सोशल मीडिया पर कई यूज़र्स दावा कर रहे हैं कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने बच्चों के लिए मिड-डे मील बनाने वाली महिलाओं को चूड़ी न पहनने का निर्देश दिया. ये आदेश साफ तौर पर राज्य के शिक्षा विभाग से आया है. इस आदेश के लिए कांग्रेस सरकार की आलोचना करते हुए सोशल मीडिया यूज़र्स दावा कर रहे हैं कि ऐसा करके कांग्रेस हिंदू धार्मिक परम्पराओं पर बैन लगा रही है.

कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष नलिनकुमार कतील ने 15 जुलाई को एक ट्वीट में कहा कि मिड-डे मील वर्कर के चूड़ी पहनने पर बैन “कांग्रेस सरकार का एक और घृणित आदेश है जो हिंदुओं के खिलाफ जहरीला है.” सरकार हिंदू प्रथाओं को दबाने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कर्नाटक में पहले भाजपा सरकार के बुर्का पर बैन लगाने के आदेश का विरोध किया था. लेकिन अब वो हिंदुओं के प्रति ‘दमनकारी नीति’ अपना रही है.

पिछले एक हफ्ते में कम से कम दो बार ग़लत सूचना शेयर करने वाले कर्नाटक के हिंदू जनजागृति समाज के राज्य प्रवक्ता, मोहन गौड़ा ने एक न्यूज़ रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट ट्वीट करते हुए दावा किया कि कर्नाटक सरकार ने मिड डे मील तैयार करने वाली महिलाओं के चूड़ी पहनने पर बैन लगा दिया. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या ये ‘हिंदू धार्मिक प्रथा पर बैन लगाने की कोशिश’ है. उन्होंने ये भी कहा, “दूसरे समुदाय की रोटी पर थूकने पर बैन क्यों नहीं है?” उन्होंने कन्नड़ में लिखे डॉक्यूमेंट की एक तस्वीर’ भी शेयर की जिसमें साफ़ तौर पर ऐसे पॉइंट्स दिए गए हैं जिन्हें SDMC (स्कूल विकास और निगरानी समिति) को ध्यान में रखना होगा. डॉक्यूमेंट के टेक्स्ट का संदर्भ ट्वीट में स्पष्ट नहीं है. (आर्काइव लिंक)

रिडर्स ध्यान दें कि मुसलमानों द्वारा खाने-पीने की चीजों में थूकने से संबंधित दावों को ऑल्ट न्यूज़ पहले भी कई बार खारिज किया है.

न्यूज़ आउटलेट एशियानेट न्यूज़ ने इसी दावे के साथ एक न्यूज़ रिपोर्ट पब्लिश की और बताया कि इस तरह के आदेश से हिंदुओं में आक्रोश है. (आर्काइव लिंक)

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फ़ैक्ट-चेक

की-वर्ड्स सर्च करने पर ऑल्ट न्यूज़ को मामले से संबंधित कई न्यूज़ रिपोर्ट्स मिलीं. डेक्कन हेराल्ड की एक न्यूज़ रिपोर्ट के मुताबिक, ये रिपोर्ट और दावे झूठे हैं कि कर्नाटक राज्य शिक्षा विभाग ने मिड डे मील की तैयारी में शामिल महिलाओं के लिए ऐसा कोई आदेश जारी किया. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने खुद इस बात पर सफाई दी थी. रिपोर्ट में मुख्यमंत्री के हवाले से बताया गया कि खाना बनाते समय महिलाओं को चूड़ी नहीं पहनने का निर्देश पीएम पोषण योजना के तहत केंद्र से आया था.

रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि चूड़ियों के अलावा, महिला कर्मचारियों को खाना पकाने, परोसते समय नेल पॉलिश, नकली नाखून, घड़ियां, अंगूठियां, आभूषण या चूड़ी न पहनने की सलाह भी दी गई है क्योंकि इन चीजों से खाना दूषित हो सकता है.

पीएम पोषण, केंद्र सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है जिसका मकसद बच्चों की पोषण स्थिति में सुधार करना, वंचित वर्ग के गरीब बच्चों को नियमित रूप से स्कूल जाने के लिए प्रोत्साहित करना और गर्मी की छुट्टियों के दौरान सूखा प्रभावित क्षेत्रों में प्राथमिक स्तर के बच्चों को पोषण संबंधी सहायता प्रदान करना है.

हमें केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा पब्लिश पीएम पोषण स्कीम गाइडलाइन्स का डॉक्यूमेंट मिला. डाक्यूमेंट में कुक कम हेल्पर्स की पर्सनल हाइजिन, साफ-सफाई और हेल्थ चेक-अप्स’ की कैटेगरी के अंदर साफ तौर पर कहा गया है कि “नेल पॉलिश या नकली नाखून नहीं लगाने चाहिए क्योंकि ये खाने में गिर सकते हैं जिससे खाने की गुणवत्ता से समझौता हो सकता है. खाना पकाने, परोसने और बांटने के दौरान भी घड़ी, अंगूठी, आभूषण और चूड़ी नहीं पहननी चाहिए जिससे खाना दूषित होने का खतरा हो.”

हमें कर्नाटक के मुख्यमंत्री का एक ट्वीट भी मिला जिसमें उन्होंने साफ किया कि राज्य शिक्षा विभाग ने आंगनवाड़ी में खाना पकाने वाले कर्मचारियों के लिए कोई ड्रेस कोड दिशानिर्देश जारी नहीं किया है और ये अपडेटेड पॉलिसी पीएम पोषण योजना के तहत केंद्र से आई है.

कुल मिलाकर, ये दावा झूठा है कि कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने महिला मिड-डे मील कर्मचारियों के चूड़ी पहनने पर बैन लगा दिया और ऐसा करके सरकार, हिंदू धार्मिक प्रथाओं पर रोक लगाने की कोशिश कर रही है. ये निर्देश पीएम पोषण योजना के तहत केंद्र सरकार की ओर से आया है.

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