शिमला में हाल ही में भड़की सांप्रदायिक हिंसा के संदर्भ में कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने दावा किया कि शिमला में 35 अप्रवासी मुस्लिम दुकान मालिकों के पास एक ही आधार कार्ड या एक ही जन्मतिथि वाले आधार कार्ड पाए गए. यूज़र्स ने सुझाव दिया कि ये हिमाचल प्रदेश की जनसांख्यिकीय संरचना को बदलने की साजिश का स्पष्ट संकेत है.

अक्सर गलत सूचनाएं शेयर करने वाले राईटविंग इन्फ्लुएंसर रौशन सिन्हा (@MrSinha_) ने ऐसे दावों के साथ दो ट्विट्स किये. पहले ट्वीट में उन्होंने ज़ी न्यूज़ की एक क्लिप शेयर करते हुए लिखा, “शिमला से बड़ी ख़बर: 35 मुस्लिम वेंडर्स के पास एक ही आधार कार्ड डिटेल्स थी और वो सभी बाहरी हैं. वो हाल ही में बिजनेस करने के नाम पर हिमाचल प्रदेश आए थे. पहले अवैध मस्जिदें और अब ये, ये देवभूमि हिमाचल प्रदेश की जनसांख्यिकी को बदलने की एक बड़ी साजिश है…” इस ट्वीट को ये फ़ैक्ट-चेक रिपोर्ट लिखे जाने तक 3.6 लाख से ज़्यादा बार देखा गया और 10 हज़ार से ज़्यादा बार रिट्वीट किया गया. (आर्काइव)

दूसरे ट्वीट में उन्होंने एक वीडियो क्लिप शेयर करते हुए लिखा कि इसमें कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) में स्थानीय लोगों को “देवभूमि में अवैध प्रवास” के खिलाफ विरोध करते हुए दिखाया गया है. ये आर्टिकल लिखे जाने तक इस ट्वीट को करीब 2.1 लाख बार देखा गया और 4,100 बार रीट्वीट किया गया. (आर्काइव 2)

एक और राईटविंग हैंडल ‘मेघअपडेट्स‘ ने सिटी न्यूज़ के एक बुलेटिन की क्लिप ट्वीट करते हुए दावा किया कि “… एक ही तारीख 01/01 को पैदा हुए 46 मुस्लिम शिमला ज़िले के एक छोटे से शहर गुम्मा कोटखाई में पाए गए थे…” उन्होंने कहा, “ये एक बड़ी साजिश का हिस्सा था.” ये आर्टिकल लिखे जाने तक इस ट्वीट को लगभग 5.28 लाख बार देखा गया और 10 हज़ार बार रीट्वीट किया गया.

आंध्र प्रदेश भाजपा के राज्य उपाध्यक्ष विष्णु वर्धन रेड्डी ने अपने ऑफ़िशियल X हैंडल से यही दावा किया. कई X यूजर्स ने भी इस दावे को आगे बढ़ाया है.

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राईटविंग प्रॉपगेंडा वेबसाइट, ऑपइंडिया ने एक स्टोरी पब्लिश की जिसका टाइटल है, “संदिग्ध आधार कार्ड, अवैध मस्जिद और बहुत कुछ के साथ 46 मुस्लिम विक्रेता: हिमाचल प्रदेश के हिंदू विरोध क्यों कर रहे हैं.” स्टोरी में दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट का हवाला दिया गया है जिसमें कहा गया है, “हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के गुम्मा में बड़ी संख्या में अन्य राज्यों से आए मुस्लिम कारोबारियों के दस्तावेजों की जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. गुम्मा व्यापार मंडल के अंतर्गत कुछ दुकानों को मुस्लिम समुदाय के व्यापारियों ने किराये पर लिया है। व्यापार मंडल ने इन व्यापारियों के आधार कार्ड एकत्रित किए. कुल 86 कारोबारियों ने आधार कार्ड सौंपे, जिसमें से 46 की जन्मतिथि एक जैसी है.”

फ़ैक्ट-चेक

सबसे पहले, ऑल्ट न्यूज़ ने देखा कि रौशन सिन्हा और अन्य यूज़र्स द्वारा शेयर की गई ज़ी न्यूज़ बुलेटिन की क्लिप में कहा गया है, “35 अप्रवासी मुस्लिम विक्रेता हैं जिनके आधार कार्ड में एक ही जन्मतिथि है और 12 हिंदू अप्रवासी विक्रेता भी हैं जिनके आधार कार्ड में एक ही जन्मतिथि है.” आगे देखें:

इसके बाद, हमें ज़ी न्यूज़ बुलेटिन की एक और क्लिप मिली जिसमें कुछ आधार कार्ड दिखाए गए हैं. और इसमें सभी की जन्मतिथि 1 जनवरी बताई गई है. 

फिर हमने देखा कि शिमला के SP संजीव कुमार ने इस संबंध में एक वीडियो बयान जारी किया था. उन्होंने कहा, ”पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया में कई तरह के भ्रामक प्रचार जो हैं वो किये जा रहे हैं और मैं शुरू में ही ये स्पष्ट करना चाहता हूं कि इस प्रकार की जो दुष्प्रचार होते हैं उनके खिलाफ लीगल एक्शन भी लिया जा सकता है. कुछ लोगों के खिलाफ भ्रामक प्रचार के लिए लीगल एक्शन लिया भी जा रहा है… जहां तक यूनिक आइडेंटिफ़िकेशन अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (UIDIA) के द्वारा जो आधार कार्ड जारी किया जाता है, उस संदर्भ में बहुत से लोगों ने जो है वो अपना संदेश व्यक्त किया था..आधार कार्ड और उसमें जो अंकित जन्मतिथि है उसके बारे में..हमने जो कंसर्न डिपार्टमेंट है उसे भी इस सबंध में क्लेरीफ़िकेशन की. और साथ-साथ में जिन व्यक्तियों के बारे में इस प्रकार से संदेह किया जा रहा था उनके भी बायोमेट्रिक्स की जो है वो जांच पड़ताल की तो उसमें ये पाया गया कि ये सारा का सारा जो है इट इज़ ऑल प्रॉपगेंडा..और इस प्रकार की कोई बात है नहीं, जो जन्मतिथि को लेकर जो भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं तो 2010 में जो यूनिक आइडेंटिफ़िकेशन का कांसेप्ट जो आधार के फॉर्म में हमारे कंट्री में आया तो उसके बाद 3-4 साल में जो कई व्यक्ति ऐसे हैं जिनको अपने जन्मतिथि के बारे में अगर सही से ज्ञान नहीं है तो उसमें ऑटोफ़ील जो डाटा बाय डिफ़ॉल्ट उसमें सेट हो जाता था.. ये ऑटो जेनरेटेड जो है वो डेट ऑफ़ बर्थ जन्मतिथि जो है अंकित की गई है..इस संदर्भ में कोई भी किसी तरह की भ्रांति जो है फ़ैलाने की आवश्यकता नहीं है..ये एक सॉफ्टवेयर डिफ़ॉल्ट प्रोसेस के कारण ऐसा होता है.. कुल मिलाकर जो है ये इस बारे में स्थिति ये है कि ये कोई इशू एज सच है नहीं और हमने जो वेरीफ़िकेशन किया है उसमें हमें कोई भी आधार कार्ड जो फ़ेक आधार नहीं मिला है. ”

हमने UIDAI वेबसाइट की जांच की जिससे हमें 27 अक्टूबर, 2017 का एक प्रेस नोट मिला जिसमें हरिद्वार के एक गांव के लगभग सभी निवासियों की एक ही जन्मतिथि के विवाद पर स्पष्टीकरण दिया गया था.

प्रेस नोट में कहा गया है, “UIDAI पॉलिसी के मुताबिक, हर निवासी को आधार के लिए नामांकन की अनुमति देने के लिए, जन्म तिथि तीन तरीकों से दर्ज़ की जाती है. अगर निवासी जन्म तिथि का सहायक प्रमाण प्रदान करता है तो सबसे पहले सत्यापित जन्म तिथि है. दूसरा, घोषित जन्मतिथि है, यदि निवासी बिना किसी सहायक दस्तावेज़ के अपनी जन्मतिथि घोषित करने में सक्षम है. तीसरा, उन निवासियों के मामले में जो सिर्फ अपनी आयु बताने में सक्षम हैं, नामांकन के प्रयोजन के लिए उस साल की 1 जनवरी को निवासी द्वारा दी गई जन्म तिथि के मुताबिक डिफ़ॉल्ट रूप से लिया जाता है.

कुल मिलाकर, ये दावा ग़लत है कि मुस्लिम वेंडर्स के आधार कार्ड नकली थे क्योंकि उनकी जन्मतिथि एक ही थी. सबसे पहले, रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऐसे हिंदू वेंडर्स भी हैं जिनके आधार कार्ड में जन्मतिथि एक ही है. दूसरा, एक ही जन्मतिथि होने से आधार कार्ड संदिग्ध या नकली नहीं हो जाता है क्योंकि जब कोई व्यक्ति अपनी जन्मतिथि के बारे में अनिश्चित होता है और सिर्फ अपनी उम्र बता सकता है, तो जन्मतिथि डिफ़ॉल्ट UIDAI प्रणाली द्वारा जनवरी के रूप में स्वतः भर दी जाती है. 1 और व्यक्ति के जन्म के वर्ष की गणना बताए गए उम्र के मुताबिक की जाती है. SP ने स्पष्ट किया है कि शिमला में वेंडर्स के आधार कार्ड के मामले में यही स्थिति थी.

अंकिता महालनोबिश ऑल्ट न्यूज़ में इंटर्न हैं.

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