प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 सितंबर, 2024 को चुनावी राज्य हरियाणा के कुरुक्षेत्र में एक सार्वजनिक बैठक को संबोधित करते हुए कहा, “आज तो हालत ये हो गई है कि कांग्रेस के राज में कर्नाटका में, गणपति जी को भी सलाखों के पीछे डाला जा रहा है. गणपति जी को पुलिस के डब्बे में बंद कर दिया. पूरा देश आज गणेश उत्सव मना रहा है, और कांग्रेस विघ्नहर्ता की पूजा में भी विघ्न डाल रही है.” उन्होंने कहा कि तुष्टीकरण के लिए कांग्रेस कुछ भी कर सकती है.

पीएम मोदी ने 17 सितंबर को भुवनेश्वर में एक संबोधन के दौरान ये दावा दोहराया. उन्होंने कहा, “…कर्नाटका में, जहां इनकी (कांग्रेस) सरकार है, वहां तो इनलोगों ने और भी बड़ा अपराध किया. इनलोगों ने भगवान गणेश की प्रतिमा को ही सलाखों के पीछे डाल दिया…”

पुलिस वैन में हिंदू देवता गणेश की मूर्ति की तस्वीर पहले ही उस वक्त सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी जब पीएम मोदी ने हरियाणा में पहली बार इसका ज़िक्र किया था.

बेंगलुरु दक्षिण के सांसद तेजस्वी सूर्या ने 13 सितंबर, 2024 को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर तस्वीर शेयर की और दावा किया कि कांग्रेस “हमारे आस्था का अपमान करने और लाखों हिंदुओं की आस्था और विश्वास को कम करने पर तुली हुई है.” (आर्काइव)

तस्वीर को X यूज़र गिरीश भारद्वाज (@Girishvhp) ने भी शेयर किया गया था. अपने एक्स बायो में ये खुद को ‘स्वयंसेवक’ बताते हैं और विश्व हिंदू परिषद से जुड़े हैं. उन्होंने दावा किया कि “भगवान गणेश… को कर्नाटक पुलिस ने हिरासत में लिया था.” उन्होंने ये भी लिखा कि “ये गिरफ़्तारी मांड्या के नागमंगला में गणेश जुलूस पर मुसलमानों द्वारा पथराव की घटना की निंदा करते हुए एक विरोध प्रदर्शन के बाद हुई.” (आर्काइव)

इस आर्टिकल के लिखे जाने तक, ट्वीट को 2.6 लाख से ज़्यादा बार देखा गया और लगभग 5 हज़ार बार रिशेयर किया गया.

कुछ बड़े भाजपा नेताओं सहित कई X यूज़र्स ने इस दावे को बढ़ाया. उनमें भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव B L संतोष (@blsantosh), कर्नाटक राज्य भाजपा अध्यक्ष विजयेंद्र येदियुरप्पा (@BYVijayendra), राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला (@Shehzad_Ind), पार्टी के बेंगलुरु सेंट्रल सांसद पीसी मोहन (@PCMohanMP), केंद्रीय राज्य मंत्री श्रम और रोजगार शोभा करंदलाजे (@ShobhaBJP), Varun Kumar Rana (@VarunKrRana), मनीष कश्यप सन ऑफ़ बिहार (@ManishKasyapsob), Shalendra Sharma (@Shalendervoice), Jitendra Pratap Singh (@jpsin1)और कई अन्य शामिल हैं.

मीडिया आउटलेट्स ने भी इस घटना पर रिपोर्ट पब्लिश की. न्यूज़ एजेंसी ANI (@ANI) ने वायरल दावे पर बाइट के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से संपर्क किया और इस दावे को बढ़ाया कि “गणपति की एक मूर्ति ज़ब्त कर ली गई थी.” (आर्काइव)

रिपब्लिक ने पीएम के भाषण पर एक रिपोर्ट में ज़िक्र किया कि ये घटना नागमंगला तालुक में हुई थी. हेडलाइन में कहा गया, “यहां तक ​​कि कांग्रेस शासित कर्नाटक में गणपति को भी सलाखों के पीछे डाला जा रहा है: पीएम मोदी.” सबटाइटल में कहा गया है, “पीएम मोदी ने कहा आज स्थिति ऐसी हो गई है कि कांग्रेस शासित कर्नाटक में गणपति को भी सलाखों के पीछे डाला जा रहा है.”

फ़ैक्ट-चेक

सबंधित की-वर्डस सर्च से हमें द न्यूज़ मिनट की एक रिपोर्ट मिली. इसका टाइटल था, “बेंगलुरु में पुलिस वैन में गणेश की मूर्ति को लेकर विवाद: असल में क्या हुआ?” रिपोर्ट में उन घटनाओं का क्रम बताया गया है जिसके बाद पुलिस वैन में गणेश की मूर्ति रखी गई थी.

रिपोर्ट में कहा गया है, “ये घटना 13 सितंबर को बेंगलुरु के टाउन हॉल में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान सामने आई, जहां प्रदर्शनकारी गणेश चतुर्थी समारोह के दौरान मांड्या ज़िले में हुई सांप्रदायिक झड़प की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (ANI) से मांग करने के लिए जमा हुए थे. सुबह लगभग 11 बजकर 30 मिनट पर, प्रदर्शनकारियों का एक समूह टाउन हॉल में जमा हुआ, जिनमें से एक ने एक चौकी पर गणेश की मूर्ति रखी. ये विरोध प्रदर्शन बेंगलुरु मेट्रोपॉलिटन गणेश उत्सव समिति द्वारा आयोजित किया गया था.

समस्या इसलिए शुरू हुई क्योंकि शहर के नियम केवल फ्रीडम पार्क में विरोध प्रदर्शन की अनुमति देते हैं. कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने अन्य सभी जगहों पर विरोध प्रदर्शनों पर रोक लगा दी है.

द न्यूज़ मिनट को एक पुलिस अधिकारी ने बताया, “स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश में एक पुलिस अधिकारी ने मूर्ति को प्रदर्शनकारियों के लिए बनाई गई एक खाली पुलिस वैन में रख दिया. ये देवता की मूर्ति को बचाने के लिए किया गया था. लेकिन इससे भ्रम पैदा हो गया और तस्वीरें वायरल होने के बाद ग़लत आरोप लगने लगे.”

पुलिस ने लगभग 40 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया और बाद में अधिकारियों द्वारा गणेश प्रतिमा को उल्सूर झील में विसर्जित कर दिया गया.

द टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट भी पुलिस अधिकारी की बात की पुष्टि करती है. इसमें कहा गया है, “…लगभग 25 लोग जमा हुए थे, जिनमें से एक प्रदर्शनकारी ने साहसपूर्वक 1 फ़ीट ऊंची गणेश प्रतिमा को एक चौकी पर रखा हुआ था. शहर के नियमों के मुताबिक़, सिर्फ फ्रीडम पार्क में विरोध प्रदर्शन की अनुमति है, इसलिए भीड़ को हिरासत में लेने के लिए पुलिस तुरंत पहुंच गई.

बेंगलुरु पुलिस के DCP सेंट्रल डिवीजन के ऑफ़िशियल X हैंडल (@DCPCentralBCP) ने इस संबंध में एक बयान जारी किया.

बयान में लिखा है, “वायरल सोशल मीडिया पोस्ट के बारे में स्पष्टीकरण, जिसमें कहा गया है कि अधिकारियों ने बेंगलुरु में टाउन हॉल के पास विसर्जन के लिए जा रहे भक्तों से गणेश की मूर्ति छीन ली…”

बाद के एक ट्वीट में ज़िक्र किया गया कि 13 सितंबर, 2024 को, हिंदू समूहों ने हाई कोर्ट के आदेशों की अवहेलना की और नागमंगला घटना पर बेंगलुरु के टाउन हॉल में विरोध प्रदर्शन किया. इस पर कर्नाटक पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया और बाद में अधिकारियों ने अनुष्ठान के बाद गणपति की मूर्ति का विसर्जन कर दिया. उन्होंने मूर्ति विसर्जन की तस्वीरें भी शेयर कीं.

पाठकों को ये भी ध्यान देना चाहिए कि कुछ ही समय में मूर्ति को वैन से बाहर निकाला गया और पुलिस जीप में ट्रांसफ़र कर दिया गया. ऊपर बताए गए द टाइम्स ऑफ़ इंडिया के रिपोर्ट में कहा गया है, “…वैन में अकेले गणेश जी की मूर्ति ने फ़ोटोग्राफ़रों का ध्यान खींचा, और पुलिस को जल्द ही एहसास हुआ कि ये दृश्य हालात को कैसे बदल सकता है. कार्रवाई की हड़बड़ाहट में एक पुलिस अधिकारी वापस वैन के पास गया, मूर्ति को सावधानीपूर्वक निकाला और उसे एक पुलिस जीप में ले जाया गया.

इसकी पुष्टि के लिए वीडियो साक्ष्य मौजूद हैं:

नागमंगला में क्या हुआ?

कई न्यूज़ रिपोर्ट्स में 11 सितंबर, 2024 को मांड्या के नागमंगला की एक घटना दर्ज की गई, जिसके खिलाफ प्रदर्शनकारी बेंगलुरु में आंदोलन कर रहे थे. गणेश प्रतिमा विसर्जन जुलूस के दौरान कथित तौर पर दो समूहों के बीच झड़प हो गई. इस मामले में लगभग 52 लोगों को गिरफ़्तार किया गया था. द इकोनॉमिक टाइम्स ने लिखा, “पुलिस के मुताबिक, बुधवार को जब बदरीकोप्पलु गांव से भक्तों द्वारा गणेश प्रतिमा का जुलूस एक पूजा स्थल पर पहुंचा, तो दो समूहों के बीच बहस छिड़ गई और कुछ उपद्रवियों ने पथराव कर दिया, जिससे स्थिति बिगड़ गई. उन्होंने बताया कि बुधवार रात दोनों समूहों के बीच झड़प के बाद कुछ दुकानों में तोड़फोड़ की गई, सामान जला दिया गया और वाहनों में आग लगा दी गई.”

कुल मिलाकर, सोशल मीडिया पर वायरल ये दावा ग़लत है कि पुलिस ने हिंदू देवता गणेश को ‘हिरासत में लिया’ या ‘गिरफ़्तार’ किया. पुलिस वैन में गणेश की मूर्ति की तस्वीर उस वक्त खींची गई जब पुलिसकर्मियों ने बेंगलुरु में प्रदर्शनकारियों से मूर्ति ले ली थी. यानी, पीएम मोदी का दावा भी भ्रामक है.

इस स्टोरी में बताए गए टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट की हेडलाइन ग़लत है क्योंकि इसमें दावा किया गया है कि पूरा बवाल मांड्या में हुआ था.

अंकिता महालनबिश ऑल्ट न्यूज़ में इंटर्न हैं.

अपडेट: नागमंगला में झड़पों के बारे में ग़लत जानकारी शेयर करने के आरोप में 18 सितंबर को केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे के खिलाफ मांड्या पुलिस ने FIR दर्ज की.

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