दिसंबर में पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव हुए। आशंकाओं के अनुरूप, पूरे महीने, भ्रामक और विघटनकारी सूचनाओं का विषय राजनीति में बना रहा। दिलचस्प बात यह भी रही कि भ्रामक सूचनाओं की यह हलचल महज चुनावों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि मतदान के बाद और राज्यों में सरकारों के गठन के बाद भी जारी रहा।

चुनाव-पूर्व भ्रामक सूचनाएं

1. अमित शाह ने तेलंगाना कांग्रेस के घोषणा-पत्र को लेकर भ्रामक दावे किए

विधानसभा चुनाव से पहले, दिसंबर के शुरूआत में, तेलंगाना में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने तेलंगाना के लिए कांग्रेस के घोषणा-पत्र को लेकर सिलसिलेवार दावे किए। शाह ने दावा किया कि कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा-पत्र में खासकर अल्पसंख्यक समुदायों के लिए, वादों की ढेर लगा दी है और बहुसंख्यक हिंदू समुदाय को अलग कर दिया है।

ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि अमित शाह द्वारा किए गए इन दावों में से कई निराधार या भ्रामक थे। उदाहरण के लिए, शाह ने दावा किया था कि कांग्रेस ने चर्च और मस्जिदों के लिए मुफ्त बिजली का वादा किया था लेकिन मंदिरों के लिए नहीं, अथवा कि छात्रवृत्तियां केवल अल्पसंख्यक समुदायों के विद्यार्थियों को दी जाएंगी। ये दावे गलत थे।

2. राहुल गांधी को निशाना बनाते हुए एबीपी न्यूज़ का नकली स्क्रीनशॉट

कथित रूप से एबीपी न्यूज़ चैनल के एक स्क्रीनशॉट की तस्वीर सोशल मीडिया में व्यापक रूप से शेयर की गई, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा पाकिस्तान को अगले 50 साल के लिए 5000 करोड़ रुपये के ब्याज-मुक्त ऋण का वादा करता हुआ उनका एक तथाकथित उद्धरण था, जिसके अनुसार, उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान का सहयोग करना जरूरी है और वे ऐसा करेंगे!

सोशल मीडिया में प्रसारित स्क्रीनशॉट झूठा था। ऐसा कोई समाचार, जिसका दावा किया गया था, इस चैनल द्वारा प्रसारित नहीं हुआ। ऑल्ट न्यूज़ ने एबीपी न्यूज़ के संपादक पंकज झा से बात की, जिन्होंने पुष्टि की कि “ये सभी स्क्रीनशॉट झूठे हैं।”

3. अमित शाह को निशाना बनाते अखबार की नकली क्लिप

एक नकली अखबार की कतरन सोशल मीडिया में इस दावे के साथ वायरल हुई कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बनिया समुदाय को चोर कहा और उन पर मुनाफाखोरी का आरोप लगाया। दावा यह किया गया था कि राजस्थान चुनावों से पहले बूंदी में रैली के दौरान शाह ने यह बयान दिया। ऑल्ट न्यूज़ ने ट्विटर हैंडल @KedarKansanaINC द्वारा इस वायरल कतरन को प्रसारित करने का सबसे शुरुआती उदाहरण पाया।

ऑल्ट न्यूज़ ने इस दावे की तथ्य-जांच की और पाया कि बूंदी में, जहां यह बयान देने का दावा था, शाह ने अपने भाषण में इस आशय की कोई बात नहीं कही थी। सोशल मीडिया में प्रसारित अखबार की कतरन नकली थी।

चुनाव के बाद भी जारी हैं भ्रामक सूचनाएं

1. न्यू यॉर्क टाइम्स के लेखक के नाम से प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करता नकली संदेश

11 दिसंबर को पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद व्हाट्सएप्प के अलावा विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर एक संदेश प्रसारित होने लगा। दावा किया गया कि यह अमरीका के लोकप्रिय अखबार द न्यू यॉर्क टाइम्स के एक ‘लेखक’ की टिप्पणी है। यह संदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के लिए सहानुभूति जुटाने की बात करता है और “दीर्घकालीन मुद्दों को निबटाने”, जैसा कि पीएम मोदी सफलतापूर्वक कर रहे हैं, की जरूरत को समझने में असफल होने पर कमजोर याददाश्त व संकीर्ण दृष्टिकोण के लिए भारतीय नागरिकों की निंदा करता है।

ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि वायरल संदेश की विषय वस्तु वाला कोई भी लेख न्यू यॉर्क टाइम्स में नहीं है। इसके अलावा, न्यू यॉर्क टाइम्स के लेखक के नाम से बताए गए आलेख में न केवल लेखक का नाम नहीं है, बल्कि यह वर्तनी और व्याकरण की गड़बड़ियों से भी भरा है। इसी प्रकार, चुनावों के बाद, झूठे तरीके से अर्नव गोस्वामी के नाम से पीएम मोदी से भावनात्मक अपील व्यापक रूप से शेयर की गई।

2. मतदान के बाद राहुल गांधी के इस्लाम में परिवर्तित होने का झूठा दावा

“चुनाव ख़त्म होते ही अपने असली रंग में आ गये जनेऊधारी राहुल बाबा” – यह संदेश एक वीडियो के साथ फेसबुक और ट्विटर पर 17 दिसंबर 2018 से वायरल हुआ। इस वीडियो में राहुल गांधी को वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद और मुस्लिम समुदाय के कुछ सदस्यों के साथ नमाज़ अदा करते देखा जा सकता है। दावा किया गया कि यह वीडियो हालिया विधानसभा चुनावों के बाद लिया गया है।

चुनाव ख़त्म होते ही अपने असली रंग में आ गये जनेऊधारी राहुल बाबा

चुनाव ख़त्म होते ही अपने असली रंग में आ गये जनेऊधारी राहुल बाबा

Posted by India272+ on Monday, 17 December 2018

ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि सवालिया वीडियो दो वर्ष पुराना था। इसे तब बनाया गया था जब राहुल गांधी ने अम्बेडकर नगर, उत्तर प्रदेश के पिछौछा दरगाह में श्रद्धांजलि अर्पित की थी।

3. क्लिप्ड वीडियो के सहारे कर्ज माफी के वादे पर राहुल गांधी को निशाना बनाया गया

विधानसभा चुनावों के समाप्त होते ही, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का एक वीडियो सोशल मीडिया में प्रसारित होना शुरू हुआ। इस वीडियो में राहुल गांधी को किसानों के कर्जों की माफी के चुनाव पूर्व के उनकी पार्टी के वादे से पलटते सुना जा सकता है।

सोशल मीडिया में शेयर किया गया वीडियो क्लिप किया हुआ था। इसके पूर्ण वीडियो में गांधी को यह कहते सुना जा सकता है- मैंने अपने भाषणों में बोला की क़र्ज़ माफ़ी एक सपोर्टिंग स्टेप है। क़र्ज़ माफ़ी सोल्युशन नहीं है। सोल्युशन ज़्यादा काम्प्लेक्स होगा। सोल्युशन किसानों को सपोर्ट करने का होगा, इंफ़्रास्ट्रक्चर बनाने का होगा, टेक्नोलॉजी देने का होगा और सोल्युशन, फ्रैंकली मैं बोलूं, सोल्युशन आसान नहीं है, सोल्युशन चल्लेंजिंग चीज़ है और हम उसको करके दिखाएंगे। बट वो, उसमे, किसानों के साथ हमें काम करना पड़ेगा, देश की जनता के साथ काम करना पड़ेगा, और वो हम करेंगे।” कुछ दिनों बाद इसी मुद्दे पर एक दूसरे क्लिप्ड वीडियो के सहारे गांधी को फिर निशाना बनाया गया।

4. कांग्रेस की विजय रैली में पाकिस्तानी झंडा लहराया

चुनावों के दौरान पाकिस्तानी झंडा सोशल मीडिया में लगातार प्रकट होता रहा। दावा किया गया कि राजस्थान के चुनाव में जीतकर उभरी कांग्रेस पार्टी की विजय रैली में पाकिस्तानी झंडा लहराया गया।

विजय रैली में लहराया गया हरे रंग का झंडा पाकिस्तानी झंडा नहीं था। ऑल्ट न्यूज़ ने इसे स्वतंत्र रूप से सत्यापित किया। इसके अलावा, राजस्थान पुलिस ने लोगों से इस अफवाह पर न जाने की अपील करते हुए स्पष्टीकरण ट्वीट किया।

मधु किश्वर और तारेक फ़तह ने एक दूसरा वीडियो ट्वीट किया जिसमें उन्होंने वही दावा किया– कांग्रेस की विजय रैली में पाकिस्तानी झंडा लहराया।

यह भी झूठा था। एक और उदाहरण में, गुजरात दंगे का एक वीडियो कांग्रेस की जीत के बाद राजस्थान में हिंसा के रूप में शेयर किया गया।

साम्प्रदायिक तनाव को भड़काने का प्रयास

1. अंतिम संस्कार की तिब्बत के प्रथा को बताया ‘हिंदुओं को खाते रोहिंग्या’

“डरावनी खबर – हिन्दूओं का क़त्ल कर उनका मांस खा रहे रोहिंग्या, मेवात का मामला, खबर विचलित कर सकती है” -यह शीर्षक नकली समाचार वेबसाइट दैनिक भारत द्वारा 18 दिसंबर 2018 को प्रकाशित एक लेख का था। इस लेख में शवों के टुकड़े करते हुए लोगों की तस्वीरें थीं।

ये तस्वीरें ‘हिंदुओं की मांस खाते रोहिंग्याओं’ की नहीं थीं, जैसा कि दावा किया गया था। ये, तिब्बत — के अंतिम संस्कार की पद्धति का प्रतिनिधित्व करती थीं — जो मृत शरीर को नरभक्षी पक्षियों को दान कर देने में विश्वास करते हैं।

2. कर्नाटक के मंदिर विषाक्तता मामले में आरोपी के ईसाई होने का झूठा दावा

कर्नाटक के चामराजनगर के एक मंदिर में 14 दिसंबर को मंदिर के जहरीले प्रसाद की एक घटना में 15 से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो गई थी। विष का स्रोत, मंदिर के श्रद्धालुओं को दिया गया प्रसाद था। सोशल मीडिया में दक्षिणपंथी समर्थकों के एक वर्ग ने दावा किया कि इस मामले के आरोपियों में से एक महिला, अम्बिका, असल में सिल्विया अम्बिका है और वह ईसाई है।

ऑल्ट न्यूज़ से बातचीत में चामराजनगर जिला के पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्र कुमार मीणा ने कहा कि यह दावा आधारहीन और झूठा है। “यह पूरी तरह झूठा है। अम्बिका, साधु की दूर की रिश्तेदार है और दोनों एक ही गांव और एक ही समुदाय के हैं। हम अपने सोशल मीडिया हैंडल्स से स्पष्टीकरण जारी करेंगे।”

3. राजस्थान में मुस्लिमों द्वारा हिंदुओं पर हमले का झूठा दावा

“राजस्थान में कांग्रेस सरकार बनते ही पाकिस्तान से लगे जैसलमेर के दार्ती गांव में शांतिदूत मुस्लिमो द्वारा मारवाडी हिन्दूओ के घर जलाये गए और दो हिंदूओ को मौत के घाट उतार दिया” -यह संदेश फेसबुक पर एक वीडियो के साथ शेयर किया गया, जिसमें हिंसा में अपनों को खोने का शोक कर रही महिलाएं दिख रही थीं।

ऑल्ट न्यूज़ ने इस दावे की तथ्य-जांच की तो पाया कि यह वीडियो राजस्थान का नहीं है। यह भारत का भी नहीं है। यह वीडियो बांग्लादेश का है और 5 साल पुराना 2013 का है, जब नोआखाली में धार्मिक अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हिंसा हुई थी।

मीडिया संगठनों की भ्रामक सूचनाएं

1. सुदर्शन न्यूज़ ने बुलंदशहर में भीड़ की हिंसा को तब्लीगी इज्तेमा से जोड़ा

के बवाल के बाद कई स्कूलों में बच्चे फँसे है, रो रहे है, लोग जंगल में है, घरों के दरवाज़े बंद कर के लोग सहमे हूए है- सुदर्शन से लाईव बातचीत में स्थानीय लोग। ।”

यह संदेश सुदर्शन न्यूज़ के प्रमुख संपादक सुरेश चव्हाणके ने ट्वीट किया। तब्लीगी इज्तेमा, तीन दिनों का मुस्लिम भीड़ है, जो उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में 1-3 दिसंबर को हुआ था। 3 दिसंबर को बुलंदशहर जिले के स्याना तहसील में कथित रूप से अवैध गौहत्या का विरोध करती भीड़ की पुलिस से हुई झड़प में एक पुलिसकर्मी की हत्या कर दी गई। “बुलंदशहर_इज्तेमा के बवाल” इन शब्दों से शुरू अपने ट्वीट में सुदर्शन न्यूज़ ने इस बात कि ओर इशारा किया कि इस इज्तेमा का किसी प्रकार उस हिंसा से संबंध था जिसमें पुलिसकर्मी की हत्या हुई थी।

बुलंदशहर पुलिस ने ट्विटर के माध्यम से स्पष्ट किया कि शहर को दहशत में डाल देने वाली हिंसा किसी भी प्रकार से इज्तेमा की जुटान से जुड़ी हुई नहीं थी। चव्हाणके के ट्वीट के जवाब देते हुए पुलिस ने हिंसा के बारे में गलत सूचनाएं नहीं फैलाने की अपील की।

2. नीदरलैंड्स की झूठी खबर के झांसे में आया भारतीय मीडिया

रजनीकांत और अक्षय कुमार अभिनीत एस शंकर की तमिल विज्ञान कथा फ़िल्म ‘2.0’ की रिलीज से पक्षियों पर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड (EMF) के विकिरण के असर पर एक बहस छिड़ गई। इस फ़िल्म का संदेश — विकिरण के कारण पक्षियों की मौत हो जाती है — का चित्रण सेल फोन टावर से उनके टकराने के दृश्यों से किया गया है। कई मीडिया संगठनों ने खबरें की हैं कि नीदरलैंड्स में वास्तव में ऐसा हुआ था।

मीडिया की खबरों का दावा — कि EMF विकिरण के कारण, पक्षियों के टावर से टकराने और मरने, जैसा ‘2.0’ में दिखलाया गया, होने की संभावना है, क्योंकि ऐसी ही घटना नीदरलैंड्स में हुई — न केवल गलत है, बल्कि निराधार भी हैं।

उपरोक्त के अलावा, भ्रामक और विघटनकारी सूचनाओं के कई अन्य उदाहरण भी रहे।

1. कर्नाटक कृषि कर्ज माफी पर प्रधानमंत्री का झूठा दावा

उत्तर प्रदेश में एक रैली को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक की गठबंधन सरकार को आड़े हाथ लिया और दावा किया कि उन्होंने लाखों किसानों की कर्ज माफी का वादा किया था, लेकिन आज तक केवल 800 किसानों को फायदा पहुंचा है।

पीएम मोदी का का दावा कि केवल 800 किसानों को कर्ज माफी का लाभ पहुंचा, पुराना है। इस दावे की जड़ में टाइम्स ऑफ इंडिया की 13 दिसंबर की रिपोर्ट है, जिसमें खबर दी गई थी कि कर्नाटक सरकार ने 800 किसानों को कृषि कर्ज माफी योजना के लिए कुल 44,000 करोड़ रुपये का आज्ञा-पत्र वितरित किया। इसमें आगे कहा गया कि “बांदेपा कसमपुर ने विधानसभा को बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा 5 जुलाई को घोषित इस योजना का लाभ केवल लगभग 800 किसानों ने उठाया है।” उसके बाद से मीडिया के कई रिपोर्टें हैं जो कर्नाटक सरकार द्वारा कर्ज माफी वितरण की प्रगति को दर्शाती हैं।

2. गिरिराज सिंह ने नकली न्यूज़ वेबसाइट के आधार पर कांग्रेस को ‘दुनिया की दूसरी सबसे भ्रष्ट पार्टी’ बताया

केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद गिरिराज सिंह ने 24 दिसंबर को ट्वीट किया — “2018 में दुनिया के सबसे भ्रष्ट राजनीतिक दल की शीर्ष 10 सूची और राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने हर प्रकार से दूसरा स्थान बनाया … सबसे भ्रष्ट राजनीतिक दल को बधाई।” दो घंटे से कुछ ही अधिक समय में सिंह के ट्वीट के 1000 से ज्यादा लाइक और 474 रीट्वीट हुए। गिरिराज सिंह ने बाद में यह ट्वीट डिलीट कर लिया।

वेबसाइट ‘बीबीसी न्यूज़ हब‘, जिसने ‘दुनिया के सबसे भ्रष्ट राजनीतिक दल’ की सूची प्रकाशित की थी, वह एक नकली समाचार वेबसाइट है।

3. स्टेचू ऑफ यूनिटी में दरार बनने के बारे में झूठा दावा

दो वर्ष में 2000 के नोटों के सफलतापूर्वक खराब होने के बाद 2 हफ्तों में सरदार की मूर्ति में दरार दिख रहा है” -इस संदेश के साथ हाल ही उद्घाटित स्टैचू ऑफ यूनिटी की तीन क्लोज-अप तस्वीरें सोशल मीडिया में प्रसारित होने लगी थीं। इन तस्वीरों में मूर्ति के कुछ हिस्से नीले घेरे में दिखलाए गए थे। इन नीले घेरों के अंदर सफेद निशान दिखलाई पड़ते थे। इन निशानों के बारे में दावा किया गया कि ये दरार हैं जो 31 अक्टूबर 2018 को भारी तड़क-भड़क के साथ उद्घाटित इस मूर्ति में बन गए हैं।

इस दावे में कोई सच्चाई नहीं थी। यह मूर्ति कांस्य मिश्र धातु की हजारों धातु प्लेटों से बनी है जिन्हें वेल्डिंग करके जोड़ा गया है। इसके लिए विशेष प्रकार की वेल्डिंग का उपयोग हुआ है जिनसे इन दरारों का भ्रम होता है।

दिसंबर का महीना, एक प्रकार से, भ्रामक और विघटनकारी सूचना चक्र की पराकाष्ठा का रहा। भ्रामक और विघटनकारी सूचनाओं की पूरे वर्ष सोशल मीडिया में बाढ़ सी रही, मुख्य रूप से इसलिए क्योंकि राजस्थान, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में चुनाव होने वाले थे। 2019 के आम चुनाव कुछ ही महीनों में होने वाले हैं, और फर्जी खबरों की इस बाढ़ के आने वाले दिनों, सप्ताहों और महीनों में और गंभीर होने की संभावना है।

 

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About the Author

Arjun Sidharth is a writer with Alt News. He has previously worked in the television news industry, where he managed news bulletins and breaking news scenarios, apart from scripting numerous prime time television stories. He has also been actively involved with various freelance projects. Sidharth has studied economics, political science, international relations and journalism. He has a keen interest in books, movies, music, sports, politics, foreign policy, history and economics. His hobbies include reading, watching movies and indoor gaming.