मलयालम न्यूज़ चैनल एशियानेट न्यूज़ ने एक वीडियो पब्लिश किया था. वीडियो में किसान टमाटर फेंकते हुए दिख रहे हैं. ये वीडियो इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है, “दक्षिण भारत में टमाटर का सही मूल्य दलाल लोग किसानों को नही दे रहे हैं,, 75 पैसे प्रति किलो दे रहे हैं. इसलिए किसान लोग टमाटर सड़कों के किनारे फेंक रहे है,, उत्तर भारत मे किल्लत मची है दलालों के कारण,, मोदी जी का किसान कानून का महत्व अब सबको समझ आएगा.”

ये वीडियो @RajeevS29778815 और @Dnyanesh_Backed सहित कई ट्विटर यूज़र्स ने शेयर किया. इन ट्वीट्स को 200 से ज़्यादा बार रीट्वीट किया जा चुका है.

इसी तरह कई फ़ेसबुक यूज़र्स ने भी ये वीडियो शेयर किया.

ऑल्ट न्यूज़ के व्हाट्सऐप हेल्पलाइन नंबर (+91 76000 11160) पर भी इस दावे की सच्चाई जानने के लिए कई रिक्वेस्ट आयी हैं.

वीडियो वेरिफ़िकेशन

ऑल्ट न्यूज़ को यूट्यूब पर एक की-वर्ड्स सर्च करने पर ये वीडियो मिल गया. एशियानेट न्यूज़ ने ये वीडियो 15 मई को अपलोड किया था.

एशियानेट न्यूज़ ने बताया था कि कैसे लॉकडाउन के दौरान कर्नाटका में टमाटर उगाने वाले किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा था.

द इंडियन एक्सप्रेस (IE) की 22 मई की रिपोर्ट के मुताबिक, “देश में थोक सब्जी मंडियों के कामकाज की स्थिति, अलग-अलग राज्यों में लॉकडाउन के कारण स्थिति में हुए बदलाव, साथ ही खुदरा दुकान, होटल, हॉस्टल और विवाह भवन के बंद होने के कारण कोलार APMC बाज़ार में बड़ी मात्रा में टमाटर बिना बिके पड़े हैं. कोलार APMC एशिया का दूसरा सबसे बड़ा टमाटर बाज़ार है.”

कोलार APMC के एक टमाटर व्यापारी C R श्रीनाथ ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “चूंकि किसान अच्छी कीमतों और बिक्री की उम्मीद कर रहे थे इसलिए टमाटर की उपज पिछले सीजन की तुलना में लगभग चार गुना अधिक रही है. तालाबंदी से बाज़ार ठप होने का मतलब है कि कुछ उत्पाद कुछ दिनों के लिए बिना बिके रह जाते हैं और फिर उनकी क्वालिटी बिगड़ जाती है और अंत में उन उत्पादों पर कोई कीमत नहीं मिलती. अच्छे टमाटर के 15 किलो वाले बॉक्स लगभग 200 रुपये में मिल रहे थे. लेकिन क्वालिटी में चौथे और पांचवें नंबर पर आने वाले टमाटर के 15 किलो वाले बॉक्स सिर्फ कुछ रुपये में बिकते हैं.” गौरतलब है कि लगभग उसी वक्त ऐसी स्थिति हरियाणा में भी थी.

कुल मिलाकर, कर्नाटक में किसानों द्वारा कई टन टमाटर फेंकने का एक पुराना वीडियो हाल का बताकर शेयर किया गया. साथ ही ये दावा किया गया कि 18 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा वापस लिए गए कृषि कानूनों से किसानों को उनके उत्पादों पर सही कीमत मिल सकती थी.

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🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.