सोशल मीडिया पर मंदिर की तरह दिखने वाली एक स्ट्रक्चर की तस्वीर अलग-अलग कैप्शन के साथ वायरल है. मंदिर जैसी दिखने वाली इस स्ट्रक्चर के ऊपर एक गुंबद है. कैप्शन के मुताबिक, ये एक मंदिर था जिसे बाद में मस्जिद बना दिया गया था.
भाजपा सदस्य सुरेंद्र पूनिया ने ये तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा, “मुगलों और बाकी इनवेडर्स का आर्कीटेक्चर इतना बेजोड़ और विचित्र था कि उन्होंने जो भी बनाया, उसके बेसमेंट में हमेशा मंदिर रखा.” सुरेंद्र पूनिया ने ये तस्वीर इस कांस्पिरसी के संदर्भ से ट्वीट की कि ताजमहल के तहखाने के कथित 22 कमरों में हिंदू मूर्तियां बंद है.
मुग़लों और बाक़ी Invaders का Architecture इतना बेजोड़ और विचित्र था क़ि उन्होंने जो भी बनाया उसके Basement में हमेशा मंदिर ही रखा #KnowYourHistory pic.twitter.com/wnh5abDmp4
— Major Surendra Poonia (@MajorPoonia) May 16, 2022
ट्विटर यूज़र @SujinEswar1 और @Chetankumar_111 ने ये तस्वीर इस दावे के साथ ट्वीट की कि चित्तौड़ के एक हिंदू मंदिर को मुगलों ने मस्जिद में बदल दिया था.
Stunningly beautiful walls…with an ugly looking dome !
This is an old Hindu temple in Chittor converted into a mosque by Mughals … Will any Historian highlight this ????#GyanvapiMosque #TajMahal pic.twitter.com/6wdoE8ETcy
— Dr. Sujin Eswar 🇮🇳 (@SujinEswar1) May 9, 2022
Stunningly beautiful walls…with an ugly looking dome !
This is an old Hindu temple in Chittor converted into a mosque by Mughals … Will any Historian highlight this ????#GyanvapiMosque #TajMahalControversy pic.twitter.com/tc3I6qJDXJ
— Chetankumar Prajapati Official 🇮🇳 (@Chetankumar_111) May 13, 2022
ये तस्वीर इसी दावे के साथ ट्विटर और फ़ेसबुक पर साल 2020 से शेयर की जा रही है.
Stunningly beautiful walls…with an ugly looking dome !
This is an old Hindu temple in Chittor converted into a mosque by Mughals … Will any Historian highlight this ???? pic.twitter.com/k94EASx31m
— Rishi Bagree (@rishibagree) August 4, 2020
फ़ैक्ट-चेक
ऑल्ट न्यूज़ ने इस तस्वीर का गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया. हमारे सामने 2011 का एक फ़ोरम आया. इसमें सुदीप्तो रे ने कोलकाता से राजस्थान की अपनी सेल्फ़-ड्राइविंग ट्रिप की तस्वीरें पब्लिश कीं थीं. सुदीप्तो ने अपने पोस्ट में वायरल तस्वीर के साथ लिखा, “साफ़ तौर पर एक मंदिर, जिसे मस्जिद में बदल दिया गया.”
वायरल तस्वीर से पहले की तस्वीरों में भी यही बताया गया है कि ये चित्तौड़ की थी. इसे ध्यान में रखते हुए हमने गूगल पर सर्च किया. और हमें Alamy पर ऐसी ही एक तस्वीर मिली. Alamy पर मौजूद जानकारी के अनुसार, ये तस्वीर राजस्थान के चित्तौड़गढ़ किले के रतन सिंह पैलेस में मौजूद एक पुराने मंदिर की है.
आगे, ऑल्ट न्यूज़ ने दुबारा की-वर्ड्स सर्च किया. हमें एक और तस्वीर मिली जिसमें मंदिर के सामने का हिस्सा दिखता है. कैप्शन के मुताबिक, ये चित्तौड़गढ़ किले का एक पुराना शिव मंदिर था. फिर से एक गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर हम विकिपीडिया तक पहुंचे. इसके अनुसार, इस मंदिर का नाम “श्रृंगार चौरी” है.
गूगल अर्थ प्रो का इस्तेमाल करके हमने इन निर्देशांकों 24°53’33.06″N, 74°38’40.47″E पर मंदिर की भौगोलिक स्थिति देखी. मंदिर के आगे और पीछे दोनों तरफ सड़क का नज़ारा दिखता है.
हमें ASI की जोधपुर सर्कल वेबसाइट पर श्रृंगार चौरी मंदिर की एक तस्वीर भी मिली.
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) की वेबसाइट पर मौजूद ASI का एक ऑफ़िशियल डॉक्यूमेंट मिला. इसके मुताबिक, ‘श्रृंगार चौरी’ एक जैन मंदिर है. इसे महाराणा कुंभा के कोषाध्यक्ष कोला के पुत्र वेलाका ने 1448 में बनाया था.
“भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण: रिपोर्ट ऑफ़ ए टूर इन द पंजाब एंड राजपूताना इन 1883-84, नामक किताब में “खंड XXIII” में लेखक A. कनिंघम ने लिखा है, “गोदाम और गढ़ के बीच में एक नक्काशीदार पत्थर का मंदिर है जिसे अब श्रृंगार-चौरी कहा जाता है…इसे राणा कुंभा के जैन कोषाध्यक्ष ने बनवाया था.” इससे पता चलता है कि किसी समय में मंदिर को स्थानीय लोग अलग नाम से जानते थे.
ये भी ध्यान रखना ज़रूरी है कि इस एरिया में कई मंदिर हैं जिनके उपरी हिस्से में गुंबद हैं. ऐसा लगता है इस इलाके में मंदिरों के ऊपर गुंबद एक आम बात है.
ऑल्ट न्यूज़ ने प्रोफ़ेसर MK पुंधीर से संपर्क किया जो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में इतिहास विभाग में मध्यकालीन पुरातत्व के विशेषज्ञ हैं. उन्होंने कहा, “जब भी कोई किले पर कब्ज़ा करता था, तो वो उसे तुड़वा देता था. इसके बावजूद, इस बात का कोई सबूत नहीं है कि श्रृंगार चौरी मंदिर के ऊपर एक गुंबद बनाकर मस्जिद में बदल दिया गया था. इसके अलावा, अगर ये विदेशी शक्ति का प्रतीक होता तो राजपूत जब भी कब्ज़ा करते तो गुंबद तुड़वा देते.”
ऑल्ट न्यूज़ ने पं. शोभालाल शास्त्री द्वारा संकलित 1928 में प्रकाशित किताब ‘चित्तौड़गढ़’ भी देखी. किताब में श्रृंगार चौरी का एक सेक्शन है जिसमें बताया गया है कि मंदिर मूल रूप से राजा रतन सिंह ने 1277 में बनवाया था. लेकिन चित्तौड़ की पहली घेराबंदी (1303) में इसे तोड़ दिया गया था. 1448 में कोषाध्यक्ष वेलाका द्वारा फिर से इसे बनवाया गया. इसका कोई ज़िक्र नहीं है कि इसे मस्जिद में बदल दिया गया था.
कुल मिलाकर, श्रृंगार चौरी मंदिर को मस्जिद में बदलने का दावा पूरी तरह निराधार है. ये दावा उन कांस्पिरेसिज़ का हिस्सा है जिसके मुताबिक, पूरे भारत में प्राचीन हिंदू संरचनाओं को विदेशी शक्तियों ने उजाड़ दिया और उनके ऊपर मस्जिदें बनाई गई.
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