सोशल मीडिया पर एक फल विक्रेता का एक वीडियो वायरल हो रहा है. इसमें उसे अपने ग्राहकों से धोखाधड़ी करते हुए देखा जा सकता है. वीडियो इस दावे के साथ वायरल है कि ग्राहकों को ठगने वाला व्यक्ति मुस्लिम है जो हिन्दुओं को ठग रहा है. वीडियो में दिखाया गया है कि फल बेचने वाला फ़ल तौलने के बाद कुछ फलों को ग्राहक को दिए जाने वाले बैग में नहीं रखता है. ग्राहक इस बात से बिल्कुल अनजान है. कैमरापर्सन इस वाकये को अपने कैमरे में कैद कर फल बेचने वाले से सवाल करता है. इसके बाद फल विक्रेता एक ग्राहक से माफी मांगता है.
ऑल्ट न्यूज़ को अपने व्हाट्सऐप नंबर पर इस वीडियो की सच्चाई जानने के लिए कई रिक्वेस्ट मिलीं.
ये वीडियो ट्विटर पर भी मुस्लिम विरोधी दावे के साथ वायरल है.
फल खरीदने के बाद काटे के तरफ
जरूर ध्यान रखें वरना ये*मु$स्लिम फल विक्रेता* एसे गड़बड़ी
करते हे ओर *हिंदु ग्राहक* को बेवकूफ बनाते हे,
👇👇🙏🙏 pic.twitter.com/El3G6shQEW— हिरेन पांडे (@pandey_Hiren123) March 31, 2022
कई ट्विटर यूज़र्स ने ये वीडियो को शेयर करते हुए, हिंदू ग्राहकों को बेवकूफ बनाने वाले मुस्लिम फल विक्रेताओं से सावधान रहने को कहा.
फ़ैक्ट-चेक
यूट्यूब पर एक कीवर्ड सर्च करने से ऑल्ट न्यूज़ को ‘भारती प्रैंक’ नामक यूट्यूब चैनल पर 21 मार्च, 2022 का एक वीडियो मिला. चैनल के डिस्क्रिप्शन में लिखा है, “ये चैनल मज़ाक और मनोरंजन से संबंधित है.” अपने आगे के रिसर्च में हमें ये मालूम चला कि ‘भारती प्रैंक’ चैनल मुख्य रूप से मनोरंजक वीडियो अपलोड करता है जो कि स्क्रिप्टेड होते हैं.
इस चैनल को राजू भारती नामक शख्स चलाता है जो वायरल वीडियो में फल विक्रेता से सवाल करते हुए दिख रहा है. फल बेचने वाला व्यक्ति भी एक ऐक्टर है. इन दोनों ऐक्टर्स को चैनल के कई दूसरे वीडियोज़ में भी देखा जा सकता है.
ऑल्ट न्यूज़ ने राजू भारती से संपर्क किया है, उनका जवाब आने पर इस आर्टिकल को अपडेट किया जाएगा.
कुल मिलाकर, एक स्क्रिप्टेड वीडियो को ग़लत, एंटी-मुस्लिम दावे के साथ शेयर किया गया. ऑल्ट न्यूज़ ने देखा है कि मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने के लिए इस तरह के वीडियोज़ काफी शेयर किये जाते हैं. और ये एक हालिया चलन बन गया है जो दिन-ब-दिन बढ़ता नज़र आ रहा है. ये भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि राइट विंग हिंदू ग्रुप्स द्वारा मुस्लिम व्यवसायों के आर्थिक बहिष्कार को बढ़ावा देने वाले माहौल के बीच ये वीडियोज़ शेयर किये जा रहे हैं. इस धार्मिक भेदभाव का खामियाजा आर्थिक रूप से पिछड़े मुस्लिम विक्रेताओं को भुगतना पड़ रहा है.
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