5 मार्च को प्राइवेट न्यूज़ चैनल ‘टाइम्स नाउ’ ने प्रसारण के दौरान एक वीडियो चलाया. वीडियो में दिल्ली दंगों के दौरान एक शख़्स को गोली चलाते हुए देखा जा सकता है. चैनल ने दावा किया – “दिल्ली हिंसा का नया वीडियो. रिपोर्ट के अनुसार ये मौजपुर का वीडियो है…पुलिस पर हमले का ये चौथा वीडियो.” चैनल ने इसे #ShaheenLynchModel हैशटैग के साथ ट्वीट किया.

इस शो के दौरान चैनल के संवाददाता प्रनेश इस इस वीडियो का घटनाक्रम बताते हैं. वो कहते हैं, “यहां आप इस आदमी को देख सकते हैं. उसने हेलमेट पहना हुआ है. उसके हाथ में बंदूक है. वो सड़क के बायीं तरफ से आता है, निशाना साधता है. और शुरू में दो बार गोली चलाता है. एक बार फिर से वीडियो चलाते हैं ताकि आप बेहतर समझ सकें कि क्या हो रहा है. ये आदमी बाएं तरफ से आता है, रुकता है, निशाना साधता है, दूसरी बार गोली चलाता है फिर वापस जाता है.”

इसके बाद कुछ मिनटों तक ये अनुमान लगाया जाता है, “वह शायद जानता था कि दूसरे तरफ से भी लोग पथराव कर रहे हैं. इसीलिए हेलमेट पहन रखा है. कुछ लोगों का कहना है कि उसने अपनी पहचान छुपाने के लिए हेलमेट पहना है. पुलिसवालों पर हमले की ये दूसरी घटना.”

पहली अजीब बात तो यही है कि प्रनेश इसे पुलिस पर हमले की दूसरी घटना बताते हैं. जबकि चैनल ने ट्वीट में इसे चौथी घटना बताया है.

इसके एक दिन बाद भाजपा के सोशल मीडिया हेड अमित मालवीय ने यही वीडियो ट्वीट किया. उन्होंने ये दावा किया कि गोली चलाने वाला शख़्स मुस्लिम समुदाय का है. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारी द्वारा पुलिस पर गोलीबारी करने का एक और वीडियो. ये कैसी तबाही है, जहां पुलिसवालों पर दंगाई अंधाधुंध गोली चला रहे हैं.” 14 सेकंड के इस क्लिप को 6 हजार से ज़्यादा बार रिट्वीट किया जा चुका है. भाजपा और उससे या उसकी विचारधारा से जुड़े राइट-विंग के लोग मुसलामानों कि और इशारा करते हुए उन्हें ‘शांतिप्रिय समुदाय’ या इससे जुड़े नामों का इस्तेमाल करते हैं. इंटरनेट पर ट्रोल्स द्वारा शुरू की गयी इस प्रथा को अब बड़े नामों, बड़े पदों पर बैठने वालों ने बखूबी अपना लिया है. उनके लिए ये काम आसान कर देता है. ऐसा करने से एक समुदाय विशेष पर कीचड़ उछालने के बावजूद उन्हें कानूनी पचड़ों में नहीं पड़ना पड़ता है क्यूंकि उन्होंने सीधे-सीधे किसी समुदाय का नाम नहीं लिया. अमित मालवीय का ये ट्वीट देखिये:

भाजपा सदस्य सुरेन्द्र पूनिया ने भी ये विडियो ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, “यह CAA की ख़िलाफ़त नहीं बल्कि देश को तोड़ने की आतंकवादी साज़िश है.”

फ़ैक्ट-चेक

‘टाइम्स नाउ’ ने दावा किया कि ये वीडियो पुलिस पर हमले का नया सबूत है. लेकिन चैनल ने जिस वीडियो को एक्सक्लूज़िव बताकर पेश किया, उसी घटना का लम्बा वीडियो सोशल मीडिया पर 25 फ़रवरी से शेयर हो रहा है. एक ट्विटर यूज़र ने 25 सेकंड का वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा था कि RSS और बजरंग दल के कार्यकर्ता विजय पार्क के मुस्लिम लोगों पर गोलियां चला रहे हैं. टाइम्स नाउ और अमित मालवीय ने जो हिस्सा शेयर किया वो इस वीडियो में 14 सेकंड से देखा जा सकता है.

वीडियो कहां शूट किया गया?

वीडियो में ऐसे कई सुराग हैं जिससे पता चलता है कि ये हिंसा की घटना कहां पर हुई थी. दो दुकानों की होर्डिंग्स दिख रही है – बायीं तरफ ‘जैन फ़र्नीचर’ और दायीं तरफ़ ‘नेक्सा डेंटल’.

ये दोनों दुकानें मौजपुर, विजय पार्क में स्थित हैं. इस आर्टिकल में हम ये देखेंगे कि ‘टाइम्स नाउ’ को सिर्फ़ घटना की लोकेशन की सही जानकारी थी. ऑल्ट न्यूज़ ने वहां के एक स्थानीय व्यक्ति से संपर्क किया. जिन्होंने हमें नेक्सा डेंटल की तस्वीर भेजी. जिस वक़्त वो वहां पहुंचे थे, ये अस्पताल बंद था. कुरैशी टॉवर के ग्राउंड फ़्लोर पर ये अस्पताल स्थित है.

सड़क की दूसरी तरफ से भी नेक्सा डेंटल की कुछ तस्वीरें हमें मिली. इस तस्वीर में फ़्लाइओवर और वो नाला या सीवेज देखा सकता है जो वायरल वीडियो में भी दिखता है.

वो व्यक्ति जिन्होंने 25 फ़रवरी को गोलीबारी के दौरान इस वीडियो को रिकॉर्ड किया था, ऑल्ट न्यूज़ उनसे भी संपर्क करने में सफ़ल हुआ. उनके अनुरोध पर हम उनकी पहचान पब्लिक नहीं कर रहे हैं. इन्होंने सोशल मीडिया ऐप स्नैपचैट पर ये वीडियो दोपहर को 12 बजकर 12 मिनट पर अपलोड किया था. और इसे एप्लीकेशन के मेमोरी सेक्शन में सेव किया था. स्नैपचैट के बारे में जिन लोगों को ज़्यादा नहीं पता है उन्हें बता दें कि अगर मेमोरीज़ में तस्वीर या वीडियो सेव होता है तो (बायीं तरफ ऊपर कॉर्नर) इसका डेट और टाइम स्टैम्प दिखता है. इसी वीडियो के सिर्फ़ 14 सेकंड के हिस्से को अमित मालवीय और टाइम्स नाउ ने ट्वीट किया था.

एक यूज़र ने स्नैपचैट पर गोलीबारी के वीडियो से 2 मिनट पहले (12 बजकर 10 मिनट पर) एक दूसरा वीडियो अपलोड किया था. जिसका स्क्रीनशॉट नीचे दिया गया है. ऑल्ट न्यूज़ इस बात की तस्दीक कर चुका है कि वीडियो के टाइम स्टैम्प के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गयी है.

वीडियो में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी दिख रहे हैं. बायीं तरफ पुलिस की गाड़ी दिख रही है. गोली चलाने वाला शख़्स भी फायरिंग करने के बाद बायीं तरफ ही भागा था. यहां पुलिसकर्मियों को मौजूद भीड़ के बीच देखा जा सकता है.

नीचे की तस्वीर घटनाक्रम दर्शाती है. इसे देखकर ये सवाल उठता है कि अगर ये शूटर पुलिसकर्मियों पर हमला कर रहा था तो फायरिंग करने के बाद भागकर पुलिस की तरफ़ ही क्यों गया?

‘मिलेनियम पोस्ट’ के संवाददाता अभिनय लक्ष्मण ने इस हिंसा की रिपोर्टिंग की थी. 25 फ़रवरी के एक आर्टिकल में वो बताते हैं कि कैसे उस दिन नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन वाली भीड़ मौजपुर-बाबरपुर एरिया में फ़ैल गयी. मौजपुर, बाबरपुर विधानसभा के अंतर्गत आता है.

अभिनय लक्ष्मण ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया कि वो 25 फ़रवरी को दोपहर 12 बजे से शाम 5 बजे तक उसी एरिया की रिपोर्टिंग कर रहे थे. उन्होंने टाइम्स नाउ का वो प्रसारण देखा था जिसमें शूटर को दिखाया गया था. उन्होंने पुष्टि की कि ये शूटर नागरिकता संशोधन कानून के समर्थक वाली भीड़ का हिस्सा था.

“सड़क किनारे नहर के पास एक पुलिस वैन खड़ी थी और बड़ी संख्या में नागरिकता संशोधन कानून के समर्थकों की भीड़ वहां (विजय पार्क) मौजूद थी. जब भी पुलिस कैनाल (कबीर नगर) के दूसरी ओर आंसू गैस के गोले दाग रही थी, CAA समर्थक खुश होते थे और दूसरी तरफ के लोग आंसू गैस से बचने के लिए गलियों के अंदर जाने लगते थे. जब वो लोग ब्रिज छोड़कर जाने लगे, CAA समर्थकों की भीड़ ब्रिज से होकर कॉलोनियों में जाने की कोशिश करने लगी. मैं जबतक वहां था ऐसा लगभग 5 बार हुआ.”

उन्होंने आगे कहा, “मुझे आश्चर्य हो रहा था कि पुलिस आखिर क्यों सिर्फ़ एक तरफ़ आंसू गैस के गोले दाग रही थी, जबकि पत्थर दोनों तरफ़ से फेंके जा रहे थे. इसीलिए मैं ब्रिज के दूसरी तरफ गया. वहां मैंने देखा कि एक भी पुलिस अधिकारी नहीं है. कैनाल की तरफ सर्विस रोड का जो इंट्रेंस था उसे पुलिस ने ब्लॉक कर रखा था. और CAA समर्थकों की तरफ खड़ी पुलिस द्वारा आंसू गैस से गोले मुस्लिम लोगों की तरफ दागे जा रहे थे.”

शूटर का निशाना किस तरफ था?

शाहीन बाग के ऑफ़िशियल ट्विटर हैन्डल ने 25 फ़रवरी को हुई हिंसा का वीडियो शेयर किया है. वीडियो शूट करने वाले व्यक्ति ने दावा किया – “कदम पुरी और विजय पार्क के कुरैशी टॉवर को पूरी तरह से घेर रखा है. हम सब तरफ़ से फंस चुके है. फ़ोर्स और बजरंग दल वाले इनके साथ हैं. ये बजरंग दल वाले देखो कदम पुरी में घुस रहे हैं और ये हम पर हमला कर रहे है. बजरंग दल वाले और पुलिस फ़ोर्स हमारे ऊपर गोलियां चला रहे हैं. हम चारों तरफ़ से घिर चुके हैं, हमारी मदद करें.”

ये वीडियो कुरेशी टॉवर के ऊपर से रिकार्ड किया गया था. इस बात की पुष्टि वहां के एक स्थानीय व्यक्ति ने की है. उन्होंने बताया कि ‘हिंसा तकरीबन 12 से 1 बजे के बीच हुई थी और कुछ घंटों तक जारी थी. गली में रहने वाले एक लड़के मुबारक की गोलीबारी में मौत हो गई. हम अंदर की तरफ़ खड़े थे और शूटिंग बाहर की ओर हो रही थी.’

रिपोर्ट्स के मुताबिक, विजय पार्क में 25 फ़रवरी को मुबारक हुसैन नाम के एक लड़के की छाती में गोली लगने के कारण मौत हो गई थी. वो बिहार के दरभंगा से काम के लिए यहां आया था. वह 28 साल का था और मज़दूरी करता था. इस घटना के गवाह नईम खान ने ‘द प्रिन्ट‘ को बताया कि काले रंग की जैकेट पहनकर एक शख़्स आया और गोली चलाना शुरू कर दिया. इसी बीच हुसैन की मौत हो गई. उन्होंने बताया, “पुलिस वहां पर खड़ी रही और देखती रही.”

इस इलाके में रहनेवाले एक शख़्स ने ‘द कारवां‘ को बताया कि विजय पार्क की 4-5 गलियों में मुस्लिम आबादी ज़्यादा है जबकि हिन्दू भी इन गलियों के आस-पास रहते हैं.

‘DB न्यूज़’ के पत्रकार मोहम्मद शेर अज़हर ने हुसैन की हत्या होने के बाद इस इलाके से रिपोर्टिंग की थी. उनके वीडियो में कई चश्मदीदों को दिखाया गया है. वीडियो में 2:20 मिनट पर वहां रहनेवाले ने बताया कि 25 फ़रवरी इस हिंसा का लगातार तीसरा दिन था. वो बताती हैं, “वो हर जगह से – गली 27, 28, 24, 19 और रोड की तरफ से भी आ रहे थे. हम कितने लोगों के सामने खड़े रहते? वो सभी RSS के गुंडे थे और हम सभी निहत्थे थे. उन्होंने हमारी रोड को तोड़ा. वहां पर कुछ खाने की चीज़ नहीं थी. ये सब उस दिन से शुरू हुआ था जब कपिल मिश्रा ने भाषण दिया था कि वो सभी रोड खाली करवा देंगे अगर पुलिस नहीं करवा पाई तो.”

इलेक्शन कमीशन की वेबसाइट पर गवाह द्वारा बताई गई गलियों का डेटा देखने से मालूम होता है कि इनमें से दो गलियां मुस्लिम बहुल हैं और बाकी की दो गलियों में हिन्दू-मुस्लिम दोनों रहते हैं. ये डेटा दिल्ली के चीफ़ इलेक्टोरल ऑफिसर की वेबसाइट पर मौजूद है.

निष्कर्ष

‘टाइम्स नाउ’ ने विजय पार्क के बाबरपुर में 25 फ़रवरी को हुई हिंसा का आधा वीडियो दिखाया. चैनल ने दावा किया कि वीडियो में गोली चलाने वाले का निशाना पुलिस पर था. हालांकि इसी घटना का लंबा वीडियो देखने से पता चलता है कि चैनल ने गलत दावा किया था. उस शख्स को गोली चलाने के बाद पुलिस की तरफ दौड़ते हुए देखा जा सकता है. ग्राउन्ड से रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों और इलाके में रहनेवालों ने ये स्पष्ट किया कि गोली चलाने वाला शख़्स CAA का समर्थन करने वाली भीड़ का हिस्सा था. पहले भी ‘टाइम्स नाउ’ ने ये गलत खबर चलाई थी कि अशोक नगर में मस्जिद पर तोड़-फोड़ करते हुए हनुमान झण्डा लहराने वाला वीडियो ‘फ़र्ज़ी’ है.

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