हाल ही में फ़्रेंच टीचर की हत्या पर राष्ट्रपति एमेनुएल मैक्रों के बयान के बाद कई इस्लामिक देश उनका विरोध कर रहे हैं. फ़्रांस में एक टीचर सेमुएल पैटी ने कक्षा को अभिव्यक्ति की आज़ादी पढ़ाने के दौरान पैगम्बर मोहम्मद पर एक विवादित कार्टून दिखाया था जिसके बाद 18 वर्षीय अब्दुलाख अन्ज़ोरोव ने उनकी हत्या कर दी थी. इसी सन्दर्भ में ट्विटर और फे़सबुक पर दो वीडियो शेयर किये जा रहे हैं और कैप्शन है, “सड़कें कारों के लिए है, प्रार्थना करने के लिए नहीं.” यूज़र्स प्रदर्शन कर रहे मुस्लिम समुदाय के लोगों के खिलाफ़ पुलिस की कार्रवाई की वाहवाही कर रहे हैं.

वीडियो 1: वॉटर कैनन चलाते टैंक्स

ट्विटर यूज़र @dharmicverangna ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “फ़्रेंच पुलिस ने युक्सेकोवा की सड़कें खाली कराने के लिए वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया. सड़कें कारों के लिए है, प्रार्थना करने के लिए नहीं. #CharlieHebdo #hypocriteErdogan #MacronApologizeToMuslims.” इस वीडियो को करीब 1.5 लाख लोगों ने देखा. (आर्काइव लिंक)

इसी तरह, ट्विटर यूज़र @YamrajFromHell ने भी ये वायरल वीडियो पोस्ट किया. इसे करीब 50,000 बार देखा गया (आर्काइव लिंक). इस अकाउंट को ऑफ़िस ऑफ़ आरके सिंह फॉलो करता है. आरके सिंह भाजपा सदस्य और बिजली और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री हैं.

फै़क्ट-चेक

यांडेक्स पर इसका रिवर्स इमेज सर्च करने पर ऑल्ट न्यूज़ को @KurtlerKimdir (मतलब- कुर्द कौन हैं?) का एक ट्वीट मिला जिसमें ऐसे ही विज़ुअल हैं.

इस ट्वीट में 4 तस्वीरें हैं, इनमें से एक तस्वीर वायरल वीडियो के विज़ुअल से हुबहू मिलती है.

टर्की की न्यूज़ वेबसाइट ‘Yüksekova Haber Portalı’ ने ये वायरल वीडियो यूट्यूब पर 2012 में अपलोड किया था. इसका डिस्क्रिप्शन टर्किश भाषा में है जो कहता है, “इस घटनाक्रम ने हक्कारी के युक्सेकोवा में ‘सिविल फ़्राइडे प्रेयर्स’ के दौरान प्रार्थना करने वालों के लिए परेशानी खड़ी कर दी.”

टर्किश अख़बार हबेरतुर्क ने 2012 में रिपोर्ट किया था कि युक्सेकोवा में पुलिस ट्रैफिक ब्लॉक करने वाले छात्रों को हटाने आई थी. उस साल, कुर्दिश अधिकारों के लिए राजनीतिक कैदी भूख हड़ताल कर रहे थे और कुछ समय बाद नागरिक भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गये. ओल्ड प्रिज़न जंक्शन, जहां फ़्राइडे सिविल प्रेयर्स हो रही थीं, पुलिस ने गैस बम का इस्तेमाल किया. इस रिपोर्ट में कई तस्वीरें ऐसी हैं जो वायरल वीडियो की स्क्रीनशॉट हैं.

अल जज़ीरा के मुताबिक, “12 सितम्बर को पूरे देश की जेलों में 70 कुर्दिश कैदियों ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी. इसके अगले हफ़्ते ही 700 से ज़्यादा कैदी उनके साथ शामिल हो गये. उनकी मांगों में कुर्द समुदाय के लिए सांस्कृतिक और राजनीतिक अधिकार बढ़ाया जाना शामिल है. ये देश का सबसे बड़ा जातीय अल्पसंख्यक है जो अब तुर्की में 15 से 20 मिलियन (डेढ़ से 2 करोड़) के बीच हो चुका है.”

ट्विटर यूज़र @dharmicverangna ने पहले ये वीडियो ग़लत दावे के साथ शेयर किया और बाद में कहा कि ये घटना टर्की की है और वो बस ‘मज़ाक’ कर रहा था.

वीडियो 2: सार्वजानिक प्रार्थना का विरोध

ट्विटर यूज़र @kailashvasi361 ने वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, “अब #पेरिस में मुस्लिम जब भी सड़कों पर नमाज़ पढ़तें हैं…उन्हें उतनी ही ऊंची आवाज़ में फ़्रेंच नागरिकों से राष्ट्रीय गान का सामना करना पड़ेगा. बहुत बढ़िया फ़्रांस के लोगों. सड़कें कारों के लिए हैं, प्रार्थना करने के लिए नहीं. #CharlieHebdo.” इसे 500 से ज़्यादा लोगों ने देखा.

कई फे़सबुक यूज़र्स ने भी इसी कैप्शन के साथ ये वीडियो शेयर किया.

फै़क्ट-चेक

इस वीडियो का ऑल्ट न्यूज़ ने पहले भी फै़क्ट चेक किया था. तब ये इस दावे के साथ शेयर किया गया था कि ‘सड़कों और साईडवॉक पर नमाज़ पढ़ रहे मुस्लिम समुदाय के लोगों का विरोध फ़्रेंच नागरिक फ्रांस का राष्ट्रीय गान गा कर रहे थे.’ हमने पाया कि ये वीडियो 2017 का है जब फ़्रांस के एक नगर क्लिशी में स्थानीय मस्जिद बंद करने का विरोध मुस्लिम समुदाय के लोग सड़क पर नमाज़ पढ़कर कर रहे थे. इसके जवाब में कुछ नेताओं ने वहीं खड़े होकर राष्ट्रीय गान गाया.

फ़्रांस चर्च और राज्य के अलगाव को सख्ती से लागू करता है. पश्चिमी यूरोप में सबसे अधिक मुस्लिम जनसंख्या वाले इस देश ने सार्वजानिक प्रार्थनाओं पर अक्सर बैन लगाये हैं और अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय को ‘असहाय’ छोड़ दिया है. पहले भी स्थानीय मस्जिदों को बंद करने पर प्रदर्शन होते रहे हैं.

कुल मिलाकर, हाल में 2 पुराने वीडियोज़ को फ़्रेंच टीचर की हत्या से जोड़ कर शेयर किया गया जो बिल्कुल ग़लत दावा है. इनमें से एक वीडियो 2012 में टर्की के एक विरोध प्रदर्शन का है और एक 2017 का. पहले वीडियो में स्टूडेंट्स कुर्दिश अधिकारों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं और दूसरे वीडियो में फ़्रांस के क्लिशी में स्थानीय मस्जिद बंद किये जाने का विरोध लोग सड़क पर नमाज़ पढ़ कर रहे हैं.

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.

About the Author

🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.