“कठुआ में बच्ची से नहीं हुआ था दुष्कर्म, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सिर्फ जख्मों की बात” ये हेडलाइन थी 20 अप्रैल को हिंदी समाचारपत्र दैनिक जागरण की पहले पन्ने की खबर की, इस लेख में दावा किया गया कि कठुआ घटना की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बलात्कार का कहीं जिक्र नहीं है। इसमे बताया गया है कि पीड़ित लड़की को लगी चोटें किन्हीं दूसरे कारणों से लगी हो सकती हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जांघ पर खरोंच के निशान गिरने से लग सकते हैं और साइकिल चलाने, तैरने, घुड़सवारी करने आदि से हाइमन फट सकती है। इस लेख में उन चोटों का कोई जिक्र नहीं किया गया है जो बलात्कार की ओर इशारा करती है। यह लेख दैनिक जागरण संस्करण में नई दिल्ली, आगरा, इलाहाबाद, अमृतसर, अलीगढ़, कठुआ और जम्मू आदि संस्करणों में छपा था। दैनिक जागरण समूह के अखबार नई दुनिया ने भी यह लेख छापा।
ऑल्ट न्यूज ने कठुआ पीड़िता की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट हासिल की है। इस रिपोर्ट में वल्वा में चीर फाड़, योनि से खून, हाइमन और जांघ और पेट पर खून के निशान का जिक्र है।
जिला अस्पताल कठुआ के बोर्ड ऑफ डॉक्टर द्वारा पुलिस को दिए गए लिखित जवाब में बताया गया है ‘‘बताई गई चोटें किसी भी प्रकार के यौन हमले की वजह से लग सकती है।‘‘
बलात्कार और यौन अपराधों के मामलों पर काम करने वाले फोरेंसिक एक्सपर्ट और निठारी केस से जुड़े रहे डॉ. जयदीप सरकार से ऑल्ट न्यूज ने संपर्क किया जो अभी सिंगापुर में रह रहे हैं। विस्तृत बातचीत में डॉ. सरकार ने बताया,
“दो पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर संभावित तौर पर कहा जा सकता है कि यौन हिंसा हुई है। इसके अलावा अन्य मेडिकल रिपोर्ट, सबूतों और जाँच के बाद दावे से कहा जा सकेगा कि यौन हिंसा हुई है। जेनाइटल एरिया में चोटें जैसे जाँघों, वेजाइना, वल्वा, हाइमन और लेबिया (जैसा कि शरीर की आंतरिक जाँच के प्वाइंट 1,2,3 और 7 में लिखा है), ये तीन कारणों से हो सकती हैं – एक्सीडेंट, ख़ुद को चोट पहुँचाने की वजह से या फिर हिंसा की वजह से।
मौत से पहले, शरीर के जेनाइटल हिस्से में ही चोटें इतनी ज़्यादा हैं कि ये किसी एक्सीडेंट का केस नहीं लगता है। खुद को चोट पहुंचाने की संभावना भी नहीं है क्योंकि मौत की वजह आत्महत्या नहीं बताई गई है पोस्टमार्टम में नहीं आया है। इसलिए सिर्फ़ हमला होने के विकल्प पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को अन्य तथ्यों के संदर्भ में देखा जाना चाहिएः अपहरण, पीड़िता को जबरन नशीले पदार्थ देना, हत्या, आरोपी व्यक्तियों की स्वीकारोक्ति और इस मामले की अन्य घटनाएं।
2013 के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले में लिंग के ‘प्रवेश‘ को बलात्कार के रूप में परिभाषित किया गया था जिसका कानूनी बोलचाल में मतलब होता है – ‘रखना, निकट लाना या धकेलना‘ इसके लिए महिला की योनि में पूरी तरह लिंग का प्रविष्ट होना जरूरी नहीं होता है। जांघ के बीच में प्रजनन अंगों वाले क्षेत्र में लिंग रखना, इसे वल्वा/योनि के निकट लाना और धकेलना ही कानून के अनुसार बलात्कार का आरोप लगाने के लिए पर्याप्त है।
आंतरिक जांच में बताई गई संबंधित चोट पीड़िता के यौन अंगों में बिना सहमति के और जबरन के कारण हुई दिखाई देती है। वल्वा के मध्यवर्ती (बीच) और पिछले हिस्से (पिछली तरफ) में चोट, वल्वा में शिथिलता (8 वर्षीय बच्ची के लिए) जिसमें एक अंगुली का प्रवेश हो सकता है, फटी हुई हाइमन और वल्वा व जांघ पर खून के निशान यह बताते हैं कि किसी बाहरी वस्तु को डालने के लिए काफी प्रयास किए गये – (कोई लिंग?) जिसके लिए धकेलते हुए ताकत लगाई गई।
वह एक बच्ची थी वयस्क नहीं और इसलिए अगर हायमन को नुक़सान नहीं भी पहुँचा है तो भी बलात्कार की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता है क्योंकि बच्चियों में हाइमन काफी भीतर होती है। बच्ची की योनि भी काफी संकुचित होती है और जब तक लिंग को बलपूर्वक प्रवेश कराने के लिए काफी ताकत का इस्तेमाल नहीं किया गया हो, जिससे ज्यादा और स्वाभाविक चोट लगेगी, इसकी अधिक संभावना है कि कम बल का उपयोग किया गया था।
यह तथ्य कि कथित गतिविधि करते समय उसे नशीला पदार्थ दिया गया था। इससे चोट कम लगेगी क्योंकि पीड़िता की ओर से कम प्रतिरोध होने या कोई प्रतिरोध न होने की संभावना है। प्रजनन अंगों से जुड़ी चोटें जो काफी विशिष्ट हैं, बलात्कार के प्रयास या बलात्कार होने का मजबूती से संकेत करती हैं। अंतिम फोरेंसिक विश्लेषण से अंतिम तथ्य सामने आएगा।‘‘ (अनुवाद)
संक्षेप में डॉ. सरकार के आकलन ये हैं:
1. रिपोर्ट में बताई गई चोटें पीड़िता के यौन अंगों में असहमतिपूर्ण/जबरन क्रिया के अनुरूप प्रतीत होती है।
2. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को इस मामले के सभी अन्य तथ्यों के संदर्भ में देखा जाना चाहिए (अपहरण, पीड़िता को नशीला पदार्थ देना, हत्या, आरोपियों द्वारा स्वीकारोक्ति आदि)
3. दो पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पर आधारित जानकारी यौन हिंसा की संभावना की ओर इशारा करती है।
20 अप्रैल को दैनिक जागरण ने ‘कठुआ की बच्ची से नहीं हुआ था दुष्कर्म’ शीर्षक से लेख प्रकाशित की थी, इसके बाद जम्मू कश्मीर पुलिस ने 21 अप्रैल को स्पष्टीकरण जारी करके यह बताया कि मेडिकल एक्सपर्ट्स की राय के आधार पर इस बात की पुष्टि की जा चुकी है कि आरोपियों द्वारा पीड़िता का यौन उत्पीड़न किया गया था।
Press release….Case FIR No 10/2018 dated 12.01.2018 Police Station Hiranagar Kathua. pic.twitter.com/ek2IsXDpsa
— J&K Police (@JmuKmrPolice) April 21, 2018
ट्विटर पर मौजूद दक्षिणपंथी लोगों ने पिछली रिपोर्ट के साथ स्वाभाविक असंगतता पर प्रश्न किये बगैर दैनिक जागरण की इस रिपोर्ट को सच मान लिया। उन्होंने मीडिया और बॉलीवुड पर हिंदुओं और भारत को बदनाम करने का आरोप लगाया। वह चाहते हैं कि राष्ट्र को गुमराह करने के लिए लिबरल्स माफी मांगे।
Breaking! & this is Big
NO RAPE, Forget Gang Rape!
Both autopsy reports given by 2 diff doctors to the SIT had ruled out RAPE in the kathua murder of the little girl!
Hide ur ugly faces MEDIA & Bollymorons 4 u the d new FRINGE!
U defamed Hindus & India worldwide on wrong facts! pic.twitter.com/SnHrMshHlx— Ritu Rathaur (सत्यसाधक) (@RituRathaur) April 20, 2018
There was No Rape in #Kathua case, says both Medical reports. she was murdered somewhere else & her body was thrown in Rasana Village. Whole conspiracy to defame Hindus is exposed. pic.twitter.com/3bMG6yDUX9
— Prashant P. Umrao (@ippatel) April 20, 2018
Will @TheQuint & @LogicalIndians apologize now for misleading the nation??
This is front page news in today's Jammu edition of @JagranNews https://t.co/fBMvhPl8g6
Delhi edition kept it on 3rd page though.
Leftist media is completely silent. Cowards.@AltNews @free_thinker pic.twitter.com/pwxteCJ2Zf— ShankhNaad (@ShankhNaad) April 20, 2018
फेसबुक पर यह रिपोर्ट आग की तरह फैली। बीजेपी से मान्यता प्राप्त कई पेज और ग्रुप ने इस मुद्दे पर अपने स्टैंड को सही ठहराते हुए इस लेख को पोस्ट किया। ‘आई सपोर्ट नरेंद्र मोदी’ नामक पेज जिसके लगभग डेढ़ करोड़ फॉलोअर्स हैं, इस पेज ने इस दावे के साथ इसे पोस्ट किया कि ‘हिंदुओं को बदनाम करने की पूरी साजिश का पर्दाफाश हुआ‘ और इस पोस्ट को 36,000 से अधिक बार शेयर किया गया है।
There was No Rape in #Kathua case, says both medical reports. She was murdered somewhere else & her body was thrown in…
Posted by I Support Narendra Modi on Thursday, 19 April 2018
वी सपोर्ट हिंदुत्व और वी सपोर्ट डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी जैसे अन्य फेसबुक पेज ने भी इस ‘समाचार’ को पोस्ट किया जिसे क्रमश: 9500 और 10000 बार शेयर किया गया था।
ऑल्ट न्यूज ने दैनिक जागरण के संपादक से संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन वह इस मामले पर टिप्पणी देने के लिए उपलब्ध नहीं थे। कठुआ में 6 साल की लड़की से बलात्कार और हत्या और बाद सत्ताधारी पार्टी के सदस्यों द्वारा आरोपियों का समर्थन करने से पूरा देश हिल गया है। अंतर्राष्ट्रीय रूप से इसकी भर्त्सना सहित समाज के सभी तबकों ने इस पर दुख और संवेदना प्रकट की है। यह हैरान करने वाली बात है कि ऐसे संवेदनशील और चर्चित मामले में जहां सारे तथ्य आधिकारिक रूप से मौजूद हैं, वहां दैनिक जागरण ने न केवल एक विरोधी स्थिति अपनाई बल्कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अधूरे विश्लेषण के आधार पर इस मामले में अंतिम फैसला दे दिया।
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