सरकार की निगरानी और ISIS हैकर्स द्वारा व्हाट्सएप्प प्रोफाइल पिक्चर के दुरुपयोग को लेकर इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को चेतावनी देते हुए सोशल मीडिया में कई संदेश प्रसारित हो रहे हैं। ऐसा एक संदेश, कथित रूप से दिल्ली के कमिश्नर के रूप में पदस्थापित आईपीएस अधिकारी ए.के. मित्तल के नाम से अब सोशल मीडिया में फ़ैल रहा है। इसका दावा है कि व्हाट्सएप्प के सीईओ ने यूजर्स से कहा है कि अपनी प्रोफाइल तस्वीरें हटा दें क्योंकि ISIS के हैकर्स आतंकी गतिविधियों के लिए उनका दुरुपयोग कर सकते हैं।

वायरल मैसेज:

*(सावधान)*Hi Friendsजिस किसी की भी व्हाट्सएप्प पे प्रोफाइल फ़ोटो खुद की हो जल्द से जल्द बदल दो. क्योंकि Whatsapp पे ISIS अपने आतंकी गतिविधियों के लिए और कुछ ऐसे hackers आये है जिनके पास आपका व्हाट्सएप्प नंबर है वो लोग उस प्रोफाइल फ़ोटो का गलत इस्तेमाल कर रहे है. Whatsapp के CEO ने सलाह दी है की अगले 20-25 दिन तक खुद की profile photo न रखे. Whatsapp के engineers आपको safe के लिए आपके साथ co-operate करेंगे. इस मैसज को आगे forward करो.
धन्यवाद।

ए.के. मित्तल(आईपीएस)

9849436632

कमिश्नर, दिल्ली।

यह संदेश फेसबुक और ट्विटर दोनों पर वायरल है।

 

झूठी चेतावनी, 2016 से ही प्रसारित संदेश

एक सामान्य गूगल खोज से पता चल गया कि व्हाट्सएप्प के सीईओ ने ISIS हैकर्स के द्वारा प्रोफाइल पिक्चर के दुरुपयोग के बारे में कभी कोई चेतावनी जारी नहीं की थी। वायरल संदेश दिल्ली के कमिश्नर ए. के. मित्तल द्वारा हस्ताक्षरित है, जबकि दिल्ली में कभी इस नाम के कमिश्नर नहीं थे। इस प्रकार, यह दावा पूरी तरह बनाया गया साबित होता है जो पूरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों में फैला हुआ है। द इंडियन एक्सप्रेस ने भी 2016 में व्हाट्सएप्प पर वायरल इस धोखे को खारिज करते हुए एक लेख प्रकाशित किया था।

जो आप करते हैं, निगरानी में है – महज धोखा

सोशल मीडिया में व्यापक रूप से प्रसारित एक अन्य संदेश का दावा है कि सरकार द्वारा पारित एक नए संचार नियम के तहत सभी संचार माध्यमों की निगरानी की जा रही है।

वायरल संदेश:

कल से आगे के लिए नए संचार नियम हैं। सभी कॉल रिकॉर्ड किए जाते हैं सभी फोन कॉल रिकॉर्डिंग सहेजी जाती है व्हाट्सएप्प की निगरानी की जाती है ट्विटर की निगरानी की जाती है फेसबुक की निगरानी की जाती है सभी सोशल मीडिया और मंचों की निगरानी की जाती है, जिन्हें नहीं पता है, उन्हें बताएं। आपके डिवाइस मंत्रालय के सिस्टम से जुड़े हैं। ध्यान रखें अनावश्यक संदेश न भेजें अपने बच्चों, रिश्तेदारों और दोस्तों को ध्यान रखने के लिए इसके बारे में सूचित करें राजनीति/सरकार की वर्तमान स्थिति/पीएम को लेकर कोई पोस्ट या वीडियो इत्यादि जो आप प्राप्त करते हैं, फॉरवर्ड न करें। पुलिस ने एक अधिसूचना जारी की है जिसे नाम दिया गया है ..सायबर क्राइम … और कार्रवाई की जाएगी…सीधे हटा मत दें …अपने दोस्तों और दूसरों को भी बताएं। किसी राजनीतिक और धार्मिक बहस पर लिखना या सन्देश फॉरवर्ड करना अब अपराध है….बिना वारंट गिरफ्तारी… यह बहुत गंभीर है, प्लीज़ हमारे सभी ग्रुप्स और व्यक्तिगत सदस्यों को यह जानने दें क्योंकि ग्रुप एडमिन गहरी परेशानी में हो सकते हैं। अनावश्यक संदेश नहीं भेजने का ध्यान रखें। सबको ध्यान रखने के लिए इसके बारे में सूचित करें। कृपया इसे शेयर करें; यह बहुत ज्यादा सच है। ग्रुप कृपया सावधान रहें।” – (अनुवादित)

इसी संदेश का हिंदी संस्करण दावा करता है कि डिवाइस आंतरिक नियमों के मंत्रालय से जुड़ेंगे। यह संदेश ट्विटर और फेसबुक पर व्यापक रूप से प्रसारित है।

तथ्य-जांच

जहां इस संदेश का दावा है कि डिवाइसों की निगरानी आंतरिक नियमन मंत्रालय के मार्फ़त की जाती है, वहीं, भारत में इस नाम से कोई मंत्रालय ही नहीं है। दूसरे देशों में घाना, पाकिस्तान और सऊदी अरब में आंतरिक मंत्रालय को आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने का शासनादेश है, जबकि भारत में इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय है। अप्रैल 2017 में यह संदेश घाना में भी वायरल हुआ था। सरकारी स्वामित्व वाले घानानीयन दैनिक डेली ग्राफिक द्वारा 10 अप्रैल 2017 को प्रकाशित एक लेख में कहा गया है, “आंतरिक मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्रकाशनों के आरोपों से इनकार किया है कि घाना के लोगों के फोन कॉल और सोशल मीडिया गतिविधियों की सरकार निगरानी कर रही है – (अनुवाद)।”

ISIS के व्हाट्सएप्प ग्रुप ‘इंटरस्कूल्स’ से न जुड़ें

ट्विटर, फेसबुक और व्हाट्सएप्प पर प्रसारित संदेशों में कहा गया है, “*इंटरस्कूल्स* नामक एक व्हाट्सएप्प ग्रुप है। अगर आमंत्रित किया जाए तो इस ग्रुप से न जुड़ें। यह दैश(ISIS) का है – (अनुवाद)।” यह संदेश लोगों से यह भी कहता है कि इसे शेयर करें और अपने परिवार को इसके बारे में सावधान करें।

ISIS के किसी व्हाट्सएप्प ग्रुप के बारे में, जो यूजर्स को आमंत्रित करता और फँसाता हो, कहीं कोई विश्वसनीय खबर नहीं है। इसके अलावा, कोई व्हाट्सएप्प ग्रुप बनाने वाला किसी भी प्रकार से किसी यूजर को ग्रुप छोड़ने से रोक नहीं सकता है। व्हाट्सएप्प के अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों (FAQ) में इसका साफ उल्लेख है। यह दावा जून 2017 में तथ्य-जांच वाली वेबसाइट, Snopes द्वारा खारिज किया गया था।

निष्कर्ष रूप में, सोशल मीडिया यूजर्स को सलाह दी जाती है कि कोई अफवाह, धोखा जो उनके सामने आते हैं, उन्हें न फैलाएं, क्योंकि इससे केवल उलझन, डर और आतंक बढ़ेगा।

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About the Author

Jignesh is a writer and researcher at Alt News. He has a knack for visual investigation with a major interest in fact-checking videos and images. He has completed his Masters in Journalism from Gujarat University.