30 अप्रैल को, खबरें सामने आईं कि भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी 8 मई, 2019 को लंदन में तीसरी ज़मानत अर्जी के लिए अपील करेंगे। इस रिपोर्ट ने उन खबरों का सीधे तौर पर खंडन किया, जो पहले मीडिया के एक हिस्से से निकली थीं। 26 अप्रैल को, कई मीडिया संगठनों ने बताया था कि वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत ने नीरव मोदी की ज़मानत याचिका तीसरी बार खारिज कर दी थी। नीरव मोदी अपनी तीसरी ज़मानत याचिका कैसे लगा सकते हैं, जब 26 अप्रैल को उसे पहले ही खारिज कर दिया गया था?

 

विरोधाभासी रिपोर्ट कोई एक समाचार संगठन तक सीमित नहीं थी। आइए देखें कि कई समाचार संगठनों ने 26 अप्रैल को ब्रेकिंग न्यूज़ के रूप में क्या प्रस्तुत किया था, और उस मामले के तथ्य क्या हैं।

तीसरी ज़मानत याचिका खारिज होने की खबरें

26 अप्रैल को दोपहर 2:47 बजे, न्यूज़18 ने ट्विटर पर इस खबर को ब्रेक किया कि, “यूके सरकार ने नीरव मोदी को ज़मानत देने से इनकार कर दिया, हिरासत 24 मई तक बढ़ाई गई”।

एक मिनट के भीतर, ANI ने बताया कि लंदन की अदालत ने नीरव मोदी की ज़मानत (अर्जी) खारिज कर दी है और मामले में सुनवाई की अगली तारीख 24 मई है।

इसके बाद कई मीडिया संगठनों ने इस खबर को चलाया, कि नीरव मोदी की ज़मानत याचिका तीसरी बार खारिज कर दी गई। इसमें Deccan ChronicleThe Asian age, Republic TV, Money Control, CNBC-TV18TOIBTVI, News 24 India, ET Now, HTN Tiranga TVNDTV, The New Indian Express, The Quint, TV9 Bharatvarsh, ET NOWHindustan TimesZee BusinessThe Indian ExpressMoney Control, Scroll, Business TodayOne India और ABP News शामिल थे। अधिकांश तौर पर यह स्टोरी ANI या PTI से ली गई थी।

प्रवर्तन निदेशालय के आधिकारिक हैंडल से भी ट्वीट किया गया, “आज नीरव मोदी को ज़मानत की सुनवाई के लिए वीडियो लिंक के माध्यम से वेस्टमिंस्टर कोर्ट, लंदन के समक्ष पेश किया गया। उनकी ज़मानत खारिज कर दी गई और न्यायिक हिरासत 24.05.2019 तक अदालत द्वारा बढ़ा दी गई।” -(अनुवाद)

ज़मानत याचिका के तथ्य

नीरव मोदी की कानूनी टीम द्वारा 26 अप्रैल को कोई ज़मानत याचिका दायर नहीं की गई थी। उस दिन मोदी की रिमांड को और 28 दिनों के लिए बढ़ा दिया गया था। हमने Hindustan TimesIndia Today, TOI और The Hindu के लंदन संवाददाताओं की रिपोर्टों से इसकी पुष्टि की। लंदन के एक संवाददाता, नाओमी कैंटन, जो टाइम्स ऑफ इंडिया के लिए रिपोर्ट करती हैं, ने गलत सूचना के इस मामले की ओर ध्यान दिलाया था।

30 अप्रैल को प्रकाशित टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, 1976 के ज़मानत अधिनियम के तहत, अदालती मामलों में अनुरोधित व्यक्ति (ब्रिटेन में) केवल दो बार ज़मानत के लिए आवेदन कर सकते हैं। नीरव मोदी की कानूनी टीम पहले ही 20 मार्च और 29 मार्च को अपने लिए उपलब्ध ज़मानत आवेदन के दो अवसर समाप्त कर चुकी थी। तीसरी बार ज़मानत की अर्जी तभी अदालत में लगाई जा सकती है जब परिस्थिति में बदलाव साबित हो जाए। 8 मई को, मोदी द्वारा न्यायाधीश के समक्ष सुनवाई में नए आधार का हवाला दिए जाने की संभावना है।

ऑल्ट न्यूज़ ने मामले के तथ्य को सत्यापित करने के लिए यूके की शाही अभियोजन सेवा / क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (CPS) से संपर्क किया। जवाबी ईमेल में, CPS प्रेस अधिकारी, यासर महमूद ने कहा, “उन्होंने [नीरव मोदी] निचली अदालत में अपनी 2 ज़मानत याचिकाएं दी थीं। वह केवल एक तीसरा आवेदन कर सकते हैं यदि वह अदालत को यक़ीन दिला सकें कि परिस्थितियों में बदलाव आया है। वह नए सबूतों के आधार पर परिस्थितियों में बदलाव का तर्क दे रहे हैं। अगली सुनवाई 8 मई को दोपहर 2 बजे होगी। 8 मई को उन्हें न्यायाधीश को यक़ीन दिलाने के लिए कहना होगा कि यह परिस्थितियों में परिवर्तन है और उन्हें एक और ज़मानत आवेदन करने की अनुमति दी जानी चाहिए।”

किसने रखी सही खबर?

कई मीडिया संगठनों ने बताया कि नीरव मोदी की ज़मानत याचिका खारिज कर दी गई। मगर, टाइम्स नाउ और मिरर नाउ तथ्यों के साथ खड़े थे। दोपहर 2:54 बजे, टाइम्स नाउ के रिपोर्टर ने एक प्रसारण में कहा, “उन्होंने [नीरव मोदी] कोई ज़मानत याचिका नहीं दी, अदालत ने ज़मानत याचिका नहीं ली थी।” विडंबना यह है कि हिंदुस्तान टाइम्स, और इंडिया टुडे, जिन्होंने बाद में सटीक रिपोर्ट दी कि मोदी द्वारा कोई ज़मानत याचिका नहीं लगाई गई थी, उन्होंने पहले ट्वीट किया था और दूसरे रूप में खबर की थी कि तीसरी ज़मानत याचिका खारिज कर दी गई।

मुख्यधारा मीडिया का एक वर्ग, जिसने 26 अप्रैल को रिपोर्ट की थी कि नीरव मोदी की तीसरी ज़मानत अर्जी खारिज कर दी गई, उन्होंने भी 30 अप्रैल को रिपोर्ट प्रकाशित की कि मोदी ज़मानत के लिए तीसरी बार आवेदन करेंगे। नीरव मोदी के कस्टोडियल रिमांड के विस्तार को ज़मानत याचिका के संदर्भ में, जो नीरव मोदी ने दाखिल ही नहीं की, गलत तरीके से पेश किया गया।

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About the Author

Jignesh is a writer and researcher at Alt News. He has a knack for visual investigation with a major interest in fact-checking videos and images. He has completed his Masters in Journalism from Gujarat University.