2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपी साध्वी प्रज्ञा भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं। भोपाल, मध्यप्रदेश से प्रज्ञा के नामांकन की खबर ने हंगामा मचा दिया था। सोशल मीडिया में कई इंटरनेट यूज़र्स ने आतंकवाद की आरोपी को नामजद करने के लिए भाजपा को निशाना बनाया।
उनमें से एक अभिनेत्री स्वरा भास्कर थीं, जो प्रज्ञा को ‘मालेगांव आतंकवादी अभियुक्त’ और ‘संभावित आतंकवादी’ के रूप में संदर्भित करते हुए, सत्तारूढ़ दल पर खूब बरसीं। पत्रकार और नेटवर्क-18 के कार्यकारी संपादक अमीश देवगन ने उन्हें कोट-ट्वीट किया कि प्रज्ञा को अदालत ने बरी कर दिया है।
She is acquitted from court which was false narrative of Hindu terrorism now you don’t trust judiciary also ? हिंदू कभी अक्रांता नहीं रहे इतिहास गवाह है ।टाइम पास के लिए कुछ भी न लिखे । फिर आप पड़ोसी देश में superStar बन जातें हैं । https://t.co/RhG0xogkH3
— Amish Devgan (@AMISHDEVGAN) April 17, 2019
देवगन के ट्वीट को उनके इसे 17 अप्रैल को पोस्ट करने के बाद से, 6000 से अधिक बार रिट्वीट और 16,000 से अधिक बार ‘लाइक’ किया गया। देवगन के अलावा, कई प्रमुख भाजपा समर्थक हैंडल ने ट्वीट कर कहा है कि साध्वी प्रज्ञा को मालेगांव ब्लास्ट मामले में बरी कर दिया गया है।
Kanhaiya is ‘innocent’ until proven guilty but Sadhvi Pragya, who has been acquitted in the Malegaon blast case, is still an ‘accused’.
Is vibrator battery down?? pic.twitter.com/LvpzO5dCvk— Chowkidar Saffronista (@MsKaushik_) April 17, 2019
उपरोक्त ट्वीट को अब तक 900 से अधिक बार रिट्वीट किया जा चुका है। अन्य प्रमुख हैंडल जो यह दावा करते हैं, उनमें रितु राठौर और डेसिमोजिटो शामिल हैं।
Liberals who signed petititons for terrorists Yakub Menon & Kasab r having severe meltdown ovr BJP giving ticket to Sadhvi pragya
Fact that she was kept in jail for 8yrs without evn a chargesheet,was given 4th degree torture,that she is acquitted by court means nothing to them!— Ritu (सत्यसाधक)🇮🇳 (@RituRathaur) April 17, 2019
साध्वी प्रज्ञा को बरी नहीं किया गया है
बरी होने का मतलब एक ऐसा फैसला है जो किसी अपराध के अभियुक्त व्यक्ति को दोषमुक्त करता है। विचाराधीन व्यक्ति को फैसले के माध्यम से दोषी नहीं घोषित किया जाता है। हालांकि इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है (यदि निचली अदालत द्वारा फैसला सुनाया गया है), बरी होना अनिवार्य रूप से गैर-अपराध की पुष्टि है। साध्वी प्रज्ञा के मामले में, यह ध्यान देने योग्य है कि उन्हें बरी नहीं किया गया है।
साध्वी प्रज्ञा फिलहाल ज़मानत पर बाहर हैं। उन्हें स्वास्थ्य आधार पर ज़मानत दी गई थी। जस्टिस शालिनी फनसालकर जोशी और रंजीत मोरे की अध्यक्षता वाली बॉम्बे हाईकोर्ट की खंडपीठ द्वारा दिए गए जमानत आदेश के अनुसार, साध्वी प्रज्ञा को इसलिए ज़मानत दी गई थी क्योंकि वह “स्तन कैंसर से पीड़ित” थीं और वह “बिना सहारे के चल भी नहीं सकती” थीं।
2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपी साध्वी प्रज्ञा और अन्य का मुकदमा अभी भी चल रहा है। प्रज्ञा पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं। दिसंबर 2017 में, एक विशेष एनआईए अदालत ने फैसला किया था कि साध्वी प्रज्ञा, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रशांत पुरोहित और छह अन्य को UAPA के तहत आरोपित किया जाना चाहिए।
गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, “व्यक्तियों और संगठनों की कुछ गैरकानूनी गतिविधियों की अधिक प्रभावी रोकथाम के लिए [और आतंकवादी गतिविधियों से निपटने के लिए] और जुड़े हुए मामलों के लिए एक अधिनियम है।” यह 1967 में घोषित किया गया था और तब से कई बार संशोधित किया गया है।
अदालत ने हालांकि आरोपियों के खिलाफ सख्त महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट (MCOCA) को हटा दिया था। यह ध्यान देने योग्य है कि MCOCA आरोपों को हटाना किसी भी मामले में बरी होना कहकर भ्रमित नहीं किया जा सकता। ब्लास्ट में इस्तेमाल मोटरसाइकिल कथित रूप से उनके नाम पर पंजीकृत होने के बाद प्रज्ञा की भूमिका सवालों के घेरे में आ गई। महाराष्ट्र के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) द्वारा दायर चार्जशीट के अनुसार, प्रज्ञा 2006 से कट्टरपंथी कार्यकर्ताओं की अधिकांश बैठकों का हिस्सा थीं, जिन्होंने मुस्लिम-बहुल क्षेत्रों पर हमला करने की योजना बनाई थी। उन्होंने कथित तौर पर हमलों को अंजाम देने के लिए लोगों को ढूँढने का जिम्मा लिया था।
इस मामले में, तथ्य यह है कि साध्वी प्रज्ञा को 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में उनकी कथित भूमिका से अदालत ने बरी नहीं किया है। भाजपा समर्थक सोशल मीडिया यूज़र्स और कुछ प्रमुख हस्तियों द्वारा इस संबंध में किए गए दावे गलत हैं।
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