21 जनवरी को सुदर्शन न्यूज़ ने दो वीडियोज़ ट्वीट किये. ये दोनों दरअसल एक ही रिपोर्ट के 2 भाग थे. पहले वीडियो में धरोहर बचाओ समिति का प्रतिनिधित्व करने वाले एक व्यक्ति ने दावा किया कि राजस्थान में देवस्थान विभाग द्वारा एक शिव मंदिर को बंद कर दिया गया और इसके ऊपर एक मज़ार बनाई गई. दूसरे वीडियो में अलग ऐंगल से एक मज़ार के गुंबद को दिखाया गया है. साथ ही वीडियो में ये व्यक्ति राजस्थान में कांग्रेस के नेतृत्व वाली अशोक गहलोत सरकार की आलोचना कर रहा है. आर्टिकल के लिखे जाने तक इस ट्वीट को 5 हज़ार से ज़्यादा लाइक्स और 4 हज़ार के करीब रिट्वीट्स मिले हैं.

ये वीडियो ट्विटर और फ़ेसबुक पर वायरल है.

फ़ैक्ट-चेक

वीडियो को गौर से देखने पर हमें मंदिर का नाम दिखा. इसपर ‘मंदिर श्री लक्ष्मी नारायण जी (बाई जी) लिखा है. ये राजस्थान के जयपुर में है.

Alamy पर मौजूद 29 जनवरी, 2020 की स्टॉक इमेज में मज़ार को साफ तौर पर देखा जा सकता है.

इसके बाद हमने मंदिर का वीडियो ढूंढा जिससे हमें RJ सरोज स्वामी का एक ब्लॉग मिला. वीडियो में 6 मिनट 45 सेकेंड पर मज़ार साफ दिखती है. और साथ ही नीचे लिखा है, ”सैयद चांदी वाले बाबा…”. ये ब्लॉग अक्टूबर 2020 का है.

इसे ध्यान में रखते हुए हमने अपनी जांच आगे बढ़ाई. ऑल्ट न्यूज़ को 5 मार्च, 2017 को अपलोड किया गया एक और वीडियो मिला. ये वीडियो इस मज़ार के अंदर का है. इसमें बताया गया है कि सैयद चांदी वाले बाबा की मज़ार सांप्रदायिक एकता का प्रतीक है. और साथ ही हिंदू और मुस्लिम दोनों प्रार्थना करने के लिए इस ज़गह आते हैं. वीडियो से ये भी पता चलता है कि मज़ार 30-40 साल पुरानी है.

ऑल्ट न्यूज़ ने इस मंदिर के पास दुकान चलाने वाले एक स्थानीय व्यक्ति से संपर्क किया. इस व्यक्ति की उम्र 40 से 50 साल के बीच है. उन्होंने बताया कि वो इस मज़ार को बचपन से जानते हैं.

ऑल्ट न्यूज़ ने जयपुर के पुलिस आयुक्त आनंद श्रीवास्तव से भी बात की. उन्होंने हमारी जांच में सामने आई बातें कंफ़र्म की. और आगे बताया कि मंदिर बंद नहीं है और मज़ार इसलिए मुद्दा बन गया क्योंकि किसी ने इसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी. उन्होंने कहा कि उन्हें ये बात पता नहीं है कि मज़ार के नीचे दिखने वाला दरवाजा बंद क्यों है. साथ ही कहा, “जब तक इसकी तस्वीर वायरल नहीं हुई थी, तब तक लगभग पिछले 30-40 सालों में किसी को भी इससे कोई समस्या नहीं थी.”

सुदर्शन न्यूज़ ने ग़लत सांप्रदायिक दावे को बढ़ावा दिया कि राजस्थान में एक मंदिर को बंद कर दिया गया क्योंकि उसकी ज़गह पर एक मज़ार बनाई गई है. जांच करने पर पता चला कि ये मज़ार लगभग 40 साल से भी ज़्यादा पुरानी है.

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