17 अप्रैल की शाम कोलकाता में गर्मी का कहर था लेकिन इसके बावजूद ये शहर ‘नबोबोरशो’ (बंगाली नव वर्ष) के मूड में डूबा हुआ था. व्हाट्सऐप पर एक वीडियो शेयर किया जाने लगा. वीडियो क्लिप में एक शॉपिंग मॉल जैसी जगह पर कुछ लोग दिखते हैं. इसमें एक लक्ज़री घड़ी की दुकान है जिसमें कुछ लोग जींस और टी-शर्ट पहने हुए दिख रहे हैं, तो कुछ लोगों ने लुंगी और बनियान पहनी है. वहीं एक कोने में एक व्यक्ति सोया हुआ है और उसकी चप्पल उसके बगल में रखी हुई थी. कुछ लोग इस आदमी की तस्वीर ले रहे थे. वहीं कुछ लोग अपने फोन में मगन थे और लूडो खेल रहे थे. और ऐसे ही बाकी लोग आपस में बातें कर रहे थे. इनमें से ज़्यादातर लोग 30-40 साल के दिखते हैं. इसके अलावा, वीडियो में एक सुरक्षा गार्ड, अपना काम छोड़कर उन्हें देख रहा था.
पत्रकार को 17 अप्रैल की देर रात एक व्हाट्सऐप ग्रुप में ये वीडियो मिला. इसके बाद हुई बातचीत आप नीचे देख सकते हैं:
[मेसेज का अनुवाद:
पहला व्यक्ति : इतनी गर्मी है कि लोग मॉल में घुस गए. कोलकाता के एक मॉल में ऐसा हुआ.
दूसरा व्यक्ति : क्या आपको यकीन है कि ये कोलकाता का है? फिर तो ये बहुत बुरा है.
पहला व्यक्ति : नहीं, इसलिए तो मैंने लिखा ‘फॉरवर्डेड एज़ रिसीव्ड.’
दूसरा व्यक्ति : लेकिन ऐसा लिखने से आपकी ज़िम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती. हालांकि, आप सही हैं. ये क्वेस्ट मॉल है.]
रिडर्स ध्यान दें कि क्वेस्ट मॉल सेंट्रल कोलकाता के पार्क सर्कस क्षेत्र में संजीव गोयनका के नेतृत्व वाले RP संजीव गोयनका ग्रुप द्वारा बनाया गया एक अपस्केल शॉपिंग मॉल है. इस मॉल को CESC चलाती है जो सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी है और कोलकाता और हावड़ा के ज़्यादातर हिस्सों में बिजली की आपूर्ति करती है.
ये वीडियो सांप्रदायिक ऐंगल के साथ भी वायरल है.
कुछ ही दिनों में ये वीडियो इस दावे के साथ शेयर किया जाने लगा कि ये एक सांप्रदायिक घटना थी.
माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट पर ये वीडियो शेयर करने वाले पहले यूज़र्स में से एक बंगाल भाजपा कार्यकर्ता केया घोष हैं. केया के ट्विटर बायो में लिखा है, “भारत के प्रधानमंत्री, श्री @narendramodi द्वारा सम्मानित.” उन्होंने वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा: “ये बहुप्रचारित क्वेस्ट मॉल है; संजीव गोयनका का ड्रीम प्रोजेक्ट जो लंदन हाई स्ट्रीट ब्रांड्स को प्रदर्शित करता है. फ़िलहाल इसे लुंगियों ने कब्जा कर लिया है. सवाल ये है कि क्या गोयनका इसके बारे में कुछ कर सकते हैं?” (आर्काइव)
This is the much hyped Quest Mall; Sanjeev Goenka’s dream project which showcases London high street brands. Currently taken over by lungis.
Question is can Goenkas do anything about it? 🤔🤔 pic.twitter.com/N2QldSjcjZ— Keya Ghosh (@keyakahe) April 17, 2023
एक और यूज़र ‘@vishnuguptuvach’ ने ये वीडियो इस दावे के साथ ट्वीट किया कि ये ‘गुंडावाद’ और ‘जबरन वसूली’ का मामला है. इनके बायो में लिखा है कि वो अपने पूर्वजों का आभारी है जिन्होंने मुगलों और ईसाइयों के खिलाफ़ लड़कर उसे हिंदू बनाए रखा. इन्होंने ये भी लिख कि लोगों ने ‘फ़ूड कोर्ट से मुफ्त खाना, अरमानी / गुच्ची आदि दुकानों से ईद के लिए मुफ्त उपहार’ की मांग की. रिडर्स ध्यान दें कि इसे करीब 600 बार रीट्वीट किया गया है और इनके द्वारा शेयर किए गए वीडियो को करीब 1 लाख बार देखा गया. (आर्काइव)
Kolkata:
Today in Quest Mall at 10:30 am, 200-250 local peaceful goons barged into the mall “because it is too hot outside”. And then they demanded free food from Food Court, Eid free gift from Armani/Gucci etc stores.Laughing & joking, they do not seem to be in any distress. A… pic.twitter.com/porqE2slnJ
— विष्णुगुप्त उवाच (@vishnuguptuvach) April 19, 2023
फ़िल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री के ट्वीट को कोट-ट्वीट करते हुए भाजपा के सूचना प्रौद्योगिकी सेल के राष्ट्रीय प्रभारी अमित मालवीय ने ये वीडियो ट्वीट किया. उन्होंने लिखा कि न तो गोयनका (मॉल मालिक की ओर इशारा करते हुए) और न ही पुलिस इस बारे में कुछ कर सकती है. (आर्काइव)
Not surprising. Earlier this week, local Muslim residents barged into Sanjeev Goenka’s fabled Quest Mall with London high street brands, demanding they be allowed to take ‘shelter’ in the mall as Kolkata was reeling under a heat wave. Goenka could do nothing. Police did nothing… https://t.co/htL9oqF2Ow pic.twitter.com/B1Wyo3XJ4x
— Amit Malviya (@amitmalviya) April 20, 2023
मीरा सिंह नामक यूज़र ने ये क्लिप ट्वीट करते हुए पूछा कि क्या बंगाल पहले ही हार चुका था. उसने कैप्शन में कहा कि एक विशिष्ट समुदाय के लगभग 250 झुग्गी निवासियों ने मॉल में प्रवेश किया और फ़ूड प्लाजा में मुफ्त खाना और दुकानों से ईद के तोहफे की मांग की. उन्होंने आगे कहा, “मॉल के मालिक संजीव गोयनका असहाय हैं क्योंकि पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज़ करने से इनकार कर दिया है. सोनार बांग्ला ?? सच में?” आर्टिकल लिखे जाने तक इसे करीब 3 हज़ार बार रीट्वीट किया गया और 4.7 लाख से ज़्यादा बार देखा गया. (आर्काइव लिंक)
Are we losing #Bengal or have already lost it?
In Kolkata, about 250 slum dwellers from a specific community entered Air-conditioned ‘Quest Mall’ because temp outside was very high.
They barged into d mall demanding dt they be given permission to stay as Kolkata is reeling
— Meera Singh (@meeraremi11) April 20, 2023
इस वीडियो को ट्वीट करते हुए इसी तरह के दावे करने वाले यूज़र्स में अमिताभ चौधरी, ‘@siingh777‘ और ‘@PaapiPunyatma‘ शामिल हैं.
ऑल्ट न्यूज़ के व्हाट्सऐप हेल्पलाइन नंबर पर इस वीडियो के फ़ैक्ट-चेक के लिए कई रिक्वेस्ट मिली हैं. फ़ॉरवर्ड किए गए मेसेज में एक लंबा कैप्शन था जिसमें कहा गया था, “आज सुबह साढ़े 10 बजे क्वेस्ट मॉल में…एक विशेष धर्म (जिहादियों) के लगभग 250 स्थानीय झुग्गी निवासी मॉल में ये मांग करते हुए घुस गए कि उन्हें रहने की अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि कोलकाता शहर 43 डिग्री सेल्सियस के तापमान से जूझ रहा है. एक गार्ड द्वारा लिए गए वीडियो पर उन अतिक्रमणकारियों ने आपत्ति जताई जो सूर्यास्त के बाद फ़ूड कोर्ट से मुफ्त खाना और अरमानी, गुच्ची, पॉल स्मिथ आदि से ईद ☪ के लिए मुफ्त उपहार चाहते थे. अवैध कब्जा करनेवालों ने क्वेस्ट मॉल के मॉल प्रबंधक और CESC के मॉल के मालिक श्री संजीव गोयनका को धमकी भी दी. वह कुछ नहीं कर सकते थे क्योंकि पुलिस प्राथमिकी दर्ज़ नहीं कर रही थी और उनके साथ सहयोग नहीं कर रही थी. 👆🏻क्या ये बढ़िया नहीं है !! सेक्युलरिज्म का नतीजा..आज शॉपिंग मॉल है..कल आपका घर होगा.”
स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट
असल में क्या हुआ था, ये जानने के लिए हमने सबसे पहले इस घटना से जुड़ी न्यूज़ रिपोर्ट्स देखी और पाया कि कई मीडिया हाउस ने इस मुद्दे पर रिपोर्ट पब्लिश की थीं. 18 अप्रैल को द टेलीग्राफ़ ने बिजली के ‘सेक्शन लोड से ज़्यादा इस्तेमाल’ के कारण पूरे कोलकाता में बिजली कटौती पर एक रिपोर्ट की. रिपोर्ट में वायरल वीडियो के दो स्क्रीनशॉट्स का कोलाज दिया गया है. और वहीं इस घटना के बारे में में बताया गया है.
द टेलीग्राफ़ के मुताबिक, राधा गोबिंदो साहा लेन और दिलखुशा स्ट्रीट में 16 अप्रैल की शाम से 12 घंटे से ज़्यादा समय तक बिजली नहीं थी. इसके चलते इन इलाके के निवासियों को मॉल के अंदर जाना पड़ा.
द टेलीग्राफ़ की रिपोर्ट में कलकत्ता इलेक्ट्रिक सप्लाई कॉरपोरेशन के कार्यकारी निदेशक अविजीत घोष के हवाले से कहा गया है कि क्वेस्ट मॉल के आसपास के इलाके में 12 घंटे से अधिक समय तक बिजली नहीं थी. उन्होंने मीडिया को बताया, “चूंकि हमारी टीम केबल फ़ॉल्ट की मरम्मत पर काम कर रही थी, सोमवार को सुबह साढ़े 3 से 4 बजे के बीच एक जनरेटर की व्यवस्था की गई और बिजली आपूर्ति के लिए इसे क्षेत्र में इंस्टॉल किया गया. बाद में फ़ॉल्ट को ठीक कर लिया गया और दिन में कनेक्शन बहाल कर दिया गया था.”
अप्रैल के दूसरे और तीसरे हफ़्ते में पश्चिम बंगाल लू की चपेट में था. 16 अप्रैल को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भीषण गर्मी को देखते हुए शैक्षणिक संस्थानों को एक सप्ताह के लिए बंद करने का आदेश दिया था. ऑफ़िशियल आदेश आप यहां पर देख सकते हैं.
झूठा दुर्भावनापूर्ण और बेतुका दावा: क्वेस्ट मॉल उपाध्यक्ष
16 और 17 अप्रैल की दरम्यानी रात क्या हुआ था, ये पता लगाने के लिए ऑल्ट न्यूज़ ने क्वेस्ट मॉल के उपाध्यक्ष संजीव मेहरा से संपर्क किया.
उन्होंने कहा, “करीब 25 स्थानीय लोगों ने आधी रात के आसपास मॉल में प्रवेश किया. उनके इलाके में घंटों बिजली नहीं रहती. वो बस इतना चाहते थे कि हम उनकी शिकायतें सुनें. वो रात 1 बजकर 10 बजे रवाना हुए.”
उन्होंने कहा, “उनका उपहार या मुफ्त खाना के रूप में कुछ भी मांगने का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि मॉल में हर आउटलेट उस समय से पहले ही बंद हो गया था. ये एक बेतुका दावा है. सिर्फ मल्टीप्लेक्स चल रहा था. इंट्री गेट बंद था. एग्जिट गेट खुले थे. उन्होंने इंट्री गेट पर लगे बैरिकेड्स हटाकर अंदर प्रवेश किया.”
उन्होंने आगे कहा, “उनके प्रवेश करने के बाद, मॉल सुरक्षा, मॉल प्रबंधक और कुछ पुलिसकर्मियों ने उनसे बात की और उन्हें जाने के लिए कहा. करीब 40 मिनट बाद वो चले गए. कोई झड़प नहीं हुई थी. हमारे पास CCTV रिकॉर्डिंग में सब कुछ है.”
“उनके द्वारा मॉल या किसी और चीज़ को कोई नुकसान पहुंचाए जाने की कोई रिपोर्ट नहीं है.”
“वो स्थानीय हैं. उस दिन तापमान करीब 42 डिग्री था. बिजली नहीं थी. आपको थोड़ी सहानुभूति रखने की जरूरत है.”
संजीव मेहरा ने आगे कहा कि अगले दिन वो गए और स्थानीय समुदाय के बुजुर्गों से बात की, “मैंने उनसे कहा कि ये हर रोज नहीं हो सकता. और वो मान गए. ये सब सौहार्दपूर्ण ढंग से खत्म हुआ.”
उन्होंने निष्कर्ष के तौर पर बताया, “सोशल मीडिया पर जो दावा किया जा रहा है, उनमें से ज़्यादातर झूठे और दुर्भावनापूर्ण हैं. हमने कोलकाता पुलिस के साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई है. ये मामला अब वो संभाल रहे है.”
क्वेस्ट मॉल के अधिकारियों ने फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम पर दिए गए एक बयान में वायरल कहानी को ‘बढ़ा-चढ़ा कर बताया गया’, ‘भ्रामक’ और ‘प्रेरित’ कहा.
ऑल्ट न्यूज़ ने एक स्थानीय स्टेशनरी दुकान के मालिक से बात की जिनकी दुकान मॉल के पीछे वाली गली में है. उन्होंने हमें बताया, “मेरी दुकान उस समय बंद थी, इसलिए मैं इसका गवाह नहीं हूं. लेकिन अगली सुबह मैंने जो सुना वो ये था कि कुछ स्थानीय युवक रात में सब कुछ बंद होने के बाद मॉल में दाखिल हुए थे. मॉल प्रबंधन और पुलिस के कहने पर वो चले गए. किसी को ये समझना चाहिए कि मॉल के कई सुरक्षा और स्वच्छता कर्मचारी स्थानीय हैं. तो लगभग हर कोई हर किसी को जानता है. कोई झड़प या कुछ भी नहीं हुआ था.”
ऑल्ट न्यूज़ स्वतंत्र रूप से ये वेरीफ़ाई नहीं कर सका कि क्या सभी ‘घुसपैठिए’ मुस्लिम समुदाय से थे.
द इंडियन एक्सप्रेस ने 22 अप्रैल को रिपोर्ट किया कि “एक घटना के बारे में झूठी खबर फ़ैलाने के कथित प्रयासों के खिलाफ पुलिस ने शिकायत दर्ज की थी जिसमें ये दावा किया गया था कि पड़ोस के कुछ युवकों ने 16 अप्रैल को परिसर में दुकानों से खाने और उपहार की मांग की थी.” द टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने कहा कि वायरल दावे में “तनाव को भड़काने के मकसद से जानबूझकर किसी घटना को ग़लत तरीके से पेश किया गया है.” न्यूज़ आउटलेट ETV भारत की एक रिपोर्ट में एक उच्च पुलिस अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि घटना के संबंध में ग़लत सूचना शेयर करने वालों की पहचान की जाएगी.
कहानी कैसे बदल गई
ध्यान देने पर ये मालूम चलता है कि सोशल मीडिया पर वायरल दावों में उस हिस्से को छोड़ दिया गया है जिसमें कहा गया था कि क्षेत्र में लंबे समय तक बिजली कटौती हुई थी जिसके कारण स्थानीय लोग मॉल में घुसे थे. इसके बजाय, ‘लुंगियों द्वारा कब्ज़ा कर लिया गया’, ‘जिहादी’, ‘क्या हम बंगाल खो रहे हैं?‘ जैसे शब्द और वाक्यांश का इस्तेमाल किया गया. घटना को खतरनाक दिखाने के लिए ‘आज ये शॉपिंग मॉल है, कल आपका घर हो सकता है‘ जैसे वाक्य जोड़े गए.
इससे भी ज़रुरी बात ये है कि क्वेस्ट मॉल प्रबंधन के शब्द, मीडिया रिपोर्ट्स, पुलिस के बयान और हमारी ज़मीनी जांच से ये स्पष्ट हो गया कि इस घटना को लेकर किए गए ज़्यादातर दावे झूठे और निराधार थे. झूठे दावों और असली फ़ैक्ट्स को यहां एक तालिका के रूप में पेश किया गया है:
कुल मिलाकर, कोलकाता के क्वेस्ट मॉल के आसपास रहने वाले लगभग 25 लोगों ने 16 और 17 अप्रैल की रात को मॉल में घुसे थे, क्योंकि उनके इलाके में कई घंटों तक बिजली नहीं थी और शहर पहले से ही भीषण गर्मी से जूझ रहा था. मॉल प्रबंधन और स्थानीय पुलिस के अनुरोध पर वो करीब एक घंटे के बाद चले गए. कुछ निराधार दावों और एक सांप्रदायिक ऐंगल के आधार पर, इस घटना के इर्द-गिर्द सोशल मीडिया पोस्ट ने हेटफ़ुल, इस्लामोफ़ोबिक टोन ले लिया.
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