कई सोशल मीडिया उपयोगकर्ता सहित अभिनेत्री कोइना मित्रा ने ट्वीट किया है, “बीफ या पोर्क पर क्यों झगड़ना? कुछ लोग पत्नियों को भी खाते हैं। ” (आर्काइव) उन्होंने अपने ट्वीट के साथ इंडिया टुडे के लेख का स्क्रीनशॉट शेयर किया है जिसका शीर्षक है, “ज़्यादा भूख लगने पर पुरुष खा सकते हैं अपनी पत्नी को, सऊदी के शेख का फ़तवा।”- (अनुवाद)
OK. Why fight over beef or pork?
Some eat wives as well. Chill. pic.twitter.com/hdfWV7Tqr6— Koena Mitra (@koenamitra) July 12, 2019
एक अन्य ट्विटर उपयोगकर्ता ख़ुशी सिंह (@khushi2318) ने इस दावे को कथित मौलवी और एक प्रकाशित लेख की तस्वीर के साथ साझा किया है। इस लेख का शीर्षक है,“सऊदी के उच्च मुफ़्ती ने एक विचित्र फतवा जारी करते हुए कहा है कि, पुरुष अपनी पत्नियों को भूख लगने पर खा सकते है” (अनुवाद)। एक अन्य ट्विटर उपयोगकर्ता ऋषि वेकरिया (rushivekariya_) ने भी इस तस्वीर को समान दावे से साझा किया है।
फेसबुक पर भी एक ग्रुप We Support Republic में यह दावा प्रसारित किया जा रहा है।
द मिरर रिपोर्ट
हमने पाया कि मिरर की यह रिपोर्ट हाल की नहीं है बल्कि 2015 में प्रकाशित हुई थी, जिसमें फतवे के बारे में बताया है कि पुरुष को भूख लगने पर वे अपनी पत्नी को खा सकता है।
इसी खबर को 2015 में इंडिया टुडे ने भी प्रकाशित किया था। इंडिया टुडे की रिपोर्ट का शीर्षक था ,“ज़्यादा भूख लगने पर पुरुष खा सकते हैं अपनी पत्नी को, सऊदी के शेख के फ़तवे में यह बात कही गई।”-(अनुवाद)। लेख के अंतिम दो पैराग्राफ में लिखा था कि शेख ने इस तरह के फतवे से इनकार किया है। लेख में यह भी लिखा गया कि फतवे की बात को व्यंगनात्मक रूप से कहा गया है।
स्कूप वूप वेबसाइट ने भी फतवे के दावे वाले एक लेख को प्रकाशित किया था।
झूठी खबर
सऊदी अरब के मौलवी ने ऐसा कोई फतवा जारी नहीं किया है। इस फर्ज़ी खबर की ऑल्ट न्यूज़ ने 2017 में ही पड़ताल की थी। इंडिया टुडे ने इस खबर को लेकर एक लेख प्रकाशित किया था लेकिन इंडिया टुडे समूह की स्वामित्व वाली DailyO ने इस फतवे को ‘झूठा’ बताया था।
इस फतवे का मूल स्त्रोत मोरक्को के व्यंगकार ब्लॉगर इसराफेल अल-मगरिब का एक व्यंगपूर्ण लेख था। Al Arabiya का यह रिपोर्ट सीएनएन अरबी रिपोर्ट के आधार पर बनाया गया था। अल अरेबिया ने लिखा है कि,“The Onion (व्यंगनातमक वेबसाइट) जैसी एक वेबसाइट जिसका नाम “Akhbar al-Tanz” है (जो मोरक्को में एक ‘व्यंग्यात्मक समाचार’ है), उन्होंने एक लेख प्रकाशित किया था, जिसके बाद कई मीडिया संगठन, जिसमें ईरानी समर्थक भी शामिल थे, उन्होंने इस व्यंग पर लेख प्रकाशित किए “-(अनुवाद)।
सऊदी शेख, अज़ीज़ बिन अब्दुल्ला, जिनके नाम से इस झूठी खबर को प्रकाशित किया किया गया था, वे सऊदी अरब के उच्च मुफ्ती थे। उन्होंने उस वक़्त सऊदी प्रेस एजेंसी (SPA) को एक बयान जारी किया था, जिसमें उन्होंने इस दावे को खारिज करते हुए कहा, “इस समय मेरे दुश्मनों द्वारा समाज को उनके मुख्य मुद्दों से भटकाने का यह प्रयास किया गया है ,जो हमारे बुद्धिमान नेतृत्व के साथ खड़े है, जो उम्माह [दुनिया के मुसलमानों] को बिगाड़ने का काम करते है, जो उनके खिलाफ कार्यरत है। यह इस्लाम की छवि को बिगाड़ने के प्रयासों के तहत किया गया है, जिसमें पुरुषों और महिलाओं के बीच भेदभाव किये बिना इंसान को सम्मान दिया जाता है”-(अनुवाद)।
एक व्यंगपूर्ण लेख जिसे 2015 में ही ख़ारिज कर दिया गया था, अभी तक सोशल मीडिया में साझा किया जा रहा है। ऐसी ‘फ़तवा’ की गलत ख़बरों को मुख्यधारा के मीडिया संगठन द्वारा भी प्रसारित किया जाता है, जिससे इसे सोशल मीडिया में आसानी से विश्वसनीयता मिल जाती है। ऑल्ट न्यूज़ ने पहले भी ऐसी झूठी खबर को ख़ारिज किया था कि टीएमसी सांसद नुसरत जहां के खिलाफ सिंदूर और मंगलसूत्र पहनने पर फतवा जारी किया गया है।
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