सोशल मीडिया यूज़र्स एक तस्वीर शेयर करते हुए दावा कर रहे हैं कि अयोध्या में सड़क निर्माण कार्य के दौरान 5 हज़ार साल पुराना मंदिर मिला है. तस्वीर में निर्माण कार्य और कुछ पुराने मंदिर नज़र आ रहे हैं. ये दावा इसी साल जून में भी वायरल था. एक बार फिर यूज़र्स इसी तस्वीर को शेयर करते हुए लिख रहे हैं, “अयोध्या में सड़क चौड़ा करने के दौरान ये 5,000 साल पुराना मंदिर मिला-“राम जन्मभूमि.” स्थानीय लोगों ने इन मंदिरों के ऊपर घर बसाये हुए थे जो इतने समय से ढके हुए थे. स्रोतों के मुताबिक आने वाले समय में अभी और मंदिर निकाले जायेंगे.”

This is told to be 5000 years old temple dis”Covered” while road widening in Ayodhya – “The Ram Janma Bhoomi”. Locals…

Posted by Aman Anand on Friday, December 18, 2020

ये दावा जून से ही वायरल है. कई ट्विटर यूज़र्स पहले भी इसे शेयर कर चुके हैं.

कई अन्य फे़सबुक और ट्विटर यूज़र्स ने तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि ये बनारस की ही तस्वीर है जहां काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए बन रही सड़क के बीच कई मंदिर निकल रहे हैं.

Many Temples were encroached/hidden/non-functional in the city of Varanasi where Lord Vishwanath resides. They are…

Posted by Navin Kumar Keerthi Prakash on Thursday, December 17, 2020

फ़ैक्ट चेक

जब हमने इस तस्वीर का यांडेक्स पर रिवर्स इमेज सर्च किया तो हमें CNBC की 13 मई, 2019 की एक रिपोर्ट मिली जिसमें पब्लिश की गयी एक तस्वीर वायरल तस्वीर से मिलती जुलती है. CNBC की ये रिपोर्ट बनारस में बन रहे काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण पर है. इसमें कॉरिडोर के निर्माण के लिए स्थानीय निवासियों के घर तोड़ने और वहां से लोगों को हटाये जाने के बारे में लिखा गया है. रिपोर्ट में इस मौके की कई अन्य तस्वीरें भी पब्लिश की गयी हैं.ध्यान से देखने पर दोनों तस्वीरों में दिख रहे मंदिर एक ही जैसे मालूम होते हैं.

यूट्यूब पर जब हमने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर पर वीडियो रिपोर्ट्स ढूंढी तो न्यूज़ क्लिक का 18 मई, 2019 का एक वीडियो मिला जिसमें इस निर्माण कार्य से स्थानीय लोगों पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बात की गयी है. इस वीडियो में 2 मिनट 50 सेकंड पर जो विज़ुअल नज़र आता है, उसे ध्यान से देखने पर साफ़ होता है कि वायरल तस्वीर वहीं की है.

नीचे वीडियो से लिए गए विज़ुअल और तस्वीर में मंदिरों के अलावा टॉवर, पीछे एक अन्य छोटा मंदिर, आस-पास के घर और खिड़कियां देखीं जा सकती हैं. इसके अलावा न्यूज़ क्लिक के वीडियो में दो बोर्ड्स नज़र आते हैं जहां हिंदी और अंग्रेज़ी में ‘विश्वनाथ धाम में आपका स्वागत है’ लिखा हुआ है. दोनों तस्वीरें अलग-अलग समय पर ली गयी हैं इसलिए निर्माण कार्य में फ़र्क देखा जा सकता है.

इसके अलावा, अमर उजाला ने भी 5 जनवरी, 2019 को कॉरिडोर के निर्माण कार्य की शुरुआत के बारे में एक रिपोर्ट पब्लिश की थी जिसमें दिख रही तस्वीर वायरल तस्वीर से काफ़ी मिलती है. पाठक गौर करें कि अमर उजाला ने अपनी रिपोर्ट में 15 जनवरी, 2019 से निर्माण कार्य शुरू होने की बात बताई है.

इस रिपोर्ट में वहां स्थानीय मकानों के अधिग्रहण और विस्थापन के तहत कई मकानों को ढहाए जाने वाली तस्वीर दिखाई गयी है.

ऑल्ट न्यूज़ ने इस निर्माण कार्य को कवर करने वाले एक पत्रकार तरुण प्रताप सिंह से बात की. उन्होंने हमें बताया, “यहां लोग कई साल से रहने वाले हैं और उनके पास ज़मीन के कोई कागज़ नहीं हैं. लोगों का परिवार जैसे-जैसे बड़ा हुआ, उन्होंने मंदिर को घेरकर ही घर बनाना शुरू किया और इमारतें ऊंची होतीं गयीं, ये मंदिर छिपते चले गए. तोड़ फोड़ के बाद ये सामने आ रहे हैं. सब मंदिर वर्षों से वहां बने थे जिन्हें घर बना-बनाकर घेर लिया गया था.”

हमने श्री काशी विश्वनाथ स्पेशल एरिया डेवेलपमेंट बोर्ड (SKVSADB) के सीईओ सुनील वर्मा से भी बात की और उन्होंने भी इस बात की पुष्टि की. उन्होंने कहा, “ये मंदिर लोगों के घरो में थे जहां लोग व्यक्तिगत पूजा-पाठ करते थे. अब भवन तोड़े गए हैं तो ये ओपन हो गया है, पहले मालिक ही पूजा करते थे.”

नीचे तस्वीर में मंदिर के आस-पास तोड़-फोड़ के बाद का मंज़र दिख रहा है. ये तस्वीर वायरल हो रही तस्वीर से मेल खाती है.

कई यूज़र्स ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण कार्य से जुड़ी तस्वीरों को शेयर करते हुए ये ग़लत दावा किया कि अयोध्या में सड़क चौड़ीकरण के दौरान ‘ढका हुआ’ 5000 साल पुराना मंदिर मिला. वहीं बहुत सारे अन्य यूज़र्स ने लिखा कि तस्वीर काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण कार्य के दौरान आस-पास से निकाले गये मंदिरों की है. ये दूसरा दावा सच है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, बनारस के ललिता घाट, जलासेन घाट और मणिकर्णिका घाट को जोड़ने वाले इस कॉरिडोर प्रोजेक्ट के दौरान रास्तों के बीच संकरी गलियों में बने मकानों को तोड़ने पर कई मंदिर सामने आ गए हैं. कई मकान मंदिर को घेर कर बनाये गये और उनका निजी इस्तेमाल हो रहा था, जिनके टूटने के बाद मंदिर सार्वजिक हो चुके हैं.


नरेंद्र मोदी और जशोदाबेन की नहीं बल्कि पूर्व मंत्री की बेटी की शादी के मौके की है ये तस्वीर

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