सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की. इसमें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेताओं पर उनके नफ़रती भाषणों के लिए कार्रवाई की मांग की गई थी, जिसकी वजह से दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे हुए. हालांकि, सर्वोच्च अदालत ने इस केस की सुनवाई से तब तक के लिए मना कर दिया, जब तक कि हर्ष मंदर का न्यायपालिका की कथित ‘अवमानना’ वाली टिप्पणी का मामला सुलझ नहीं जाता.

अखिलेश मिश्रा, बीजेपी सरकार के जन सहभागिता वाले ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ‘माय जीओवी’ के डायरेक्टर रह चुके हैं. उन्होंने अपने ट्वीट में आपत्तिजनक बयान का ज़िक्र किया. मिश्रा ने डीसीपी, दिल्ली पुलिस (लीगल सेल) के द्वारा हर्ष मंदर के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में दायर एफ़िडेविट भी साझा किया है. बाकी चीज़ों के अलावा, इसमें ये दलील भी है कि हर्ष मंदर ने हिंसा भड़काई.

अखिलेश मिश्रा ने लिखा,

“न्याय का पहिया अब घूमने लगा है. जिन लोगों ने सड़कों पर हिंसा भड़काने की योजना बनाई और भारत के लोकतंत्र को नष्ट करने की कोशिश की, उन्हें न्याय का सामना करना पड़ेगा.”

बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने भाषण का एक हिस्सा शेयर करते हुए सवाल किया और लिखा, ‘ये हैं असली दंगाई जो लोगों को सड़कों पर उतरने और हिंसा करने के लिए उकसा रहे हैं.’

इस वीडियो क्लिप में, मंदर कह रहे हैं: “ये लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में भी नहीं जीती जाएगी. क्योंकि हमने पिछले कुछ समय से सुप्रीम कोर्ट को देखा है, एनआरसी के मामले में, अयोध्या के मामले में और कश्मीर के मामले में. सुप्रीम कोर्ट ने इंसानियत, समानता और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा नहीं की है. वहां हम कोशिश ज़रूर करेंगे. हमारा सुप्रीम कोर्ट है. लेकिन फैसला न संसद में और न ही सुप्रीम कोर्ट में होगा. इस देश का क्या भविष्य होगा? आप सब नौजवान हैं. आप अपने बच्चों को किस तरह का देश देना चाहते हैं? ये फैसला कहां होगा? एक, सड़कों पर होगा. हमलोग सड़कों पर निकले हैं…” – यहां पर वीडियो क्लिप बीच में ही रोक दी जाती है.

मंदर के जिस भाषण पर विवाद है, उसपर ऑपइंडिया ने एक लेख छापा है. इस दक्षिणपंथी वेबसाइट ने लिखा, “देखिए: हर्ष मंदर भीड़ को हिंसा के लिए उकसा रहे हैं, ‘सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या के मामले में धर्मनिरपेक्षता की रक्षा नहीं की, इसलिए अब सड़क पर उतरने का वक्त आ गया है.”

कई और लोगों ने भी ये दावा किया कि मंदर ने नागरिकता संशोधन कानून(CAA) के ख़िलाफ़ चल रहे प्रदर्शनों के दौरान लोगों को हिंसा के लिए भड़काया है. बीजेपी आईटी सेल के मुखिया अमित मालवीय ने ये क्लिप ट्वीट किया और लिखा, “अब फैसला संसद या सुप्रीम कोर्ट में नहीं लिया जाएगा. अयोध्या और कश्मीर के मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने धर्मनिरपेक्षता की रक्षा नहीं की. इसलिए अब फैसला सड़कों पर होगा.”

अमित मालवीय के ट्वीट को आधार बनाकर फ़्री प्रेस जर्नल ने एक आर्टिकल पब्लिश किया, जिसका शीर्षक था, “हमें सड़कों पर उतरकर फैसला लेना होगा: एक्टिविस्ट हर्ष मंदर का विवादित बयान”

बीजेपी आईटी सेल चीफ़ अमित मालवीय के ट्वीट को ज़ी न्यूज़ की एक हिंदी रिपोर्ट में और लोकमत की एक मराठी रिपोर्ट में प्रमुखता से जगह दी गई. इस वीडियो को शेयर करनेवाले बीजेपी से जुड़े लोगों में हरियाणा बीजेपी आईटी सेल के मुखिया अरूण यादव, कर्नाटक के पर्यटन मंत्री सीटी रवि और ट्विटर पर खुद को ‘स्वयंसेवक’ बताने वाले राहुल कौशिक भी थे.

हर्ष मंदर की जिस स्पीच पर विवाद चल रहा है, वो 16 दिसंबर, 2019 को जामिया मिल्लिया इस्लामिया में दी गई थी. स्पीच में इस बात पर ज़ोर था कि इस देश में हर एक नागरिक को समान अधिकार मिले हैं. ये भाषण दिल्ली पुलिस द्वारा यूनिवर्सिटी कैंपस में छात्रों की पिटाई के बाद दिया गया था.

भाषण जब 3:40 मिनट पर पहुंचता है, मंदर कहते हैं, “जो कोई भी आपसे आपके अधिकार छीनने की बात करता है, उनके जवाब में देशभर में प्रदर्शन शुरू हो चुके हैं. और ये विरोध प्रदर्शन हमारे संविधान और उसकी आत्मा को बचाने के लिए हैं. ये आत्मा है प्यार और दोस्ती, इसलिए हम सभी सड़कों पर उतरे हैं और ऐसा करते रहेंगे. ये लड़ाई संसद में नहीं जीती जाएगी, क्योंकि जो पार्टियां खुद को सेक्युलर कहती हैं, उनके अंदर लड़ने का हौसला नहीं बचा है. ये लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में भी नहीं जीती जाएगी…”

ऊपर लिखी बातें वायरल हो रही क्लिप से ठीक पहले कही गई थीं.

“इस देश का क्या भविष्य होगा? आपलोग सब नौजवान हैं. आप अपने बच्चों को किस तरह का देश देना चाहते हैं? ये फैसला कहां होगा? एक, सड़कों पर होगा. हमलोग सड़कों पर उतरे हैं, लेकिन सड़कों से बढ़कर भी एक और जगह है जहां ये फैसला होगा. कौन सी जगह है जिसमें सबसे ज्यादा फ़ैसला होगा? वो है अपने दिलों में. मेरे दिल में, आपके दिल में. अगर वो हमारे दिलों में नफ़रत भरना चाहते हैं, हम उसका जवाब अगर नफ़रत से देंगे तो नफ़रत की खाई और गहरी होगी” – पूरे वीडियो में 5:25 मिनट से सुनने पर मंदर ऐसा बोल रहे हैं, इसी जगह से वायरल क्लिप अजीबोगरीब ढंग से रुक जाती है.

वो आगे कहते हैं,

“अगर कोई देश में अंधेरा कर रहा है, और हम लोग कहेंगे कि हम और अंधेरा करेंगे तो अंधेरा और गहरा ही होगा. अगर अंधेरा है तो उसका सामना सिर्फ़ चिराग़ जलाने से होगा. पूरी बड़ी आंधी है, उसमें हम अपना चिराग जलाएंगे. उसी से ये अंधेरा खत्म होगा. उनकी नफ़रत का जवाब हमारे पास एक ही है, वो है मोहब्बत. वो हिंसा करेंगे, वो हिंसा के लिए भड़काएंगे, हम हिंसा कभी न करें. आप ज़रूर समझिए, ये उनकी साजि़श है. हम दो प्रतिशत हिंसा करेंगे, वो सौ प्रतिशत का जवाब देंगे. हमने गांधीजी से सीखा है हिंसा और नाइंसाफ़ी का जवाब. हम अहिंसा से लड़ेंगे. जो कोई भी आपको हिंसा या नफ़रत के लिए भड़काता है, वो आपका दोस्त नहीं हो सकता.”

ये साफ़ है कि, मंदर हिंसा के लिए नहीं उकसा रहे थे बल्कि अन्याय से लड़ने के लिए अहिंसा को अपनाने की वक़ालत कर रहे थे. कारवां-ए-मोहब्बत ने भी इस ज़रूरी हिस्से को ट्वीट किया है जिसमें हर्ष मंदर की स्पीच का संदर्भ नहीं बिगाड़ा गया है.

बीजेपी से जुड़े लोगों द्वारा पेश की गई क्लिप और कुछ मीडिया संस्थानों द्वारा ये दावा किया गया कि हर्ष मंदर के ‘सड़कों पर उतरने’ वाले बयान ने हिंसा को बढ़ावा दिया. इन दावों के उलट, हर्ष मंदर ने ये कहा था कि लोगों को संविधान की आत्मा बचाने के लिए आगे आने की ज़रूरत है. संविधान की आत्मा, जो मोहब्बत की बुनियाद पर लिखी गई थी. उन्होंने ये भी कहा कि लोगों को सिर्फ़ मोहब्बत से जीता जा सकता है, नफ़रत से नहीं. और, अन्याय से लड़ने का एकमात्र रास्ता है अहिंसा.

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Pooja Chaudhuri is a senior editor at Alt News.