मंगलवार को, एक प्रेस ब्रीफिंग में विदेश सचिव विजय गोखले ने सूचना दी कि भारतीय वायुसेना ने 26 फरवरी 2019 की सुबह बालाकोट, पाकिस्तान में हवाई हमले किए और आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद द्वारा संचालित सबसे बड़े प्रशिक्षण शिविर को निशाना बनाया। हवाई हमले के बारे में यह सूचना कई मीडिया संगठनों द्वारा पूरी सुबह चलाई गई। जब सोशल मीडिया यूजर्स हवाई हमले की बारीकियों का अनुमान ही लगा रहे थे, एक वीडियो, पाकिस्तान के आतंकी शिविरों पर भारतीय वायुसेना के हमले के दावे के साथ वायरल हुआ। ट्विटर यूजर अजय कुशवाहा, जिन्हे पीएम नरेंद्र मोदी ट्विटर पर फॉलो करते हैं, ने एक वीडियो अपनी टाइमलाइन पर पोस्ट किया था।

यही वीडियो पाकिस्तानी ट्विटर यूज़र खालिद_पीके द्वारा भी इस दावे के साथ पोस्ट किया गया कि यह भारतीय वायुसेना पर पाकिस्तानी वायुसेना के पलटवार का दृश्य है। यह, इस वीडियो का एक सबसे शुरुआती उदाहरण था, जो भारत और पाकिस्तान दोनों के सोशल मीडिया तंत्र में अलग-अलग संदेशों के साथ प्रसारित हुआ।

रक्षा विशेषज्ञ, अभिजीत अय्यर-मित्रा ने खालिद_पीके के वीडियो का ट्वीट में उल्लेख किया और सुझाव दिया कि आग उगलते पाकिस्तानी लड़ाकू विमान संकेत करते हैं कि भारत और पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों में हवा में कुछ परस्पर कार्रवाई हुई है।

3-साल पुराना वीडियो

सोशल मीडिया में आग की तरह इस वीडियो के फैलने के कारण कई लोगों ने इस वीडियो की सच्चाई के बारे में संदेह व्यक्त करना शुरू किया। ट्विटर यूज़र @XULQIMOON ने दावा किया कि यह वीडियो पुराना है और पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस — 14 अगस्त — के अवसर पर पाकिस्तानी वायुसेना के फ्लाई पास्ट का है।

कई दूसरे ट्विटर यूज़र्स ने, खालिद_पीके के ट्वीट पर, वीडियो के पुराना होने का सुझाव देते हुए, प्रतिक्रिया दी। इस इशारे को लेकर, ऑल्ट न्यूज़ ने यूट्यूब पर ‘islamabad paf fly past flares’ की-वर्ड्स से खोज की और सामने आए वीडियो को देखा कि उनमें से कोई, सोशल मीडिया में इन दिनों वायरल वीडियो से मिलता हो। हमें सितंबर 2016 में एक यूट्यूब यूज़र मुहम्मद ज़ोहेब द्वारा पोस्ट किया हुआ वीडियो मिला जो इन दिनों प्रसारित वीडियो से मिलता था।

दोनों वीडियो के दृश्यों की आजू-बाजू तुलना करने पर साबित होता है कि यूट्यूब पर उपलब्ध और ट्विटर यूज़र खालिद_पीके द्वारा पोस्ट किया गया, दोनों वीडियो एक ही हैं।

पुलवामा हमले के बाद बड़ी संख्या में भ्रामक सूचनाएं सोशल मीडिया में प्रसारित हो रही दिखी हैं। सोशल मीडिया यूज़र्स को सतर्क रहना चाहिए क्योंकि ऐसे भ्रामक दावे आगे भी फैलने की आशंका है।

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