सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल है. तस्वीर में धरा 427 और 2/3 लोक संपत्ति अधिनियम 1985 का हवाला देते हुए बताया गया है कि कुछ मामलों में तीन वर्ष की कैद हो सकती है.ये मामले आगे बताते हुए लिखा है कि अगर कोई व्यक्ति मस्जिद या मदरसा के स्टाफ़ के साथ दुर्व्यवहार करता है, मस्जिद की संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है, मस्जिद या स्टाफ़ के कामों में बाधा डालता है या मस्जिद से जुड़े किसी भी सदस्य को डराता है तो उसके खिलाफ़ ये कार्रवाई होगी. बाते गया है कि ये ग़ैर-ज़मानती अपराध है.
फ़ेसबुक, ट्विटर पर ये तस्वीर वायरल है.
ऑल्ट न्यूज़ के मोबाइल ऐप और व्हाट्सऐप पर इस तस्वीर की जांच के लिए कुछ रीक्वेस्ट भी आयी हैं.
फ़ैक्ट-चेक
ऑल्ट न्यूज़ इस आर्टिकल में आपको तस्वीर में किये गए दावों की सच्चाई बारी-बारी से बताएगा.
1. लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम, 1984
लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम वर्ष 1984 से लागू किया गया था. वायरल तस्वीर में 1985 लिखा है जो ग़लत है. आगे, इस अधिनियम के बारे में सर्च करते हुए मालूम चला कि इसमें सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर दंड का प्रावधान है. अधिनियम के मुताबिक, किसी केन्द्रीय सरकार; राज्य सरकार; स्थानीय प्राधिकारी; किसी केन्द्रीय, प्रांतीय या राज्य अधिनियम द्वारा या उसके अधीन स्थापित निगम; कोई कंपनी; कोई संस्था के अंतर्गत आनेवाली संपत्ति को लोक संपत्ति कहा जाता है. इस संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर अपराधी को कम से कम 1 साल की सज़ा या जुर्माना हो सकता है. इस अधिनियम में ज़मानत का भी प्रावधान है.
यानी, इस अधिनियत में लोक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर सज़ा देने का प्रावधान दिया गया है न कि मस्जिद/मदरसा को नुकसान पहुंचाने का.
2. IPC की धारा 427
धारा 427 के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति 50 रुपये या उससे अधिक का नुकसान करें तो उसे इस धारा के तहत सज़ा दी जाएगी. इसके तहत अपराधी को 2 साल की सज़ा या ज़ुर्माना, या फिर दोनों हो सकता है.
विधानसभा में कानून बनने की प्रक्रिया
अब आते हैं किसी भी विधानसभा में कानून बनाने की प्रक्रिया पर. विधानसभा के पास राज्य सूची में शामिल 66 विषयों पर कानून बनाने का अधिकार है. इसके अलावा, वो समावर्ती सूची पर आधारित 47 विषयों पर भी कानून बना सकती है. हालांकि, ये कानून संसद द्वारा बनाए गए कानून का विरोधी नहीं हो सकता. ऐसी किसी भी परिस्थिति में संसद द्वारा बनाया गया कानून ही प्रभावी होगा.
राज्य सरकार द्वारा पारित कोई भी विधेयक राज्यपाल के पास भेजा जाता है. वहां से अनुमति मिलने के बाद वो कानून बनाता है.
इसके अलावा, राजस्थान विधानसभा में वायरल दावे से जुड़े किसी विधेयक के पास होने की कोई खबर नहीं है. राजस्थान विधानसभा की वेबसाइट पर भी ऐसे किसी विधेयक की प्रस्तुति या अधिनियम के पास होने की जानकारी नहीं है. हाल में राजस्थान विधानसभा में दंड विधियां (राजस्थान संशोधन) अधिनियम 2021 लाया गया था.
वायरल हो रही तस्वीर को फ़र्ज़ी बताया गया
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के OSD लोकेश शर्मा ने इस वायरल तस्वीर को फ़र्ज़ी बताते हुए ट्वीट किया.
#Rajasthan के संदर्भ में ऐसे झूठे और भ्रामक तथ्य वायरल करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सभी से आग्रह है कि इस प्रकार के दुष्प्रचार में शामिल होने से बचें और इसे प्रचारित-प्रसारित होने से रोकने में सहायक बनें। pic.twitter.com/tP9h8MMOBf
— Lokesh Sharma (@_lokeshsharma) August 31, 2021
राजस्थान पुलिस ने भी इस दावे का खंडन करते हुए ट्वीट किया था.
🚨#FakeNews Alert⚠️~
कुछ समय से शरारती तत्वों द्वारा आमजन को गुमराह करने के उद्देश्य से एक मैसेज #SocialMedia पर वायरल हो रहा है जो की मिथ्या एवं भ्रामक है।
हमारा आपसे निवेदन है ऐसे किसी भी मैसेज को आगे फॉरवर्ड न करे। इस तरह के दुष्प्रचार करने पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। pic.twitter.com/Qo03EW7t7t
— Rajasthan Police (@PoliceRajasthan) August 31, 2021
कुल मिलाकर, सोशल मीडिया पर एक फ़र्ज़ी तस्वीर शेयर करते हुए झूठा दावा किया गया कि राजस्थान सरकार ने मस्जिद/मदरसा को लेकर IPC की धारा 427 एवं 2/3 लोक संपत्ति अधिनियम 1985 में बदलाव किये हैं.
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