फ़्रेंच टीचर सेमुएल पैटी की एक मुस्लिम कट्टरपंथी द्वारा हत्या और राष्ट्रपति एमेनुएल मैक्रों के इस्लाम पर बयान पर कई मुस्लिम बहुल देशों में इसका जमकर विरोध हुआ. इस्लाम में पैगम्बर मोहम्मद का विज़ुअल चित्रण करने की सख्त मनाही है. इसके बावजूद मैक्रों ने फ़्रेंच धर्मनिरपेक्षता और सरकारी इमारतों पर पैगंबर मुहम्मद पर बने चित्रों को लगाने का समर्थन किया. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने मुहम्मद पर बने कार्टून को बढ़ावा देने के लिए ‘इस्लाम पर हमला’ करने का आरोप लगाया.

बहरहाल, फ़्रांस और विश्व के मुस्लिम समुदाय के बीच तनाव बना हुआ है. और इसी बीच मीडिया ने रिपोर्ट किया कि फ़्रांस ने देश में रहने वाले 183 पाकिस्तानियों का वीज़ा रद्द कर दिया है और साथ ही दिखाया कि वे इस्मालिक देशों के दवाब में नहीं आये हैं.

ANI ने 1 नवम्बर को रिपोर्ट किया, “प्रधानमंत्री इमरान खान के फ़्रेंच राष्ट्रपति एमेनुएल मैक्रों पर दिए गये बयान के बाद फ्रेंच प्रशासन ने 183 विजिटर वीज़ा रिजेक्ट कर दिए हैं.” रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि “कॅान्स्युलेट जनरल ऑफ़ पाकिस्तान फ़्रांस ने फ्रेंच प्रशासन से लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शूजा पाशा की बहन को अस्थायी तौर पर रहने देने की अनुमति दी है. वो अपनी बीमार सास को देखने के लिए वहां रुकी हुई हैं. अहमद शूजा पाशा पाकिस्तान के इंटेलिजेंस एजेंसी ISI के पूर्व मुखिया है.”

ANI की रिपोर्ट को Yahoo News ने भी पब्लिश किया. कुछ यही DNA ने भी रिपोर्ट किया और कहा, “मैक्रों सरकार की ये कार्रवाई सीधे तौर पर इमरान खान के ऐंटी-फ़्रेंच बयान से जुड़ी है.” द टाइम्स ऑफ़ इंडिया के एक ब्लॉग पोस्ट में भी इस ख़बर को जगह दी गयी.

हिंदी मीडिया आउटलेट्स ने इस ‘खबर’ को अंग्रेजी प्लेटफ़ॉर्म से ज़्यादा बड़े स्तर पर तवज्जो दिया. रिपोर्ट्स ने दावा किया कि 183 पाकिस्तानियों का वीज़ा रद्द किया गया और 118 पाकिस्तानी नागरिकों को उचित कागज़ात होते हुए भी जबरन वापस भेज दिया गया. इसे रिपोर्ट करने वालों में न्यूज़18, पत्रिका, न्यूज़ नेशन, अमर उजाला, आज तक, टीवी9 भारतवर्ष, दैनिक जागरण और Zee न्यूज़ शामिल हैं.

आज तक ने इस आर्टिकल के लिखे जाने तक ये स्टोरी हटा ली थी. रिपोर्ट का आर्काइव लिंक यहां देखें.

टीवी9 भारतवर्ष ने अपनी इस रिपोर्ट का टाइटल दिया, “कट्टरपंथियों पर फ़्रांस सरकार का बड़ा एक्शन, पाक के 183 लोगों का वीज़ा किया रद्द.”

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स्थानीय आउटलेट्स पंजाब केसरी और दिव्य भास्कर ने भी यही रिपोर्ट किया.

मीडिया ने फ़र्ज़ी अकाउंट को माना सच

ये सभी रिपोर्ट्स एक ट्विटर अकाउंट के ट्वीट्स पर आधारित थीं. इस अकाउंट का नाम है, “Consulate General of Pakistan France.” इस अकाउंट के 450 से कुछ ही ज़्यादा फ़ॅालोवर्स हैं और इनमें से कोई भी फ़ॅालोवर न ही किसी पाकिस्तानी संगठन से जुड़ा  था या पाकिस्तान की सरकार का अधिकारी नहीं था. इससे ही हिंट मिल जाती है कि ये अकाउंट फ़र्ज़ी है.

फ़्रांस में पाकिस्तान के दूतावास के ट्विटर हैंडल ने इस ग़लत सूचना के बारे में ट्वीट कर जानकारी दी थी. इसमें लिखा है, “पेरिस, फ़्रांस में पाकिस्तान के दूतावास का एक ही ट्विटर अकाउंट है @PakInFrance.”

क्यूंकि ये हैंडल वेरिफ़ाइड नहीं है,इसलिए ऑल्ट न्यूज़ ने पाकिस्तान के दूतावास का वेरिफ़ाइड फे़सबुक पेज चेक किया और यहां ट्विटर हैंडल @PakInFrance को मेंशन किया गया है.

इसके अलावा, इस ट्वीट को पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय प्रवक्ता के ऑफ़िशियल ट्विटर हैंडल ने रीट्वीट किया.

पाकिस्तानी मीडिया ने भी इस ग़लत सूचना के बारे में रिपोर्ट किया था.

भारतीय मीडिया के एक बड़े तबके ने ये ग़लत दावा किया कि फ़्रांस ने 183 पाकिस्तानियों का वीज़ा रद्द कर दिया और 118 पाक नागरिकों को जबरन वापस भेज दिया गया. ये दावा इन आउटलेट्स ने पाकिस्तान के फ़्रांस में दूतावास के फे़क ट्विटर हैंडल से किये गए ट्वीट्स के आधार पर किया.

विडंबना है कि इनमें से कुछ आउटलेट्स के अपने फै़क्ट-चेकिंग डेस्क हैं. इसमें द टाइम्स ऑफ़ इंडिया और आज तक भी शामिल हैं. यहां तक कि आजतक के अंग्रेज़ी के साथी इंडिया टुडे ने इसपर एक फै़क्ट-चेक रिपोर्ट भी पब्लिश की थी. ये ग़लत सूचना रिपोर्ट करने वाले हिंदी आउटलेट, दैनिक जागरण का भी अपना फै़क्ट-चेकिंग विंग है जिसे विश्वास न्यूज़ के नाम से जाना जाता है.

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Pooja Chaudhuri is a senior editor at Alt News.