नाम चेक किया और मुसलमान दुकानदार को ये कहते हुए दुकान के सामने अपने नाम का बोर्ड लगाने को कहा कि जो लोग व्रत करते हैं उन्हें पता होना चाहिए कि वो किसकी दुकान से खरीदारी कर रहे हैं.

केस – 6

यहां भी रविंदर सिंह नेगी ने पनीर की दुकान पर उसका पेमेंट एप्लिकेशन पेटीएम में नाम चेक किया और दुकानदार को दुकान पर मुस्लिम नाम का बोर्ड लगाने को कहा ताकि हिन्दू आबादी में लोगों को पता चले कि वो एक मुस्लिम की दुकान से खरीदारी कर रहे हैं.

केस – 7

एक और मामले में ‘न्यू हरियाणा पनीर भंडार’ नाम की दुकान के मुस्लिम मालिक रिजवान को उन्होंने कहा कि वो बोर्ड पर अपना नाम लगाए ताकि लोगों को पता लगे कि ये किसकी दुकान है.

नवरात्र, सावन महीने और छठ पूजा के समय भी रविंदर सिंह नेगी ने मुस्लिम मांस विक्रेताओं पर उनकी दुकानों को बंद रखने का दबाव बनाया, इसके भी विडियोज़ उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट किये हैं.

केस – 8

रविंदर नेगी ने छठ पूजा से एक दिन पहले एक मुस्लिम द्वारा संचालित मीट की दुकान पर जाकर कहा कि कल छठ पूजा है, लोग इस रास्ते से गुजरेंगे इसलिए वो मीट की दुकान बंद रखें.

केस – 9

ऐसे ही एक मामले में रविंदर सिंह नेगी ने मुस्लिम व्यक्ति द्वारा संचालित मीट की दुकान पर जाकर कहा कि कल कांवड़ यात्रा का जल चढ़ेगा इसलिए वो मीट की दुकान बंद रखें.

केस – 10

नवरात्र के दौरान रविंदर नेगी ने मछली और मीट के दुकानदारों पर उनकी दुकानें बंद रखने का दबाव बनाया. इस वीडियो में उन्हें ये कहकर धमकाते हुए भी देखा जा सकता है, “पांच साल मुझे ही रहना है यहां पर, कहना मानोगे तो आराम से काम कर पाओगे”

जुलाई 2024 में, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी होटलों को उनके मालिकों के नाम का बोर्ड लगाने का आदेश दिया था. वहीं भाजपा शासित उज्जैन नगर निगम ने उज्जैन शहर में दुकान मालिकों को अपना नेमप्लेट लगाने का निर्देश दिया था. इसके अलावा भाजपा शासित उत्तराखंड के अधिकारियों ने जुलाई 2024 में ही कांवड़ यात्रा मार्ग पर मौजूद दुकान मालिकों को नेमप्लेट प्रदर्शित करने का आदेश दिया था, और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस निर्देश का समर्थन करते हुए “दुकान मालिकों द्वारा फ़र्ज़ी नामों का उपयोग करने के पिछले उदाहरणों” का हवाला दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने इन मामलों का संज्ञान लिया था और इसपर कड़ा रूख अपनाते हुए उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों के इस प्रकार के फैसले पर रोक लगा दी और कहा कि दुकानदारों को सिर्फ वो किस प्रकार का खाना बेचते हैं उससे संबंधित जानकारी प्रदर्शित करने के निर्देश दिए जा सकते हैं, लेकिन उनपर नाम या पहचाने दर्शाने का दबाव नहीं डाला जा सकता है.

कई दुकानदार, स्ट्रीट वेंडर पहले से ही कई जगहों से पलायन करके मजदूरी करते हैं और गरीबी में जीवन जीते हैं, धार्मिक या जाति समूहों से संबंधित पहचाने उजागर होने पर आर्थिक बहिष्कार की संभावना उनके आजीविका और सामाजिक स्थित पर बुरा प्रभाव डाल सकती है.

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