सोशल मीडिया पर काफी अच्छी तरह से मेंटेन एक गवर्मेंट स्कूल की तस्वीरें शेयर की जा रही हैं. बताया जा रहा है कि ये स्कूल उतर प्रदेश में है. इनमें से एक तस्वीर में स्कूल का नाम और पता दिख रहा है जिसमें एक स्कूल इटायला माफ़ी की प्राथमिक विद्यालय बताई गई है. कई यूज़र्स ने इन तस्वीरों को शेयर करते हुए इस बात पर अफसोस जताया है कि उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों की बेहतर हालत, अंतरराष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियां नहीं बनी. गौर करें कि 16 अगस्त को द न्यूयॉर्क टाइम्स ने दिल्ली में सरकारी स्कूलों के स्तर में सुधार की दिशा में आप सरकार के प्रयासों पर की एक रिपोर्ट आई थी जिसके बाद ये दावा वायरल हो रहा है.

हरियाणा के पूर्व भाजपा IT सेल के प्रमुख अरुण यादव ने 3 सितंबर को ये तस्वीरें ट्वीट करते हुए लिखा, “ये प्राईमरी स्कूल उत्तर प्रदेश के ज़िला संभल में है.” आगे, उन्होंने लिखा है, “अगर ये दिल्ली की तस्वीर होती तो अंतराष्ट्रीय अखबारों में सुर्खियां बनाई जाती.” (आर्काइव्ड लिंक)

तन्मय शंकर नामक यूज़र ने भी ये तस्वीरें ट्वीट की. कैप्शन में लिखा है, “योगी सरकार में काम दिखावे के लिए नहीं बल्कि प्रदेश को आगे बढ़ाने के लिए होता है.” (आर्काइव्ड लिंक)

भारत के सुप्रीम कोर्ट में गोवा के स्टैंडिंग काउंसल प्रशांत उमराव ने भी ये तस्वीरें उतर प्रदेश के संभल ज़िले के प्राइमरी स्कूल की बताते हुए ट्वीट की. (आर्काइव्ड लिंक)

राजनेता साध्वी प्राची समेत कई यूज़र्स ने भी इसी दावे के साथ ये तस्वीरें फ़ेसबुक पर पोस्ट कीं.

फ़ैक्ट-चेक

गूगल पर स्कूल का नाम सर्च करने पर ऑल्ट न्यूज़ को वनइंडिया का 19 अक्टूबर 2016 का आर्टिकल मिला. इस रिपोर्ट में यूपी के संभल ज़िले के स्कूल की ये तस्वीरें शेयर की गई थीं. आर्टिकल में बताया गया है कि कैसे 2015 में प्रधानाचार्य कपिल मलिक के पदभार संभालने के बाद स्कूल भवन की स्थिति, रखरखाव, पूरा स्कूल प्रशासन और यहां तक ​​कि छात्रों की उपस्थिति में भी काफी सुधार हुआ. (आर्काइव्ड लिंक)

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हमें 7 फ़रवरी 2017 को द लल्लनटॉप का वीडियो मिला जिसमें उन्होंने ने प्रधानाचार्य कपिल मलिक का इंटरव्यू लिया है. वीडियो में कपिल, इंटरव्यू ले रहे शख्स को स्कूल परिसर के चारों ओर घुमाते हुए बताते हैं कि स्कूल किस तरह चलाया जाता है. वीडियो में 10 मिनट पर, इंटरव्यू ले रहा व्यक्ति कपिल मलिक से पूछता है कि उन्हें बाहर के लोगों, अधिकारियों और सरकार से कितनी मदद मिलती है. इस सवाल पर कपिल मलिक जवाब देते हैं, “कोई मदद सर अधिकारियों से, बाहर से, लोगों से नहीं मिली है. सारा आप जो देख रहे हो, जितना भी, ये सब मैंने अपने ही लगाए हैं 14-15 लाख रूपए… ये सारा आप जो देख रहे हो, ये इंटरलौकिंग टाइल्स जो नीचे लगी है..ये सारी ग्रीनरी.. लेट्रिन बाथरूम हैं.. ये सारे मैंने ही बनाए हैं.. मेंटिनेंस में हर महीने मेरा 5 से 7 हज़ार खर्चा है.. ”

ऑल्ट न्यूज़ ने स्कूल के प्रिंसिपल कपिल मलिक से संपर्क किया. उन्होंने बताया, “हमें सरकार से हर साल लगभग 75 हज़ार रु. रखरखाव के लिए मिलता है. लेकिन ये राशि पर्याप्त नहीं है. मैंने इस बिल्डिंग के लिए लगभग 20-25 लाख रु. मेरी जेब से लगाए हैं. फ़िलहाल, हर साल मैं लगभग 50 हज़ार खर्च करता हूं.”

उन्होंने आगे कहा, “मेरे जुड़ने से पहले, 2010 में स्कूल में लगभग 30 छात्रों का ही नामांकन था. अब हमारे स्कूल में 300 छात्र नामांकित हैं. हमें सीटों की कमी की वजह से कई लोगों को एडमिशन देने से मना करना पड़ रहा है.”

ये पूछे जाने पर कि वायरल तस्वीरें कब की हैं? कपिल मलिक ने जवाब दिया, “इन्हें 2015 में लिया गया था.” ध्यान दें कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार 26 मार्च 2017 को सत्ता में आई थी.

2017 में स्कूल को राज्य में “सबसे स्वच्छ स्कूल” के रूप में मान्यता दी गई थी. कपिल मलिक को योगी आदित्यनाथ से पुरस्कार भी मिला था. कपिल मलिक ने पुरस्कार लेते हुए अपनी एक तस्वीर फ़ेसबुक पर भी अपलोड की थी.

Posted by Kapil Malik on Monday, 13 August 2018

कुल मिलाकर, सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश के एक चमचमाते सरकारी प्राथमिक विद्यालय की वायरल तस्वीरें भ्रामक दावों के साथ शेयर की जा रही हैं.

प्राथमिक विद्यालय, इटायला माफ़ी के प्रधानाचार्य, कपिल मलिक ने हमें बताया कि सरकार स्कूल के लिए बहुत कम पैसे मुहैया कराती है. कपिल मलिक ने खुद लगभग 20-25 लाख रूपए बिल्डिंग बनाने के लिए लगाए हैं. और वो स्कूल के रखरखाव के लिए हर साल लगभग 50 हज़ार रुपये खर्च करते हैं.

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About the Author

Student of Economics at Presidency University. Interested in misinformation.