हाल ही में संपन्न झारखंड विधानसभा चुनावों ने एक बार फिर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर चुनाव नियमों को लागू करने की विफलता को उजागर किया है. कैंडीडेट और राजनीतिक दलों सहित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए भारत के चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन करना महत्वपूर्ण है. हालांकि, समय-समय पर इसके उल्लंघन के मामले सामने आते रहते हैं, जो इन प्लेटफॉर्म्स की विफलता को दर्शाता है और चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को प्रभावित करता है.

रीप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट, 1951 की धारा 126(1)(बी) के अनुसार, मतदान समाप्त होने से 48 घंटे पहले ‘साइलेन्स पीरियड‘ लागू हो जाती है. इस अवधि को यह सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है कि मतदाता अंतिम समय के विज्ञापनों और प्रचार के प्रभाव से मुक्त होकर अपना निर्णय ले सकें. चुनाव आयोग ने लगातार इस प्रावधान के महत्व को दोहराते हुए राजनीतिक दलों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को आदर्श आचार संहिता का पालन करने के निर्देश जारी किए हैं.

झारखंड में विधानसभा चुनाव 13 नवंबर और 20 नवंबर के दो चरणों में सम्पन्न हुआ. इससे पहले 9 नवंबर 2024 को चुनाव आयोग ने रीप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट , 1951 की धारा 126 में निर्दिष्ट अवधि (साइलेंस पीरियड) के दौरान मीडिया कवरेज को लेकर और अन्य दिशा-निर्देश जारी किये थे जिसमें इस महत्वपूर्ण अवधि के दौरान टेलीविज़न और सोशल मीडिया सहित विभिन्न मीडिया के माध्यम से चुनाव संबंधी सामग्री प्रदर्शित करने पर प्रतिबंध लगाया था.

इन दिशा-निर्देशों के बावजूद, कई कैंडीडेट से जुड़े फ़ेसबुक पेज, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से जुड़े प्रॉक्सी पेजों ने इन मानदंडों का उल्लंघन करते हुए चुनावी विज्ञापन चलाने का काम किया.

झारखंड विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण से एक दिन पहले 19 नवंबर 2024 को, ऑल्ट न्यूज़ ने मेटा को 7 पेजों की सूचना दी जिसके द्वारा ‘साइलेंस पीरियड’ के दौरान राजनीतिक और चुनावी विज्ञापन चलाए जा रहे थे. इस लिस्ट में विभिन्न भाजपा नेताओं के चुनाव अभियान पेज, पार्टी से जुड़े प्रॉक्सी पेज और एक समाचार पोर्टल शामिल था. हमें अबतक मेटा की ओर से जवाब नहीं आया है, जवाब आने पर इस आर्टिकल को अपडेट कर दिया जाएगा.

नीचे उन पेजों के नाम और उनके विज्ञापन के स्क्रीनशॉट्स मौजूद हैं जिनके द्वारा चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों को नज़रअंदाज़ किया गया:

1. The RajDharma

2. Madhupur Maange Ganga Narayan Singh

3. Jarmundi Maange Devendra Kunwar

4. Jama Ka Bharosa Suresh Murmu

5. Shikaripara Maange Paritosh Soren

6. Ek Akela Sab Par Bhari

7. Jharkhand Chaupal-झारखंड चौपाल

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ऑल्ट न्यूज़ द्वारा मेटा को सूचित किये जाने के बाद से झारखंड चुनाव के दौरान विज्ञापनों पर सबसे ज्यादा खर्च करने वालों में से भाजपा के प्रॉक्सी पेज ‘Jharkhand Chaupal-झारखंड चौपाल’ और ‘Ek Akela Sab Par Bhari’ नाम के पेज द्वारा चलाए जा रहे कई राजनीतिक विज्ञापनों को स्थानीय रूप से अवैध कंटेन्ट, उत्पादों या सेवाओं पर नियमों के उल्लंघन का हवाला देकर हटा दिया गया.

इसके अलावा, मेटा को सूचित किये गए 7 पेजों में से 5 पेज अब फ़ेसबुक पर अनुपलब्ध है. हालांकि, मेटा की तरफ से हमें अभी तक कोई जवाब नहीं आया है जिसमें स्पष्ट किया गया हो कि इन पेजों को मेटा ने डिलीट किया है या इनके ऐड्मिन ने ही इन्हें डीएक्टिवेट/डिलीट कर दिया गया है.

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और ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, ऑल्ट न्यूज़ ने पहले भी कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान इसी तरह के उल्लंघन को रिपोर्ट किया था. उस वक़्त भाजपा के एक प्रॉक्सी पेज ने चुनाव के दिन राजनीतिक विज्ञापन चलाए थे जो आदर्श आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन है. उस मामले में, मेटा ने भी तुरंत कार्रवाई करते हुए विज्ञापनों को हटा दिया और उसी दिन पेज को भी डिलीट कर दिया था. गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान भी, भाजपा से जुड़े फेसबुक पेज ने ‘साइलेंस पीरियड’ के दौरान विज्ञापन चलाए थे.

बार-बार होने वाला उल्लंघन स्पष्ट रूप से चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों की अप्रभाविता और मौजूदा नियमों की विफलता को दर्शाता है. साथ ही यह प्लेटफार्मों, चुनाव के उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों द्वारा उनका अनुपालन करने में अनिच्छा को भी उजागर करता है.

भारत में अखबार, टीवी, रेडियो आदि पारंपरिक मीडिया के अलावा सोशल मीडिया के माध्यम से भी चुनावी विज्ञापनों का प्रभाव बढ़ रहा है, ऐसे में इसे नियंत्रित करने में चुनाव आयोग और मेटा जैसे प्लेटफॉर्म की सतर्कता और जवाबदेही और भी ज़रूरी है.

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Abhishek is a senior fact-checking journalist and researcher at Alt News. He has a keen interest in information verification and technology. He is always eager to learn new skills, explore new OSINT tools and techniques. Prior to joining Alt News, he worked in the field of content development and analysis with a major focus on Search Engine Optimization (SEO).