कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के कारण भारत समेत कई देश लॉकडाउन की मार झेल रहे हैं. लॉकडाउन और संक्रमण के चलते देश कई मुश्किलों से गुज़र रहा है. इनमें वित्तीय आपदा भी शामिल है. इसी के चलते कई लोग पीएम मोदी रिलीफ़ फ़न्ड या पीएम केयर्स फ़न्ड में पैसे डोनेट कर रहे हैं.

इसी दौरान सोशल मीडिया में बड़े-बड़े उद्योगपतियों द्वारा फ़न्ड दिए जाने के मेसेजेज़ वायरल हैं. ऐसा ही एक दावा सोशल मीडिया में यूके के दैनिक अखबार ‘न्यूज़ लेटर’ की क्लिपिंग के साथ शेयर हो रहा है. क्लिपिंग में खबर है कि मौलाना साद ने पीएम मोदी रिलीफ़ फ़न्ड में 1 करोड़ रुपये डोनेट किये हैं. मेसेज में बताया गया है कि जब मौलाना से डोनेशन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि इस्लाम डोनेट कर उसके दिखावे की इजाज़त नहीं देता है. बता दे कि मौलाना साद का पूरा नाम मौलाना मोहम्मद साद कांधलवी है और वे तबलीग़ी जमात भारतीय उपमहाद्वीप में सुन्नी मुसलमानों के सबसे बड़े संगठन तबलीग़ी जमात के संस्थापक मुहम्मद इलियास कंधलावी के परपोते हैं. मौलाना साद ने तबलीग़ी जमात के तहत दिल्ली के निज़ामुद्दीन में मार्च महीने में एक बड़ा धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किया था. इसके बाद उससे जुड़े हुए कई लोगों के कोरोना वायरस के टेस्ट पॉज़िटिव आए थे. मौलाना साद के खिलाफ़ इसके बाद शिकायत भी दर्ज़ की गई थी हालांकि वो इससे पहले ही फ़रार हो चुके थे.

इसके अलावा तस्वीर के दाएं कोने में अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन द्वारा 1,125 करोड़ रुपये डोनेट करने की खबर छपी है. अखबार के बाएं हिस्से में मौलाना की खबर के ठीक ऊपर 30 मार्च 2020 की तारीख दिख रही है. असगर कुरैशी नाम के एक यूज़र ने ये तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा -“मौलाना साद साहब ने 28 मार्च को 1 करोड़ रुपये PM रिलीफ फंड में दिए हैं, जब उनसे पूछा गया कि आपने ये बात सबको क्यो नही बताई तो उन्होंने जवाब कि “इस्लाम दान को दिखावे की इजाजत नही देता” (ट्वीट का आर्काइव लिंक)

ये तस्वीर ट्विटर और फ़ेसबुक पर इसी मेसेज के साथ खूब वायरल है.

ऑल्ट न्यूज़ के ऑफ़िशियल ऐप पर भी इस तस्वीर की असलियत जानने के लिए कई रीक्वेस्ट मिलीं.

फ़ैक्ट-चेक

वायरल अखबार की क्लिपिंग में मौलाना साद की खबर के ठीक नीचे एक और खबर छपी हुई है. इसकी हेडलाइन को गूगल पर ज्यों का त्यों सर्च करने से हमें ‘बीबीसी’ की 6 जून 2019 की एक रिपोर्ट मिली. रिपोर्ट में ‘न्यूज़ लेटर’ अखबार की तस्वीर शेयर की गई है. हमने पाया कि ‘बीबीसी’ रिपोर्ट में शेयर हुई तस्वीर और वायरल तस्वीर में कुछ चीज़ें एक जैसी ही हैं लेकिन कहीं पर दोनों के बीच अंतर भी दिख रहा है. इन्हें नीचे शेयर की गई तस्वीरों में देखा जा सकता है. दोनों के बीच की समानता को हरे रंग से जबकि असमानता को लाल रंग से पॉइंट-आउट किया गया है.

वायरल तस्वीर में खबर के ठीक ऊपर बाएं कोने में अखबार के नाम के नीचे तारीख दी गई है लेकिन ‘बीबीसी’ में पब्लिश हुई क्लिपिंग में तारीख अख़बार के नाम के ऊपर की पट्टी में छपी हुई है. इन्हें ऊपर हरे रंग के तीर के निशान से दिखाया गया है. ‘बीबीसी’ रिपोर्ट में शेयर हुई ‘न्यूज़ लेटर’ की क्लिपिंग में 6 जून 2019 की डेट साफ़ दिखाई देती है.

इस तरह 6 जून 2019 के ‘न्यूज़ लेटर’ अखबार की तस्वीर को एडिट कर उसमें मौलाना साद द्वारा कोरोना वायरस संक्रमण के चलते पीएम रिलीफ़ फ़न्ड में 1 करोड़ रुपये दान देने की झूठी खबर शामिल की गई. सोशल मीडिया में इस एडिट की हुई अखबार क्लिपिंग को शेयर किया गया जिससे इसे देखने वाले लोगों को लगे कि अख़बार में छपी ये खबर सही ही है. पहले भी कोरोना वायरस के संक्रमण से लड़ने के लिए विप्रो फाउन्डर अज़ीम प्रेमजी द्वारा 50 हज़ार करोड़ देने की ग़लत खबर शेयर हुई थी.

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About the Author

Kinjal Parmar holds a Bachelor of Science in Microbiology. However, her keen interest in journalism, drove her to pursue journalism from the Indian Institute of Mass Communication. At Alt News since 2019, she focuses on authentication of information which includes visual verification, media misreports, examining mis/disinformation across social media. She is the lead video producer at Alt News and manages social media accounts for the organization.