भारत में इंटरनेट के बढ़ते उपयोग के साथ सोशल मीडिया विज्ञापनों का भी व्यापक उदय हुआ है. एक ओर, कंपनियाँ कस्टमर्स को प्रभावित करने के लिए सोशल मीडिया विज्ञापनों का लाभ उठा रही हैं और राजनीतिक दल व नेता जनता से जुड़ने के लिए इन प्लेटफार्मों का उपयोग कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ, इसके दुरुपयोग ने धोखेबाजों के लिए आम लोगों को ठगने के नए रास्ते भी खोल दिए हैं.

ऑल्ट न्यूज़ लगातार सोशल मीडिया पर, खासकर मेटा जैसे प्लेटफॉर्म पर, राजनीतिक विज्ञापनों की निगरानी कर रहा है. हमने कई रिपोर्टों में ऐसे विज्ञापनों द्वारा चुनाव आयोग के नियमों के उल्लंघन, मेटा की कम्यूनिटी गाइड्लाइंस के उल्लंघन और प्रॉक्सी पेजों के माध्यम से आक्रामक विज्ञापन सहित कई उल्लंघनों का खुलासा किया है.

इसी साल मेटा ने वित्तीय स्कैम से जुड़े 23,000 से अधिक फ़ेसबुक पेज और अकाउंट हटा दिए. मेटा प्लेटफॉर्म पर विज्ञापनों की निगरानी करते समय, हमें तीन ऐसे फेसबुक पेज (‘BJP INDIA‘, ‘Yojana 5000‘ और ‘Innam 5000‘) मिले जो मेटा विज्ञापनों के माध्यम से फेसबुक और इंस्टाग्राम पर संदिग्ध विज्ञापन चला रहे थे.

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इन विज्ञापनों में भारत की सत्तारूढ़ दल, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का नाम, उसका लोगो और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरें प्रमुखता से इस्तेमाल की गई हैं. ये विज्ञापन कई कथित योजनाओं का प्रचार करते हैं जो वित्तीय लाभ देने का दावा करती हैं, और इनके साथ लुभावने संदेश भी दिए गए हैं, उदाहरण के लिए:

“पूरी भारत की जनता को भाजपा की तरफ से 5000 का इनाम”

“गेट ऑफर बटन पर क्लिक करें और 5000 जीतें”

“बटन पर क्लिक करें और 5000 जीतने का मौका पाएं”

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इनमें से कई विज्ञापनों पर क्लिक करने से ये यूज़र्स को एक नकली वेबपेज पर ले जाता है, जहां एक स्क्रैच कार्ड भाजपा के लोगो और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर के साथ मौजूद है और यह दावा किया जाता है कि ‘जन धन योजना‘ के माध्यम से जनता के अकाउंट में 5000 रुपये डाले जाएंगे. वहीं कुछ वेबपेज को डिजिटल इंडिया और भारत सरकार के लोगो के साथ नरेंद्र मोदी की तस्वीर और भाजपा का लोगो मौजूद होता है, जहां ‘मुद्रा योजना‘ के माध्यम से सभी के खाते में 1999 रुपये डालने का दावा किया जाता है. इसके साथ ही इसके एक लिंक मौजूद होता है, जिसके बारे में दावा किया जाता है कि यहाँ क्लिक करने पर पैसे खाते में भेजे जाएंगे.

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इन विज्ञापनों की जाँच करने पर, हमें पता चला कि इनमें एक लिंक मौजूद है जिसपर क्लिक करने पर यह रीडायरेक्ट होकर यूज़र्स को फ़ोन पे, पेटीएम और गूगल पे जैसे यूपीआई ऐप पर ले जाता है. इन पर क्लिक करने से यूज़र्स UPI एप्स में पेमेंट का रीक्वेस्ट करने वाले पेज पर पहुँच जाते हैं. उदाहरण के लिए, जब हमने किसी विज्ञापन में दिए गए लिंक पर क्लिक किया, तो वह हमें फ़ोनपे ऐप पर रीडायरेक्ट कर दिया गया, जहाँ ₹991.67 का पेमेंट करने का रीक्वेस्ट किया गया. यानी, 5000 का लालच देकर आपसे 991 रुपये ठगने का पूरा प्लान किया गया है. 

डिजिटल पेमेंट की सुविधा का यह दुरुपयोग एक बड़ा जोखिम पैदा करता है, क्योंकि अनजान यूज़र्स आसानी से इन धोखाधड़ी वाली योजनाओं का शिकार हो सकते हैं. इन विज्ञापनों से जुड़ा मुख्य जोखिम वित्तीय नुकसान की संभावना है, क्योंकि ये यूज़र्स को विश्वास दिलाते हैं कि वे सचमुच किसी ऑफ़र में भाग ले रहे हैं. इससे न केवल व्यक्तिगत वित्तीय नुकसान हो सकता है, बल्कि इससे ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म और डिजिटल पेमेंट सिस्टम के बारे में लोगों के बीच भ्रम की स्थिति भी पैदा हो सकती है, जिससे लोगों का असली सरकारी योजनाओं में विश्वास कम हो सकता है.

इन संदिग्ध विज्ञापनों में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसी जानी-मानी हस्ती का इस्तेमाल, लोगों के बीच विश्वास और सुरक्षा का एक झूठा एहसास पैदा कर सकता है, जिससे लोगों के धोखाधड़ी का शिकार होने की संभावना और भी बढ़ जाती है. नतीजतन, इससे सरकारी कार्यक्रमों की वैधता को लेकर जनता में संदेह पैदा हो सकता है, क्योंकि लोगों को डर हो सकता है कि वे किसी धोखाधड़ी वाली योजना का हिस्सा हैं, जिससे शासन में विश्वास कम हो सकता है.

इसके अलावा, इन धोखाधड़ी वाले विज्ञापनों में सत्तारूढ़ दल का नाम शामिल होने से, जैसे कि “BJP INDIA” नामक पेज के माध्यम से चलाए जा रहे धोखाधड़ी वाले विज्ञापन, राजनीतिक दलों के प्रति लोगों में अविश्वास पैदा हो सकता है और आम जनता के बीच उनके खिलाफ दुष्प्रचार को बढ़ावा मिल सकता है.

इन पेजों को मॉनिटर करते समय, हमने पाया कि मेटा द्वारा अपने विज्ञापन मानकों का उल्लंघन करने के कारण कई विज्ञापन हटा दिए गए थे. हालाँकि, यह चिंताजनक है कि इन पेजों के खिलाफ मेटा की निरंतर कार्रवाई के बावजूद, वे फेसबुक और इंस्टाग्राम पर विज्ञापन चलाने में सक्षम हैं और इसे चलाना जारी रख रहे हैं, जो विज्ञापन की मॉनीटरिंग और अप्रूवल के मौजूदा तंत्र की विफलता को दर्शाता है. यह स्थिति मेटा प्लेटफ़ॉर्म पर विज्ञापनों की गहन जाँच की तत्काल आवश्यकता को दर्शाती है, क्योंकि वर्तमान वेरीफिकेशन प्रोसेस धोखाधड़ी वाले विज्ञापनों को प्रसारित होने से रोकने में अपर्याप्त प्रतीत होती हैं. यूज़र्स को धोखाधड़ी से बचाने के लिए मेटा को सख्त दिशानिर्देश और अधिक मजबूत वेरीफिकेशन प्रोसेस की ज़रूरत है.

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मेटा के नियमों के अनुसार, सामाजिक मुद्दों, चुनावों या राजनीति से संबंधित विज्ञापन देने वाले विज्ञापनदाताओं को यह बताना आवश्यक है कि विज्ञापन का भुगतान किसने किया है. यह डिसक्लेमर विज्ञापन के डिटेल्स में शामिल होता है, जिसमें विज्ञापनदाता के फोन नंबर, ईमेल, पता आदि जानकारी मौजूद होती है. हमने इन पेजों के डिसक्लेमर में दिए गए फ़ोन नंबरों पर संपर्क करने का प्रयास किया तो पाया कि सभी नंबर बंद थे.

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ऑल्ट न्यूज़ ने इन 3 पेजों के विज्ञापन का डाटा एनालाइज़ किया और पाया कि इन पेजों ने धोखाधड़ी वाले विज्ञापनों पर लगभग 10 लाख रुपये खर्च किए हैं और इन विज्ञापनों को लगभग 4 करोड़ बार देखा जा चुका है. इन पेजों का एवरेज डाटा नीचे दिए शीट में मौजूद है.

  Page   Avg Impressions   Avg spent
  BJP INDIA   9053916   ₹240216
  Yojana 5000   9894479   ₹223028
  Innam 5000   22476871   ₹567921

(यह डाटा 28 जुलाई 2025 को मेटा एड लाइब्रेरी में इन पेजों से एक्सपोर्ट किए गए डाटा का औसत आंकड़ा है, और यह मेटा एड लाइब्रेरी के वेब वर्जन में दिख रहे डाटा से अलग हो सकता है.)

इन घोटालों की गंभीर प्रकृति को देखते हुए, एक व्यापक साइबर अपराध जाँच आवश्यक है. विज्ञापनों के डिसक्लेमर में दिए गए फ़ोन नंबर और ईमेल जाँच एजेंसियों के लिए महत्वपूर्ण सुराग प्रदान कर सकते हैं. इन घोटालों से जुड़े वित्तीय लेनदेन का पता लगाकर, अधिकारी इन धोखाधड़ी गतिविधियों के लिए ज़िम्मेदार व्यक्तियों या समूहों की पहचान कर सकते हैं. जाँच एजेंसियों को इन घोटालों से जुड़े धन के प्रवाह को ट्रैक करने के लिए UPI ऐप्स के लेनदेन डेटा की जाँच करनी चाहिए, जिससे अपराधियों को पकड़ा जा सकता है.

मेटा की कम्यूनिटी गाइड्लाइंस के उल्लंघन से लेकर विज्ञापनों द्वारा चुनाव आयोग के नियमों के उल्लंघन पर ऑल्ट न्यूज़ की रिपोर्ट्स:

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Abhishek is a senior fact-checking journalist and researcher at Alt News. He has a keen interest in information verification and technology. He is always eager to learn new skills, explore new OSINT tools and techniques. Prior to joining Alt News, he worked in the field of content development and analysis with a major focus on Search Engine Optimization (SEO).