8 अप्रैल को एक ब्रॉडकास्ट के दौरान रिपब्लिक भारत चैनल के कायदे के मुताबिक एंकर्स श्वेता श्रीवास्तव और श्वेता त्रिपाठी टेलीविज़न स्क्रीन पर चिल्लाते हुए एक ब्रेकिंग न्यूज़ सुना रही थीं. जैसे कैमरा स्टूडियो के टॉप फ्लोर पर मौजूद श्रीवास्तव से ग्राउंड पर मौजूद त्रिपाठी पर शिफ्ट होता है, दर्शकों को बताया जाता है कि मध्य प्रदेश के खरगोन में एक ही परिवार के 8 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं, जो तबलीगी जमात से जुड़े रहे हैं.

दोनों एंकर्स ने बाकी जानकारी के लिए चैनल के संवाददाता सत्यविजय से संपर्क स्थापित किया. उन्होंने नूर मोहम्मद द्वारा परिवार पर संक्रमण फैलाने का आरोप लगाया और कहा कि मोहम्मद विदेश यात्रा के बाद दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज़ में शामिल हुए थे. उसके बाद वह खरगोन आये जहां स्थानीय प्रशासन को सूचित नहीं किया कि उनमें COVID-19 के लक्षण पाए गए हैं, सत्यविजय ने आगे बताया कि नूर मोहम्मद की 28 मार्च को मौत हो गई थी. उन्होंने मोहम्मद की मां की मौत के बारे में भी बताया. चैनल के संवाददाता ने जमात को मध्य प्रदेश में कोरोना मामलों का आधार घोषित करते हुए कहा कि अगर नूर मोहम्मद ने समय पर जानकारी दी होती तो उन्हें शायद आइसोलेशन में रखा गया होता.

श्वेता श्रीवास्तव ने सत्यविजय से सहमत होते हुए तबलीगी जमात के सदस्यों को Shameless (बेशर्म) कहा, ये शब्द टीवी स्क्रीन पर कुछ अन्य शब्दों जैसे, ‘बदतमीज’, ‘बेहूदी’ और ‘बेशर्म जमाती’ के साथ लगातार फ्लैश होता रहा.

ANI ने इस मामले पर 8 अप्रैल को ट्वीट किया था. समाचार एजेंसी ने खरगोन के जिलाधिकारी गोपाल चंद्र दास के बयान को कोट करके लिखा, “बीमारी के कारण प्रतिभागी और उसकी मां की मौत.”

फ़ैक्ट-चेक

नूर मोहम्मद विदेश यात्रा (दक्षिण अफ्रीका) के बाद निजामुद्दीन मरकज़ में शामिल होने के बाद खरगोन लौटे थे, लेकिन उनकी मौत नहीं हुई है. ऑल्ट न्यूज़ ने नूर मोहम्मद से बात की, उन्होंने बताया कि वह और उनकी पत्नी 21 मार्च को खरगोन वापस लौटे थे. 24 मार्च को ज़िला स्वास्थ्य अधिकारियों ने उनकी और उनके पूरे परिवार की घर पर ही जांच की थी. उन्होंने बताया “मैं जिस दिन दिल्ली से मध्य प्रदेश लौटा उसी दिन से बुखार आ-जा रहा था. मैंने स्वास्थ्य अधिकारियों को अपनी दक्षिण अफ़्रीका की यात्रा के बारे में बताया जिसके बारे में उन्हें पहले से ही पता था क्योंकि उनके पास विदेश यात्रा से लौटे सभी लोगों की पूरी लिस्ट थी.”

उस समय तक परिवार का कोई भी सदस्य हॉस्पिटल में भर्ती नहीं किया गया था जब तक किसी को बुखार नहीं आया. “मेरा बुखार लगातार नहीं था और वह रात को ही आता था. हो सकता है मेरा तापमान सामान्य पाया गया हो क्योंकि जांच अधिकारी दिन में आते थे.” मोहम्मद ने ये बताते हुए कहा कि उन्हें घर में ही क्वारंटाइन रहने को कहा गया था.

यहां यह याद रखना ज़रूरी है कि देश में जांच प्रक्रिया महामारी के बढ़ने के साथ बदलती रही है. स्वास्थ्य मंत्रालय की शुरुआती गाइडलाइन्स के मुताबिक जांच मुख्यतः विदेश यात्रा करके आए लोगों, कोरोना पॉजिटिव लोगों के करीबियों और उनकी की जाती थी जिनमें महामारी के लक्षण पाए जाते थे. इससे पता चलता है कि स्वास्थ्य अधिकारी दक्षिण अफ्रीका से लौटे नूर मोहम्मद के मामले को लेकर ज़्यादा गंभीर थे. निजामुद्दीन में उनका जाना इस बात का परिणाम था कि तब तक उसे हॉटस्पॉट नहीं माना गया था.

31 मार्च को खबरें आनी शुरू हुईं कि तबलीगी जमात के पिछले महीने हुए आयोजन से कई मामले सामने आये हैं. मोहम्मद ने बताया, “मैंने फिर से डॉक्टर्स से संपर्क किया और कहा कि मैं अपनी पत्नी के साथ आ रहा हूं.” ज़िलाधिकारी गोपाल चंद्र ने भी ऑल्ट न्यूज़ को बताया कि निज़ामुद्दीन मरकज़ की खबर आने के बाद 31 मार्च को नूर मोहम्मद ज़िला अस्पताल आए थे. तभी दोनों के सैम्पल लिए गए और उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था.

मोहम्मद के भतीजे यासिर पठान ने बताया “दोनों की रिपोर्ट 4 अप्रैल को आई जिसमें नूर मोहम्मद को कोरोना पॉजिटिव और उनकी पत्नी को निगेटिव पाया गया.”

नीचे ज़िला प्रशासन द्वारा जारी किए गए सर्कुलर की तस्वीर है, जो खरगोन में 4 अप्रैल को नूर मोहम्मद और एक अन्य व्यक्ति ललित पाटीदार की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद जारी किया गया था. सर्कुलर में सूचना दी गई है कि दोनों मरीजों के रहने की जगह को महामारी का केंद्र माना गया और आस-पास के 3 किलोमीटर इलाके में रोकथाम के लिए चिन्हित किया गया.

9 अप्रैल को नूर मोहम्मद के भतीजे यासिर पठान ने रिपब्लिक भारत के खिलाफ खरगोन में शिकायत दर्ज कराई कि चैनल ने मोहम्मद की 28 मार्च को संक्रमण द्वारा मौत की झूठी खबर दिखाई.

पठान ने बताया, “नूर मोहम्मद 4 अप्रैल को इंदौर के MRTB हॉस्पिटल शिफ्ट कर दिए गए थे जहां उन्हें 11अप्रैल तक रखा गया. जब दो बार उनकी जांच रिपोर्ट निगेटिव आई तब उन्हें 12 अप्रैल को डिस्चार्ज किया गया.” पठान ने हमें हॉस्पिटल में रिकॉर्ड किया गया नूर मोहम्मद का वीडियो भेजा, जो उन्होंने मोहम्मद की मौत की झूठी अफवाह मीडिया पर फैलने के बाद रिकॉर्ड किया था.

दैनिक भास्कर ने मोहम्मद के 13 अप्रैल को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने की खबर छापी थी. उनके डिस्चार्ज होते समय भी एक वीडियो रिकॉर्ड किया गया था जिसमें मोहम्मद कहते सुने जा सकते हैं कि वे पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं.

MRTB हॉस्पिटल से 12 अप्रैल को कोरोना वायरस से ठीक हुए 7 मरीजों को डिस्चार्ज किया गया था. इंदौर कमिश्नर ने इनके ठीक होने की खबर फोटो के साथ ट्वीट की थी. पीले कुर्ते में नूर मोहम्मद को देखा जा सकता है.

गौरतलब है कि नूर मोहम्मद के परिवार के 8 सदस्यों की जांच रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई थी. नीचे उनके टेस्ट रिजल्ट की लिस्ट है जिसे 7 अप्रैल को जारी किया गया था. जिनमें मोहम्मद की 70 साल की बुजुर्ग मां खर्शिद बी का भी नाम है, जिनकी 4 अप्रैल को मौत हो गई थी. पठान ने बताया कि उन्हें 4 अप्रैल को आघात लगा था, जिसकी खबर 5 अप्रैल को दैनिक भास्कर ने छापी थी. हालांकि डीएम गोपाल चंद्र दास ने कहा कि स्थानीय प्रशासन ने उनकी मौत का कारण कोरोना वायरस को ही माना था क्योंकि मौत के बाद उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी.

ब्रॉडकास्ट में क्या होना चाहिए था

नूर मोहम्मद MRTB हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद से खरगोन में आइसोलेशन में रह रहे हैं. मोहम्मद ने हमें बताया कि वे दक्षिण अफ्रीका से दिल्ली 19 मार्च को आए थे. उन्होंने बताया कि दिल्ली एयरपोर्ट पर उनसे दो फॉर्म भरवाए गए जिनमें उनके स्वास्थ्य से संबंधित जानकारी का ब्यौरा था. उन्होंने कहा, “फॉर्म में ऐसे सवाल थे कि क्या आपको बुखार है? क्या आपको सर्दी या खांसी है? मैं उस वक़्त बिल्कुल ठीक था इसलिए ‘नहीं’ पर निशान लगाया. मेरी जांच नहीं की गई थी.” जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें होम आइसोलेशन में रहने को कहा गया था तो उन्होंने बताया कि ऐसा कुछ नहीं कहा गया.

मोहम्मद और उनकी पत्नी 20 मार्च को मध्य प्रदेश के लिए रवाना है. उन्होंने दिल्ली से रात में ट्रेन पकड़ी और ये पहली बार था जब उन्होंने खुद को बीमार महसूस किया. मोहम्मद ने हमें बताया, “मुझे लगा कि ऐसा थका देने वाली यात्रा की वजह से हुआ होगा, इसलिए मैंने बुखार के लिए एक टैबलेट खाई.” दोनों अगले दिन यानी 21 मार्च की दोपहर इंदौर पहुंचे और वहां से 3 घण्टे की बस यात्रा के बाद खरगोन पहुंचे.

रिपब्लिक भारत की रिपोर्ट में इन जरूरी जानकारियों का कोई ज़िक्र नहीं था. चैनल ने मोहम्मद पर निजामुद्दीन मरकज़ में शामिल होने की बात छिपाने का आरोप लगाया और उन्हें 28 मार्च को मरा हुआ बता दिया. यह अपने आप में अजीब है. निजामुद्दीन को 31 मार्च को कोरोना वायरस का हॉटस्पॉट माना गया.

नूर मोहम्मद की स्टोरी को रिपब्लिक भारत द्वारा भारी पैमाने पर फैलाने के लिए पूरी तरह से महत्वहीन बनाया गया. हमने यहां ‘महत्वहीन’ शब्द का इस्तेमाल इसलिए किया है क्योंकि मामले की उस गंभीरता से कवरेज नहीं की गई जैसे होनी चाहिए थी, जिससे स्थानीय प्रशासन को केस की जांच में मदद मिलती.

दैनिक भास्कर के मुताबिक मोहम्मद और उनकी पत्नी जनवरी से ही धार्मिक यात्रा पर थे. उनकी यात्रा की योजना देश की सरकार दवा कोरोना वायरस को महामारी घोषित करने से बहुत पहले बन गई थी.

  • जनवरी अंत में : मोहम्मद और उनकी पत्नी जमात की मीटिंग में शामिल होने मुम्बई गए.
  • फरवरी अंत में : धार्मिक यात्रा के लिए दोनों लगभग 45 दिन के लिए दक्षिण अफ्रीका गए.
  • 19 मार्च : नूर मोहम्मद और उनकी पत्नी दक्षिण अफ्रीका से दिल्ली आए.
  • 20 मार्च : दोनों ने पूरा दिन दिल्ली में बिताया और मरकज़ में शामिल होने निजामुद्दीन गए. रात को इंदौर के लिए ट्रेन पकड़ी. मोहम्मद ने हमें बताया कि यात्रा के दौरान उन्होंने खुद को बीमार महसूस किया.
  • 21 मार्च : दोनों दोपहर को इंदौर पहुंचे और 3 घण्टे बस से चलकर खरगोन पहुंचे.
  • 22 मार्च : नूर मोहम्मद ने हल्का फुल्का बुखार महसूस किया. उनके भतीजे यासिर ने हमें बताया कि उन्हें हल्की खांसी भी आ रही थी. मोहम्मद एक फिजिशियन के पास गए जिसने उन्हें बुखार की दवा दी.
  • 24 मार्च : स्वास्थ्य अधिकारियों ने मोहम्मद के घर का दौरा किया. जांच में परिवार के किसी सदस्य का तापमान सामान्य से ज़्यादा नहीं पाया गया. मोहम्मद को सेल्फ क्वारंटाइन में रहने को कहा गया.
  • 31 मार्च : निजामुद्दीन को COVID-19 हॉटस्पॉट घोषित किए जाने का समाचार आने के बाद मोहम्मद पत्नी सहित ज़िला अस्पताल पहुंचे, वहां जांच के लिए सैम्पल दिया और उन्हें भर्ती कर लिया गया.
  • 4 अप्रैल : मोहम्मद की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव जबकि उनकी पत्नी की निगेटिव आई. मोहम्मद को MRTB हॉस्पिटल इंदौर ट्रांसफर कर दिया गया. उसी दिन उनकी मां की स्ट्रोक के कारण मौत हो गई.
  • 7 अप्रैल : मोहम्मद की मां सहित परिवार के 7 सदस्य कोरोना पॉजिटिव पाए गए.
  • 12 अप्रैल : नूर मोहम्मद की 2 बार जांच रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद उन्हें MRTB हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया.
  • 13 अप्रैल : उन्होंने खुद को खरगोन ज़िला अस्पताल में खुद को क्वारंटाइन में रखा हुआ है.

निष्कर्ष

रिपब्लिक भारत की वह रिपोर्ट कई जगहों पर बहुत हल्की साबित हुई है. पहले तो चैनल ने नूर मोहम्मद की मौत होने का दावा किया जो कि पूरी तरह से गलत है क्योंकि हमने उनसे फोन पर बात की है. इसके बाद कहा गया कि मोहम्मद ने अपनी यात्रा की जानकारी छिपाई. यह भी झूठ है. जब नूर मोहम्मद दिल्ली अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर उतरे तब उन्होंने एक सेल्फ डिक्लेरेशन फॉर्म भरा. ऑल्ट न्यूज़ ने मोहम्मद के द्वारा बताये गए फॉर्म के प्रश्नों के बाकी लोगों के द्वारा अपलोड किए गए फॉर्म से मिलान कर वेरिफाई किया. मोहम्मद की एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग नहीं की गई क्योंकि उनके अंदर कोरोना वायरस के कोई लक्षण नहीं दिखे थे.

खरगोन लौटने के बाद 24 मार्च को स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा मोहम्मद के पूरे परिवार की जांच की गई थी. अधिकारियों ने मोहम्मद के घर का दौरा किया क्योंकि उन्हें उनकी विदेश यात्रा के बारे में पता था. मोहम्मद के 70 साल से ऊपर के माता-पिता सहित परिवार के किसी सदस्य को भर्ती नहीं किया गया क्योंकि उनका तापमान सामान्य पाया गया. 31 मार्च को निजामुद्दीन को कोरोना वायरस का हॉटस्पॉट घोषित किए जाने के बाद नूर मोहम्मद पत्नी सहित ज़िला अस्पताल पहुंचे, अपना सैम्पल दिया और वहां भर्ती हुए. परिवार के बाकी सदस्यों ने जांच नहीं कराई थी. 4 अप्रैल को मोहम्मद की रिपोर्ट पॉजिटिव और उनकी पत्नी की रिपोर्ट निगेटिव आई. मोहम्मद को इंदौर शिफ्ट किया गया. उसी दिन उनकी मां की मौत हो गई. बाद में उनकी मां सहित 8 सदस्यों के सैम्पल लिए गए जिनकी रिपोर्ट 7 अप्रैल को पॉजिटिव आई.

मोहम्मद ने हर ज़रूरी नियम का पालन किया- एयरपोर्ट पर सेल्फ़ डिक्लेरेशन, घर पर जांच के दौरान स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ सहयोग, निज़ामुद्दीन मरकज़ को हॉटस्पॉट घोषित किए जाने के बाद वहां जाने की बात बताई. तब असल में किसको दोष देना चाहिए?

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About the Author

Pooja Chaudhuri is a senior editor at Alt News.